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पेपर लीक मामले में शिक्षा मंत्री दें इस्तीफा, जीएसटी पर केंद्र सरकार कर रही ड्रामा : कांग्रेस  


नई दिल्ली:

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार की मंशा हमेशा से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की रही है और अब राज्यों को एक साथ आकर फैसला  करने की जरूरत है. यह राज्यों पर निर्भर है कि वे एक साथ आएं और पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाएं.

पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में शामिल किये जाने को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि तमाम प्रांतों में भाजपा की सरकार है. विपक्ष चाहता है कि पेट्रोल डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाना चाहता है. जीएसटी के अंतर्गत आने पर पेट्रोल डीजल के दाम आधे हो जाएंगे. सवाल है कि भाजपा की राज्य सरकारें क्या चाहती हैं? पीएम मोदी और आरएसएस की सहमति के बिना क्या ये संभव है? विपक्ष ये चाहता है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के अंदर लाया जाए, अगर ऐसा होता है तो लोगों को बड़ी राहत मिलेगी.

जीएसटी काउंसिल द्वारा रेलवे स्टेशन पर जाने के लिए प्लेटफॉर्म टिकट, रिटायरिंग रूम, वेटिंग रूम, क्लाक रूम सेवाओं, बैटरी चालित कार सेवाओं को जीएसटी से छूट देने के फैसले के बारे में अल्वी ने बड़ा हमला बोला. उन्होंने कहा कि यह छूट बहुत मामूली है. आज जीएसटी लोगों के गले कि हड्डी बन गई है. ये राज्यों पर थोपते हैं कि राज्य सरकारें ऐसा कहेंगी, तो करेंगे, ये सिर्फ एक ड्रामा है. भारत सरकार को इसके नियमों में बदलाव करना चाहिए. भाजपा कि सरकार चाहती हीं नहीं है कि जीएसटी से लोगों को राहत मिले.

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असम के सीएम हेमंत विश्व शर्मा के बयान कि एक विशेष समुदाय के लोगों को घर-शौचालय मिला, लेकिन वोट पीएम मोदी को नहीं दिया, इस पर अल्वी ने कहा कि रोज आप उस समाज को गाली देंगे, फिर आप उम्मीद करेंगे कि वो आपको वोट दें. अगर आपको संविधान के अंतर्गत अधिकार है, तो उस समुदाय का बिजली पानी बंद कर दीजिए. वोट का अधिकार खत्म करिए. एक मुख्यमंत्री होकर ये कैसी बात बोलते हैं. इनको इस बात का ख्याल नहीं कि मुख्यमंत्री पद की गरिमा क्या है. अगर देश के अंदर इस तरह के मुख्यमंत्री हो जाएंगे, तो देश कि हालत खराब हो जाएगी.

कर्नाटक में सेक्स स्कैंडल में फंसे प्रज्वल के भाई सूरज रेवन्ना की गिरफ्तारी पर अल्वी ने कहा कि ये क़ानूनी मामला है. वहां कि पुलिस ईमानदारी के साथ काम करेगी. पूरा देश जानता है कि किस तरीके के इल्जाम उन लोगों पर लगे हैं. कोई छुपी बात नहीं है, कानून अपना काम कर रहा है.

नीट पेपर लीक को लेकर उन्होंने कहा कि डीजी को गिरफ्तार कर किसी को बलि का बकरा न बनाएं. शिक्षा मंत्री पहले बोल रहे थे कि पेपर लीक नहीं हुआ. अब जांच हो रही है. उनको मंत्री पद पर बने रहने का हक नहीं है, उनको इस्तीफ़ा देना चहिए, नहीं तो प्रधानमंत्री उनको बाहर का रास्ता दिखाएं. लाखों बच्चों के भविष्य का सवाल है. उत्तर प्रदेश में पेपर लीक हुआ, इसकी जांच सही से होनी चाहिए. सीबीआई सही जांच नहीं कर पाएगी, क्योंकि सीबीआई इनके दबाव में काम करती है.

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(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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