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मोदी सरकार की नीतियों का असर, NSO के आंकड़ों में महिला बेरोजगारी दर में आई गिरावट

मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए कई कानूनों में बदलाव किया.

नई दिल्ली:

देश में जनवरी से मार्च की अवधि के बीच महिला बेरोजगारी दर में बड़ी गिरावट हुई है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा गुरुवार को जारी किए गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफस) से यह जानकारी मिली. आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण में बताया गया कि 2024 की मार्च तिमाही में महिला बेरोजगारी दर घटकर 8.5 प्रतिशत रह गई है, जो कि पिछले साल समान अवधि में 9.2 प्रतिशत थी. इसके अलावा जनवरी से मार्च के बीच कुल बेरोजगारी दर में भी कमी देखने को मिली है. यह घटकर 6.7 प्रतिशत पर रह गई है, जो पहले 6.8 प्रतिशत थी.

जनवरी से मार्च 2024 के बीच श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) बढ़कर 50.2 प्रतिशत हो गई है, जो कि पिछले वर्ष 48.5 प्रतिशत थी. महिला श्रम बल भागीदारी दर 2024 की मार्च तिमाही में बढ़कर 25.6 प्रतिशत हो गई है. पिछले साल मार्च तिमाही में यह 22.7 प्रतिशत थी.

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शहरी इलाकों में महिला श्रमिक जनसंख्या अनुपात भी 2024 की मार्च तिमाही में बढ़कर 23.4 प्रतिशत हो गया है, जो कि पिछले वर्ष समान अवधि में 20.6 प्रतिशत था. पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार की ओर से महिलाओं की संख्या श्रम भागीदारी में बढ़ाने को लेकर कई कदम उठाए गए हैं. मोदी सरकार द्वारा 2017 में मातृत्व छुट्टी के फायदे को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया गया. वहीं, बच्चा गोद लेने वाली महिलाओं के लिए मातृत्व छुट्टी 12 हफ्तों की कर दी गई.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय कहा था कि इस कदम के जरिए सरकार की कोशिश है कि शिशु को जन्म के बाद एक अच्छी देखभाल मिले. 50 से ज्यादा कर्मचारी वाली संस्थाओं के लिए शिशुगृह बनाना अनिवार्य कर दिया गया. साथ ही वर्क फ्रॉम होम का भी प्रावधान सरकार द्वारा किया गया.

सरकार ने नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए भी नियमों में बदलाव किया है. अब नाइट शिफ्ट करने वाली महिलाओं को नियोक्ताओं द्वारा पिक-अप और ड्रॉप-ऑफ सुविधा उपलब्ध कराना जरूरी है.

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