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कभी इंडिया आउट पर रहा जोर, अब मालदीव के राष्ट्रपति का कूटनीतिक यू-टर्न, भारतीय पर्यटकों से भी की ये अपील

मालदीव और भारत के रिश्ते पिछले दिनों तल्खियों भरे रहे हैं, लेकिन अब इन रिश्तों की खट्टास दूर करने की पहल होती दिख रही है. दरअसल मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू इस वक्त भारत यात्रा पर हैं. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत के विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात कर चुके हैं. अब राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पीएम मोदी से मिलेंगे. इस मुलाकात में पिछली कड़वी बातों को भुलाकर आगे बढ़ने की कोशिश होगी. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत पहुंचने पर कहा कि उनका देश भारत की सुरक्षा को कमजोर करने वाला कोई काम नहीं करेगा और नई दिल्ली को एक कीमती साझेदार और दोस्त मानता है और रक्षा सहित कई क्षेत्रों में सहयोग हमेशा प्राथमिकता रहेगा.

मालदीव को भारत से क्या उम्मीद

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की ये टिप्पणी इसलिए भी अहम हो जाती है, क्योंकि उन्हें चीन का समर्थक माना जाता है. उन्होंने अपने चुनाव कैंपेन में भी इंडिया आउट पर खासा जोर दिया. गौर करने वाली बात ये है कि मालदीव इन दिनों भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. मालदीव पर भारी कर्ज़ है. ऐसे में मालदीव को अपने पड़ोसी मुल्क भारत से बहुत उम्मीदे हैं, ऐसे में उनकी भारत यात्रा और अहम हो जाती है. क्योंकि भारत पहले भी मालदीव की मदद करता रहा है, इसलिए आर्थिक संकट से जूझ रहे मालदीव को भारत से आर्थिक मदद की भी उम्मीद होगी.

भारत के साथ रिश्तों पर क्या बोले मालदीव के राष्ट्रपति

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अंग्रेजी अखबार से कहा कि भारत के साथ मालदीव के संबंध सम्मान और साझा हितों पर आधारित है और दिल्ली उनके देश के सबसे बड़े व्यापार और विकास साझेदारों में से एक रहा है. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा, “मालदीव कभी भी भारत की सुरक्षा को कमजोर करने वाला कुछ नहीं करेगा. जबकि हम विभिन्न क्षेत्रों में अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ा रहे हैं, हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि हमारे कार्यों से हमारे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता से समझौता न हो…” साथ ही राष्ट्रपति मुइज्जू ने चीन का नाम लिए बिना, विविध अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से विकास और प्रगति को बढ़ावा देने के अपने प्रशासन के संकल्प को भी रेखांकित किया. 

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भारतीय पर्यटकों से मालदीव आने को भी कहा

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि हमारे पड़ोसियों और मित्रों के प्रति सम्मान हमारे डीएनए में है. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय पर्यटकों से मालदीव आने का आह्वान भी किया. दरअसल मालदीव के कई नेताओं पीएम मोदी पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद भारतीय पर्यटकों ने मालदीव जाना कम कर दिया. नतीजतन इससे मालदीव को काफी नुकसान हुआ. हालांकि मालदीव के विदेश मंत्रालय ने टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया और मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया था. फिर मई में पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने से कुछ सप्ताह पहले भारत के दिए गए तीन विमानन प्लेटफार्मों पर तैनात 90 सैन्य कर्मियों को हटाने के मालदीव के अनुरोध ने भी सभी को चौंका दिया. हालांकि दिल्ली ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और सैन्य कर्मियों को तकनीकी कर्मचारियों से बदल दिया.

इंडिया आउट पर रहा मुइज्जू का जोर

भारतीय सैन्यकर्मियों को मालदीव से निकालना और इंडिया आउट मोहम्मद मुइज्जू के कैंपेन का हिस्सा रहा. मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने वही किया जो मालदीव के लोगों ने मुझसे कहा था, लेकिन इस बात पर ज़ोर दिया कि क्षेत्रीय स्थिरता को सुरक्षित करने के प्रयासों में भारत एक प्रमुख भागीदार बना हुआ है. यह ऐतिहासिक संबंध एक पेड़ की जड़ों की तरह आपस में जुड़े हुए हैं…सदियों के आदान-प्रदान और साझा मूल्यों पर आधारित हैं. मालदीव और भारत के बीच संबंध हमेशा से मज़बूत रहे हैं. इससे पहले मालदीव के राष्ट्रपति ने इंडिया आउट एजेंडा होने से इनकार किया था, लेकिन इस बात पर ज़ोर दिया था कि उनके देश की धरती पर विदेशी सेना की मौजूदगी एक गंभीर समस्या है.

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भारत के लिए भी अहम मालदीव

समाचार एजेंसी पीटीआई ने स्थानीय वेबसाइट adhadhu.com पर उनकी टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि मालदीव के लोग देश में एक भी विदेशी सैनिक नहीं चाहते हैं. राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत द्वारा सहायता प्राप्त बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, जैसे ग्रेटर माले कनेक्टिविटी योजना और द्वीपसमूह के 28 द्वीपों के लिए जल और सीवरेज सुविधाओं के बारे में भी बात की. मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के तहत रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में वृद्धि देखी गई. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगस्त में माले की यात्रा के दौरान कहा कि भारत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में आम चुनौतियों और साझा हितों को पहचानता है.



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