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महाकुंभ में यूपी पुलिस के निशाने पर ड्रोनबाज, 9 ड्रोन मार गिराए


प्रयागराज:

प्रयागराज के महाकुंभ में देश दुनिया से श्रद्धालुओं का आना जारी है. इसे दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम कहा जाता है. महाकुंभ के लिए यूपी पुलिस ने इस बार जबरदस्त तैयारी की है. फार्मूला ये है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता है. इसके लिए मेले के विशाल क्षेत्र में हवाई निगरानी और भीड़ प्रबंधन को मजबूत करने के लिए 11 टेथर्ड ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किए गए हैं.

कैसे काम करता है टेथर्ड ड्रोन?
टेथर्ड ड्रोन केबल से ग्राउंड स्टेशन से जुड़ा होता हैं. इसमें लगातार बिजली सप्लाई होती रहती है. बैटरी डिस्चार्ज वाली समस्या नहीं रहती है. जिससे ये लगातार चौबीसों घंटे तक निगरानी कर सकते हैं. ये ड्रोन 120 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकते हैं और 3 किलोमीटर के दायरे को कवर कर सकते हैं. नवीनतम थर्मल और आईआर कैमरों से लैस ये ड्रोन दिन और रात दोनों समय 4K लाइव फुटेज के साथ अद्भुत ज़ूम क्षमता (36x ऑप्टिकल और 8x डिजिटल) प्रदान करते हैं.

महाकुंभ में ड्रोन का नेटवर्क 

चार टेथर्ड ड्रोन यूपी पुलिस के सुरक्षा विभाग द्वारा तैनात किए गए हैं. चार ड्रोन यातायात निदेशालय ने गाड़ियों की आवाजाही की मॉनिटरिंग के लिए लगाए हैं. तीन ड्रोन ATS ने लगाए हैं. इनका मकसद किसी भी तरह के आंतकी घटना और उससे जुड़े खतरे को रोकना है.

महाकुंभ के तीसरे दिन यूपी पुलिस ने अब तक 9 ड्रोन मार गिराए हैं. इनमें से 6 ड्रोन तो मकर संक्रांति वाले दिन ही पकड़े गए. उस दिन अखाड़े के साधु संन्यासी भी संगम पर स्नान कर रहे थे. सबसे अधिक करीब तीन करोड़ पचास लाख लोगों ने उसी दिन पुण्य की डुबकी लगाई थी. लेकिन यूपी पुलिस का एंटी ड्रोन सिस्टम एलर्ट पर था. उसने इन सभी 6 ड्रोन को पकड़ लिया. इनमें से एक ड्रोन तो रेड जोन में फ्लाई करने की कोशिश कर रहा था. ड्रोन से किसी भी बड़ी घटना को अंजाम दिया जा सकता है. यूपी पुलिस के सिक्योरिटी पुलिस के प्रमुख और सीनियर IPS अफसर रघुवीर लाल इस पूरे सिस्टम को मॉनिटर करते हैं. महाकुंभ में ड्रोन से भीड़ मैनेजमेंट से लेकर श्रद्धालुओं की गिनती तक का काम हो रहा है. 

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महाकुंभ 2025: किस-किस कार्यों में लगाए गए हैं ड्रेन
भीड़ प्रबंधन: थर्मल इमेजिंग और लाइव वीडियो फीड से भीड़ की निगरानी की जाती है. रेलवे स्टेशनों समेत प्रमुख एंट्री प्वाइंट्स पर लोगों की आवाजाही को रेगुलेशन करने में मदद मिलती है.

ट्रैफिक मैनेजमेंट : ड्रोन से रियल टाइम मॉनिटरिंग होता है, जिन इलाकों में ट्रैफिक बहुत होता है, उनमें गाड़ियों और भीड़ को नियंत्रित करने में मदद करती है.

संदिग्ध गतिविधि का पता लगाना: पेशेवर अपराधी और आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे लोगों का डेटा फाड़ किया हुआ है. ड्रोन इनका इमेज लेकर एलर्ट देता है. उनके मूवमेंट को ट्रैक करता है.

मैनपावर मैनेजमेंट : ड्रोन से मिले डेटा का उपयोग पुलिस कर्मियों की तैनाती और वीआईपी सुरक्षा को बेहतर करने के लिए किया जाता है.

प्रयागराज के महाकुंभ में एंटी ड्रोन सिस्टम को मजबूत किया गया है. हवाई खतरों को निष्क्रिय करने के लिए एंटी-ड्रोन सिस्टम प्रभावी होता है. हवाई निगरानी के अलावा, हवाई खतरों को निष्क्रिय करने के लिए तीन एंटी-ड्रोन सिस्टम को रणनीतिक स्थानों पर तैनात किया गया है. दो RF-आधारित सिस्टम 8 किमी के दायरे में दुश्मन ड्रोन का पता लगाने और 2 किमी तक उनके सिग्नल को जाम करने में सक्षम हैं. एक रडार-आधारित सिस्टम 15 किमी दूर तक ड्रोन का पता लगा सकता है और 3 किमी के भीतर उन्हें निष्क्रिय कर सकता है.


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