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कुदरत से खिलवाड़ का असर? अंडमान में इस मेंढक ने बदला मेटिंग और अंडे देने का तरीका


नई दिल्‍ली :

अंडमान द्वीप समूह पर मेंढक की एक प्र‍जाति ने अपने व्‍यवहार से हर किसी को आश्‍चर्य में डाल दिया है. यह प्रजाति मेटिंग और अंडे देते वक्‍त विचित्र व्‍यवहार का प्रदर्शन कर रही है, जिसने भारत और अमेरिका के शोधकर्ताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है. शोधकर्ताओं का मानना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को देखते हुए यह बेहद चिंताजनक है. उनका मानना है कि मेंढक की इस प्रजाति का यह व्‍यवहार अंडमान में तेजी से बदलते पर्यावरण के अनुकूल खुद को ढालने का प्रयास है. 

दुनिया में मेंढक की साढ़े सात हजार से ज्‍यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. हालांकि अंडमान में पाई जाने वाली मेंढक की यह प्रजाति इस मायने में सबसे अलग है कि यह उल्‍टे होकर मेटिंग करते हैं और इसी तरह से अंडे देते हैं. तीन सालों तक मॉनसून के दौरान किए गए अध्‍ययन के बाद वैज्ञानिक इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे हैं. मेंढकों की इस प्रजाति को मिनरवेरिया चार्ल्‍सडार्विनी के नाम से जाना जाता है. 

ब्रेविओरा में प्रकाशित हुआ है अध्‍ययन 

यह अध्‍ययन हार्वर्ड म्यूजियम ऑफ कम्पेरेटिव जूलॉजी की पत्रिका ब्रेविओरा में प्रकाशित हुआ है. शोधकर्ता हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से हैं. 

शोधकर्ताओं ने विस्‍तृत जानकारी देते हुए बताया कि उन्‍होंने नर और मादा मेंढकों को पेड़ पर उलटी स्थिति में पाया. उन्‍होंने बताया कि मेंढकों ने मेटिंग करते समय और यहां तक की अंडे देते वक्‍त भी अपने शरीर को पानी से ऊपर रखा. शोधकर्ताओं ने उल्‍टे होकर अंडे देने को इन मेंढकों का विशिष्ट व्‍यवहार बताया है और साथ ही कहा कि मेंढक की कोई भी प्रजाति ऐसा व्‍यवहार नहीं करती है. 

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प्रजनन स्‍थल के लिए कृत्रिम वस्‍तुओं का उपयोग 

शोध में उल्‍टा होकर मेटिंग करने और अंडे देना ही चौंकाने वाली बात नहीं है, बल्कि यह प्रजाति प्रजनन स्‍थल के लिए कृत्रिम वस्‍तुओं का उपयोग कर रही है. इनमें प्‍लास्टिक और कांच की बोतलों जैसी चीजें शामिल हैं. शोधकर्ता यह मान रहे हैं कि इन मेंढकों के परंपरागत आवासों को हो रहे नुकसान के बाद यह बदलते पर्यावरण के साथ अपनी पटरी बिठा रहे हैं. 

मादा के लिए होती है नरों में जबरदस्‍त जंग 

वैज्ञानिकों का मानना है कि नरों का मादाओं को लुभाने का तरीका भी बेहद अलग होता है. इसमें तीन तरह की जटिल आवाजों से मादाओं को बुलाते हैं. इस दौरान जब यह आक्रामक आवाजें अन्‍य नरों को रोकने में विफल हो जाती हैं तो लड़ाई शुरू हो जाती है. लात-घूंसों से लड़ाई होती है और एक दूसरे के साथ शरीर के आगे और पीछे के अंगों से खूब मारपीट की जाती है. यदि नर और मादा मेटिंग करने लगते हैं तो भी अन्‍य नर उन्‍हें नहीं छोड़ते हैं और उन्‍हें अलग करने की कोशिश की जाती है. 

यह प्रजाति सिर्फ अंडमान में ही पाई जाती है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने इस प्रजाति को असुरक्षित के रूप में भी सूचीबद्ध किया है. 
 


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