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डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ वॉर, भारत के कारोबारी जानिए कितने हैं तैयार

The Hindkeshariने इस मुद्दे पर फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस के सीईओ अजय सहाय से बात की. उन्होंने बताया कि ट्रंप का ऐलान दबाव बढ़ाने की नेगोशिएटिंग टैक्टिक हो सकती है. उन्होंने The Hindkeshariसे कहा कि हम ज्यादा चिंतित नहीं है . हमें उम्मीद है कि भारतीय नेगोशिएटर भारत के हितों को सुरक्षित रखेंगे.अभी तस्वीर साफ नहीं है कि ट्रंप प्रशासन किस भारतीय प्रोडक्ट पर कितना Tariff बढ़ाएग.जहां तक मोबाइल फोंस टेक्सटाइल और फार्मा सेक्टर का सवाल है मुझे नहीं लगता कि इन सेक्टरों पर ट्रंप प्रशासन टैरिफ बढ़ाएगी.

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के आकलन के मुताबिक अमेरिका अगर टैरिफ बढ़ता है तो भारतीय उत्पादों में सबसे ज्यादा इसका असर जेम्स एंड ज्वेलरी और ऑटो कंपोनेंट सेक्टर पर पड़ सकता है.

भारत अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार

  • सबसे ज्यादा 23% ड्यूटी डिफरेंशियल ऑटो कंपोनेंट सेक्टर में है.
  • अगर ट्रंप प्रशासन ऑटो कॉम्पोनेंट प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर ऑटो कंपोनेंट सेक्टर पर पड़ेगा.
  • भारत से सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर में होता है
  • इस सेक्टर में अभी ड्यूटी डिफरेंशियल 13.1% है.
  • अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा वैल्यू के दृष्टिकोण से असर जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर पर पड़ेगा.

अजय सहाय के मुताबिक कि भारत से ज्यादातर गुड्स जो एक्सपोर्ट अमेरिका होता है उसकी ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग अमेरिका में नहीं होती. भारतीय एक्सपोर्ट से अमेरिका की मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को कोई खतरा नहीं है. हो सकता है कि हमें कुछ अमेरिकन प्रोडक्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटीज घटना पड़े. हमें US के साथ नेगोशिएट करना पड़ेगा, उन्हें कुछ मार्केट एक्सेस देना पड़ेगा. अगर अमेरिका दुनिया के बड़े देशों के खिलाफ टेरिफ फॉर शुरू करता है तो हमारा आकलन है कि इससे भारतीय एक्सपोर्टर को फायदा होगा. हमने 175 टैरिफ लाइन्स आइडेंटिटी की है जिसमें अमेरिका, इंडिया और चीन सीधे एक दूसरे से कंपीट करते हैं. 238 बिलियन डॉलर के इन टैरिफ लाइन का एक हिस्सा बिजनेस का चीन से भारत शिफ्ट हो सकता है. हमारा आकलन है कि यूएस के टैरिफ वार से से भारतीय एक्सपोर्ट सेक्टर के लिए 25 से 30 बिलियन डॉलर तक का नया एक्सपोर्ट मार्केट खुल सकता है.

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भारत से अमेरिका सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट मोबाइल फोंस, कट एंड पॉलिश्ड जेमस्टोन, टेक्सटाइल और फार्मा प्रोडक्ट्स है. अगर अमेरिका इन पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगता है तो इसका असर तो हमारे एक्सपोर्ट पर पड़ेगा. पहले से ही कॉटन और दूसरे टैक्सटाइल फैब्रिक के एक्सपोर्ट पर अमेरिका में टैरिफ 8% से 32% तक है.

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टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स पर ड्यूटी डिफरेंशियल अभी सिर्फ 1.8% है जबकि अपैरल सेक्टर में -4.2% है. भारत सरकार ने पहले ही अमेरिका से आयात होने वाले बर्बन व्हिस्की, हार्ले डेविडसन और कुछ महत्वपूर्ण केमिकल्स पर ड्यूटी घटाई है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ इंडिरेक्ट टैक्सेज और कस्टम्स  के मुताबिक भारत में अमेरिका से जिन महत्वपूर्ण प्रोडक्ट्स का आयात किया जाता है उन पर टैरिफ या तो बहुत कम है या बिल्कुल नहीं है.

किस पर कितनी ड्यूटी

  • क्रूड ऑयल पर नहीं के बराबर ड्यूटी है
  • कोयले पर 2.5% है
  • डायमंड पर 0% से 2.5% है
  • पेट्रोकेमिकल्स पर इंपोर्ट ड्यूटी 7.5% और
  • एलएनजी पर 5% है

एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ एक नए बिलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट के जरिए जो बच्चे व्यापार को 2030 तक 500 बिलीयन डॉलर तक बढ़ाना चाहते हैं.

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वहीं दूसरी तरफ उन्होंने कई बार भारतीय प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाने की वकालत की है.अब देखना होगा कि 2 अप्रैल को ट्रंप प्रशासन इस दिशा में आगे क्या फैसला करता है .


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