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डॉ रेड्डी, जस्टिस खेहर, कुमुदिनी…जानिए उन शख्सियतों को जिन्हें पद्म विभूषण से नवाजा जाएगा


नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने 2025 के पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है. पद्म पुरस्कार के लिए चयनित हस्तियों में से सात को पद्म विभूषण, 19 को पद्म भूषण और 113 को पद्म श्री सम्मान से नवाजा जाएगा. सेवानिवृत्त जस्टिस जगदीश सिंह खेहर, कुमुदिनी रजनीकांत लाखिया, लक्ष्मीनारायण सुब्रमण्यम और दुव्वुर नागेश्वर रेड्डी को पद्म विभूषण से नवाजा जाएगा. लोक गायिका शारदा सिन्हा, सुजुकी मोटर के पूर्व सीईओ ओसामु सुजुकी और एमटी वासुदेवन नायर को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा.

पद्म विभूषण, असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए दिया जाता है. पद्म भूषण उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए और पद्म श्री किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए दिया जाता है.

पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ दुव्वुर नागेश्वर रेड्डी तेलंगाना के हैं. जस्टिस जगदीश सिंह खेहर चंडीगढ़ के, कुमुदिनी रजनीकांत लाखिया गुजरात कीं, लक्ष्मीनारायण सुब्रमण्यम कर्नाटक के हैं. एमटी वासुदेवन नायर केरल के निवासी थे. ओसामु सुजुकी जापान के थे. शारदा सिन्हा बिहार की निवासी थीं.

डॉ दुव्वुर नागेश्वर रेड्डी

मेडिसिन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए डॉ दुव्वुर नागेश्वर रेड्डी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा.  डॉ रेड्डी गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट हैं, जिन्होंने कुरनूल मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की थी. वे हैदराबाद के एशियाई गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी संस्थान (AIG) के अध्यक्ष और संस्थापक हैं. यह दुनिया का सबसे बड़ा गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी अस्पताल है. डॉ रेड्डी को साल 2002 में पद्म श्री पुरस्कार और 2016 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें सितंबर 2013 में चीन के शंघाई में दुनिया का सर्वोच्च गैस्ट्रोएंटरोलॉजी पुरस्कार दिया गया था. उन्हें रुडोल्फ वी शिंडलर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

पुरस्कार की घोषणा के बाद डॉ रेड्डी ने कहा, ”मैं पद्म विभूषण प्राप्त करके बहुत ही विनम्र और सम्मानित महसूस कर रहा हूं. यह सम्मान वास्तव में मेरे सभी रोगियों, एआईजी हॉस्पिटल्स की मेरी पूरी टीम और अनगिनत स्वास्थ्य सेवा कर्मियों का है जो मुझे हर दिन प्रेरित करते हैं. यह सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि भारतीय चिकित्सा की भावना और स्वास्थ्य सेवा नवाचार में हमारे महान राष्ट्र की अपार संभावनाओं का उत्सव है.”

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जस्टिस जगदीश सिंह खेहर

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर को लोक कार्य के क्षेत्र में पद्म विभूषण पुरस्कार दिया जा रहा है.  जस्टिस खेहर 4 जनवरी, 2017 से 27 अगस्त, 2017 सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हैं. वे 13 सितंबर 2011 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए थे. वे इससे पहले 8 अगस्त 2010 से 12 सितंबर 2011 तक कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे थे. इससे पहले वे 29 नवंबर 2009 से 7 अगस्त 2010 तक उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे. जस्टिस जगदीश सिंह खेहर सुप्रीम कोर्ट के पहले सिख मुख्य न्यायाधीश रहे हैं.

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जस्टिस खेहर का जन्म 28 अगस्त 1952 को केन्या के नैरोबी में हुआ था. उन्होंने सन 1965 में भारतीय नागरिकता प्राप्त की. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में लॉ स्कूल में दाखिला लेने से पहले 1974 में चंडीगढ़ के सरकारी लॉ कॉलेज में पढ़ाई की थी. जस्टिस खेहर ने 1979 में वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया था. सन 1992 में उन्हें पंजाब का अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था. सर्वोच्च न्यायालय में अपने छह वर्ष के कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति खेहर ने कुल 176 निर्णय लिखे. वे 2014 में सबसे अधिक सक्रिय रहे, जब उन्होंने 34 निर्णय सुनाए और 63 पीठों का हिस्सा रहे.

कुमुदिनी रजनीकांत लाखिया

गुजरात कीं कुमुदिनी रजनीकांत लाखिया को कला क्षेत्र में पद्म विभूषण से नवाजा जाएगा. कुमुदिनी लाखिया का जन्म 17 मई 1930 को हुआ था. अहमदाबाद की निवासी कुमुदिनी कथक नृत्यांगना और कोरियोग्राफर हैं. उन्होंने 1967 में भारतीय नृत्य और संगीत के संस्थान कदम्ब स्कूल ऑफ डांस एंड म्यूज़िक की स्थापना की थी. वे समकालीन कथक नृत्य में अग्रणी कलाकार हैं. उन्हें 1960 के दशक में कथक को एकल नृत्य क्षेणी की सीमाओं से हटकर इसे सामूहिक नृत्य के रूप में भी बदलने का श्रेय दिया जाता है.उन्होंने कथक प्रदर्शनों में समकालीन कहानियों को जोड़ने जैसे नवाचार भी किए.

कुमुदिनी लखिया ने सात साल की उम्र में बीकानेर घराने के सोहनलाल से कथक की शिक्षा लेना शुरू किया था. इसके बाद उन्होंने बनारस घराने के आशिक हुसैन और जयपुर स्कूल के सुंदर प्रसाद से कथक शिक्षा ली. उनकी मां लीला शास्त्रीय गायिका थीं. उन्होंने लाहौर में अपनी स्कूली शिक्षा और इलाहाबाद में कॉलेज की शिक्षा पूरी की.

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लक्ष्मीनारायण सुब्रमण्यम

प्रख्यात वायलिन वादक लक्ष्मीनारायण सुब्रमण्यम को कला के क्षेत्र में पद्म विभूषण सम्मान दिया जाएगा. कर्नाटक के लक्ष्मीनारायण सुब्रमण्यम का जन्म 23 जुलाई 1947 को हुआ था. वे वायलिन वादक, संगीतकार और म्युजिक कंडक्टर हैं. वे कर्नाटकीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में निष्णात हैं.

सुब्रमण्यम संगीत में फ्यूजन के प्रयोग के लिए प्रसिद्ध हैं. उनके परिवार में संगीत सृजन की परंपरा रही है. उन्होंने अपने पिता के मार्गदर्शन में काफी कम उम्र में संगीत का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था. वे अपने बचपन के दिनों में जाफना में रहे थे. सिर्फ 6 वर्ष की आयु में उन्होंने अपना पहला सार्वजनिक संगीत कार्यक्रम पेश किया था. उन्होंने नाटकों, आर्केस्ट्रा और फिल्मों के लिए संगीत रचनाएं तैयार कीं. उन्होंने लक्ष्मीनारायण ग्लोबल म्यूजिक फेस्टिवल की स्थापना की है.

एमटी वासुदेवन नायर 

एमटी वासुदेवन नायर, यानी मदथ थेक्केपट्टू वासुदेवन नायर को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में मरणोपरांत पद्म विभूषण का सम्मान दिया जाएगा. केरल के निवासी एमटी वासुदेव नायर मलयालम भाषा के विख्यात साहित्यकार थे. वे उपन्यासकार, लघु कथाकार, पटकथा लेखक और फिल्म निर्देशक थे. वासुदेवन नायर का जन्म 15 जुलाई 1933 कुडल्लूर में हुआ था. उनका 25 दिसंबर 2024 को 91 साल की उम्र में निधन हो गया.

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उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया था. उनके उपन्यास कालम के लिए उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा कुमरनल्लूर स्कूल में हुई थी. वे आधुनिक मलयालम साहित्य के एक विपुल और बहुमुखी लेखक थे. वे स्वतंत्रता के बाद के भारतीय साहित्य के महारथियों में से एक थे. 

ओसामु सुजुकी

जापान के ओसामु सुजुकी को व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान दिया जाएगा. ओसामु सुजुकी का जन्म 30 जनवरी 1930 को हुआ था और उनका निधन 25 दिसंबर, 2024 को 64 साल की उम्र में हुआ. ओसामु जापान के व्यवसायी और सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष थे. वे सन 1978 से इस कंपनी के अध्यक्ष और सीईओ थे. 

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ओसामु ने 1953 में चुओ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया था. उन्होंने एक स्थानीय बैंक में लोन अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया था. उन्होंने 1950 के दशक के अंत में सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के पितामह मिचियो सुजुकी की पोती शोको सुजुकी से शादी की थी. चूंकि सुजुकी परिवार का कोई पुरुष उत्तराधिकारी नहीं था, इसलिए जापानी रिवाज के अनुसार ओसामु ने सुजुकी का पारिवारिक नाम अपना लिया और ओसामु सुजुकी बन गए. 

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शारदा सिन्हा

प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा को कला क्षेत्र में मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान दिया जाएगा. शारदा सिन्हा का जन्म एक अक्टूबर 1952 को हुआ था. उनका 5 नवम्बर 2024 को निधन हो गया. वे बिहार की एक लोकप्रिय गायिका थीं. उन्होंने मैथिली, भोजपुरी के अलावा अलावा हिन्दी गीत गाए. उन्होंने कई फिल्मों के लिए भी गाने गए. बिहार, झारखंड और पूर्वी यूपी में दुर्गा-पूजा, विवाह-समारोह सहित अन्य संगीत समारोहों में शारदा सिन्हा द्वारा गाए गीत अक्सर सुनाई देते हैं.

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शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था. उनके पिता सुखदेव ठाकुर थे और वे आठ भाईयों की अकेली बहन थीं. उनकी शादी बेगूसराय जिले के सिहमा गांव में हुई थी. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मैथिली लोक गायन से की थी.


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