विधायकों, सांसदों और नेताओं को सजा दिलाने के मामले ईडी को मिली महज 1 फीसदी सफलता

बुधवार को जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) पटना में आरजेडी प्रमुख लालू यादव से पूछताछ में व्यस्त था, तब केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि पिछले दस सालों में राजनेताओं के खिलाफ मामलों में जांच एजेंसी की दोषसिद्धि दर लगभग एक प्रतिशत रही है. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा को बताया, “पिछले दस सालों में ईडी ने राजनेताओं के खिलाफ 193 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से केवल दो में ही मामलों में हुई है.” उन्होंने बताया कि 2015 और 2025 के बीच 193 दर्ज मामलों में से 70 फ़ीसदी यानी 138 मामले पिछले 5 बरसों में दर्ज हुए. 2022-2023 के बीच 32 मामले दर्ज. ये पिछले दस बरसों में सबसे ज़्यादा केस दर्ज होने वाला साल था.
किन दो मामलों में हुई सजा
दिलचस्प बात यह है कि ईडी द्वारा दोषी ठहराए गए दोनों मामले झारखंड के राजनीतिक नेताओं के हैं. पूर्व राज्य मंत्री हरि नारायण राय को 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत सात साल के कठोर कारावास और 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था, जबकि राज्य के एक अन्य पूर्व मंत्री अनोश एक्का को 2020 में सात साल के कठोर कारावास की सजा और 2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत ईडी ने दोनों नेताओं की जांच की. यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने रांची में विशेष पीएमएलए अदालतों द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ अपील की या नहीं.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा को बताया, “सांसदों, विधायकों और स्थानीय प्रशासकों के साथ-साथ उनकी पार्टी के खिलाफ दर्ज ईडी मामलों का राज्यवार डेटा नहीं रखा जाता है. हालांकि, मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों, एमएलसी और राजनीतिक नेताओं या किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मामलों का सालवार विवरण साझा किया जा रहा है.”
विपक्ष के आरोप और सरकार का जवाब
विपक्षी दल अक्सर केंद्र सरकार पर राजनीतिक उद्देश्यों के लिए ईडी जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते रहे हैं और इस खुलासे ने उन्हें और बढ़ावा दिया है. कांग्रेस ने राजनीतिक विरोधियों को डराने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करने के लिए भाजपा नीत सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि हर बार चुनाव नजदीक आने पर विपक्षी दलों के नेताओं को ईडी के समन भेजे जाते हैं. हालांकि, वित्त मंत्रालय ने संसद को बताया कि ईडी राजनीतिक दलों, धर्म या अन्य आधार पर नहीं, बल्कि विश्वसनीय साक्ष्य के आधार पर जांच के लिए मामले उठाता है. केंद्र सरकार ने बताया कि ईडी की कार्रवाई हमेशा न्यायिक समीक्षा के लिए खुली रहती है.