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विकसित भारत बनाने के लक्ष्य में इस बजट का एक महत्वपूर्ण योगदान : अर्थशास्त्री एन के सिंह


नई दिल्ली:

मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बजट को लेकर प्रतिक्रिया सुनी है, मैं संपूर्ण रूप से सहमत हूं कि यह बजट जो हम लोगों का लक्ष्य है कि 2047 तक विकसित भारत के रूप में हमें परिवर्तित करना, उस लक्ष्य के प्रति इस बजट का एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान है. सर्वप्रथम मैं सहमत हूं कि यह बजट सभी वर्गों को, सभी क्षेत्रों को और जो हम लोगों की जो उम्मीदें थी, बजट में उनके ऊपर ठोस कदम का विवरण है.

मैं दो-तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं के ऊपर ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. सर्वप्रथम मैं कहना चाहता हूं कि ये कहना और करना बहुत कठिन है, कि यद्यपि जो हमारा लक्ष्य है कि आगे आने वाले दिनों में, एक वर्ष में नहीं, लेकिन 5 वर्षों में आठ प्रतिशत की गति में वृद्धि हो और साथ ही साथ जिसे लोग मैक्रो इकोनॉमिक स्टेब्लिटी कहते हैं वो भी बना रहे. इन दोनों की दूराभास है किस रूप से इनका समन्वय किया जाए.

इसका एक बहुत ही शानदार उदाहरण इस बजट में आप देखें कि फिस्कल डेफिसिट के जो आंकड़े दिए गए हैं. उससे ये सिद्ध होता है कि जिस दिशा में हम लोग चल रहे थे, यानी फिस्कल डेफिसिट को घटाना, जो ऋण है उसमें नियंत्रण पाना, और साथ ही साथ जो प्रगति हम लोगों ने हासिल की है. वो प्रगति उसी रास्ते पर चलती रहे. इसका उल्लेख किया गया है. बहुत कम राष्ट्रों ने ऐसा समन्वय हासिल करने का सौभाग्य हासिल किया है और भारत को ये सौभाग्य है.

दूसरा आज जो युवा हैं, सबसे कठिन समस्या जो उनके सामने है, वह है कि किस रूप से उन्हें रोजगार मिले, तो जो रोजगार के संबंध में अप्रेंटिसशिप, इंटर्नशिप और अन्य योजनाओं का उल्लेख प्रधानमंत्री ने किया है, वो एक पहला कदम है. आज तक ऐसा कोई बजट नहीं हुआ है जहां तक मेरा स्मरण है, जहां पर रोजगार के ऊपर ऐसे ठोस कदम उठाए गए हों, और जिसका सीधा संबंध भारत के कॉर्पोरेट सेक्टर के साथ भी हो, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांस्बलिटी के माध्यम से और जो इंसेंटिव कॉर्पोरेट सेक्टर को दिया गया है, उस दिशा से जैसा प्रधानमंत्री जी कह रहे थे, एक करोड़ से ज्यादा युवाओं को उसका लाभ होगा.

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साथ ही कृषि क्षेत्र में जो परिवर्तन किया जा रहा है, पर्यावरण के दृष्टिकोण से जो परिवर्तन किया जा रहा है, उससे भी नए रोजगार उत्पन्न होंगे और इन सबों को आप अगर जोड़ें तो जो लक्ष्य है कि एक तरफ तो हम लोग टेक्नालॉजी के माध्यम से अपनी प्रोडक्टिविटी को बढ़ा रहे हैं, दूसरी तरफ साथ-साथ हम लोग ये भी देखें कि रोजगार किस रूप से मिले, ठोस रोजगार मिले, अच्छा रोजगार मिले. जो आज की बढ़ती और परिवर्तित जो डिमांड का पैटर्न है, उसका समन्वय हो उसके ऊपर भी ये ठोक कदम है.

तीसरा जो महत्वपूर्ण विषय है कि कुछ ऐसे भी भारत के प्रांत हैं, जो हम लोगों का विकास हुआ है. उस विकास का उन्हें लाभ प्राप्त नहीं हुआ, मुझे कोई हिचक नहीं है कहने में यद्यपि मैं बिहार से आता हूं, आप आंकड़े देखें, एक एक्पपर्ट कमेटी बनी थी मैं उसमें था, उन्होंने मांग की थी स्पेशल कैटेगरी का स्टेटस हो, उसका आज कोई औचित्य नहीं है, लेकिन जिस रूप से बिहार के परिवर्तन के ऊपर एक निश्चित कदम उठाया गया है, नई योजनाएं, टूरिजम सेक्टर में, नए इंफ्रास्ट्रक्चर में समृद्धि लाने में बिहार में, इसका उनके ऊपर, पर कैपिटा इनकम के मद्देनरजर बहुत अच्छा असर पड़ेगा.

मैं राज्यभा में था और मुझे सौभाग्य था जब आंध्र प्रदेश का रीऑर्गेनाइजेशन बिल पारित हो रहा था तो सरकार के ऊपर से ये कथन था कि आंध्र प्रदेश की प्रगति के लिए कुछ निश्चित कदम उठाए, वो तो उस समय नहीं उठाए गए, लेकिन उन निश्चित कदम का आज उल्लेख किया गया है. इस रूप से जो भारत का एक इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट है, उसके ऊपर से भी ये बजट एक महत्वपूर्ण फैसला है.

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आम आदमी रोजगार चाहता है, आम आदमी चाहता है कि जो विकास हो रहे हैं वो उसका अंग बने और जहां तक स्टॉक मार्केट की बात है, तो स्टॉक मार्केट को बजट के विभिन्न पहलुओं को पूरी तरह से समझने में समय लगता है. जब स्टॉक मार्केट समझेगा तो वो उसका करेक्शन होगा. मुझे विश्वास है कि आगे आने वाले दिनों में संपूर्ण रूप से लोग इस बजट के विभिन्न आकारों को समझेंगे, तो स्टॉक मार्केट के ऊपर भी इसका सकारात्मक असर होगा. साथ ही रोजगार में इसका सकारात्मक असर होगा. टैक्सेशन में जो उन्होंने परिवर्तन किया है, जीएसटी और इनकम टैक्स में जो छूट मिली है, इससे एक आम आदमी को इसका लाभ मिलेगा. 

संपूर्ण रूप से अगर देखें तो एक विकसित भारत बनाने के रूप में इस बजट का एक महत्वपूर्ण योगदान होगा. इसीलिए मैं इस बजट की संपूर्ण रूप से सराहना करता हूं.

डिस्क्लेमर- एन के सिंह अर्थशास्त्री हैं और 15वें योजना आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं.

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