गर्वनेंस में बदलाव के लिए पीएम मोदी का नया नजरिया कितना कारगर? एक्सपर्ट ने बताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) दुनियाभर में अपने नई सोच और विजन के लिए जाने-जाते हैं. पीएम मोदी को ऐसा नेता माना जाता है जो कि बदलाव लाने के लिए लीक से हटकर काम करते हैं. पीएम मोदी के लाए गए बदलावों की दुनियाभर में चर्चा भी होती है. हाल ही में पीएम मोदी ने The Hindkeshariके एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया के साथ खास इंटरव्यू में कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत की. इस बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने बताया कि गर्वेनेंस में उनका फोकस किन चीजो पर ज्यादा होगा.
पीएम मोदी का गर्वनेंस में किन चीजों पर ज्यादा फोकस
पीएम मोदी ने कहा कि आपने देखा होगा कि मैं टुकड़ों में नहीं सोचता हूं. मेरे कैबिनेट में एक परंपरा चली है कि संसद का भी कोई बिल आता है तो ग्लोबल स्टैंडर्ड की एक नोट भी साथ में आती है. दुनिया में उस फील्ड में कौन-सा देश सबसे अच्छा कर रहा है और उसके कानून-नियम क्या है? हमें अगर वो सब एचिव करना है तो हमें कैसे करना चाहिए. यानि अब मेरे हर कैबिनेट नोट ग्लोबल स्टैंडर्ड से मैच कर के लाना होता है. उसके कारण मेरी ब्यूरोक्रेसी की आदत हो गई कि बातें करने से बनता है नहीं कि हम दुनिया में बढ़िया है.
दुनिया में बढ़िया तक क्या है और उस तक पहुंचने का हमारा रास्ता क्या है, ये बताओ. हम उससे कितने दूर है. पीएम मोदी ने कहा कि गर्वनेंस में मेरा अपनी एक फिलोसिफी है और उसको मैं कहता हूं P2G2. यानी कि Pro People Good Governance. सरदार साहब ने कुछ कोशिश की थी, अगर वो लम्बे समय रहते तो हमारी सरकारी व्यवस्थाओं का जो मूलभूत खाका होता है उसमें बदलाव तो जरूर आता है, लेकिन वो नहीं आया. सरकारी अफसर को पता होना चाहिए कि आखिर उसकी जिंदगी का लक्ष्या क्या है.
पीएम मोदी के नजरिए पर एक्सपर्ट की राय
प्रोफेसर बद्री नारायण ने पीएम मोदी के इस इंटरव्यू को बाकी इंटरव्यू से बिल्कुल अलग बताया. फिर उन्होंने कहा कि इससे बहुत इनसाइटफुल निष्कर्ष निकल रहे हैं. पीएम मोदी ने जो P2G2 कहा वो ब्यूरोक्रेसी से ही संभव है. ब्यूरोक्रेसी को संवेदनशील बनाना है. गांधी के बाद पीएम मोदी एक पहले राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने भविष्य को conceptualize किया है. नए भारत के भविष्य की अवधारणा के लिए उन्होंने आशा को एक भाव के रूप में विकसित किया और एक पूरी प्लानिंग के साथ 2047 तक की पूरी एक योजना रखी है. पीएम मोदी भारत के भविष्य की बात करते हैं, जो कि दुनिया की अगुवाई करने वाला देश होगा.
इंडियन ब्यूरोक्रेसी में एक सबसे बड़ी समस्या उसकी असंवेदनशीलता है. उसको अगर PM इस तरह से पुश करते हैं तो इससे बहुत फर्क पड़ता है. उसकी क्वालिटी में बदलाव आता है, पॉलिसी लेकर आते हैं. जब तक चेहरा और लोग नहीं होते तब तक ये सब लागू नहीं हो सकता. प्रधानमंत्री के इस फोकस के साथ मुझे लगता है कि ब्यूरेक्रेसी को ये देखना होगा कि इसके सामने के लोग कौन से हैं, इनमें चेहरा कौन सा है, समुदाय कौन से हैं? किनके लिए काम कर रहे हैं. बहुत सारे ब्यूरोक्रेट्स को पता भी नहीं होता भारतीय समाज की सच्चाईयां क्या है. भारतीय समाज में कितने तल हैं, कितने तरह के लोग हैं. पीएम मोदी की ये फिलोसिफी बहुत ही बेहतर है.
अर्थव्यवस्था पर पीएम मोदी का विजन कितना दूरदर्शी
अर्थशास्त्री मिताली निकोरे ने कहा कि पिछले दस सालों में, एक बात तो साफ दिखती है, वो है विकसित भारत. जैसे पीएम मोदी ने कहा कि वो टुकड़ों में नहीं सोचते हैं, सभी के बारे में सोचते हैं. अब हम सबको पीएम मोदी एक तरीके पे आगे लेके जा रहे हैं. जो कि है 2047 का विकसित भारत. ये हमारा सबसे अहम मुद्दा है, हमारा मकसद है कि हम कैसे 2047 तक एक विकसित भारत बन सकते हैं. उसके लिए ये बहुत जरूरी है कि जो हमारा काम हो रहा है उस पर खास तवज्जों दी जाए. सरकारी और निजी सेक्टर दोनों एक साथ ही चलें. हमारे जो ब्यूरोक्रेट्स है वो प्राइवेट सेक्टर को फेसिलेट करें, ताकि वो ज्यादा से ज्यादा निवेश कर आए.
प्राइवेट सेक्टर और कारोबारी हमारे सरकारी अधिकारी को और उनके डायरेक्टर्स को भी को सुने और रेगुलेशन पर भी ध्यान दें. ये सब साथ में काम करें. इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट को भी साथ में ही चलाना है. जलवायु परिवर्तन जैसे समस्या को भी देख के चलना है. हमें अपनी बायोडायवर्सिटी का ध्यान रखना है और हमें नारी शक्ति के ऊपर भी काम करना है ताकि औरतें भी इस देश की तरक्की में बराबर की भागीदारी कर सकें. ये सारी बातें ही पीएम मोदी ने अपनी बातों में बताई हैं और वो विकसित भारत का मकसद लेकर चल रहे हैं. इसी राह पर बढ़ते हुए हम और आगे बढ़ेंगे.
पीएम मोदी का आदिवासियों- दलितों की तरक्की के लिए किस बात पर जोर
पीएम मोदी ने The Hindkeshariसंग खास इंटरव्यू में आद्यौगिक क्रांति की भी वकालत की. पीएम मोदी ने कहा कि इस रास्ते पर आगे जाने से दलित-आदिवासी समाज का भला होगा. प्रोफेसर बद्री नारायण ने पीएम मोदी के इस नजरिए पर कहा कि दलित और आदिवासियों के विकास के लिए मोबिलिटी जरूरी है. मोबिलिटी औद्योगिक क्रांति से, इंडस्ट्री और प्रोडक्शन से और टूरिज्म से होगी. नवउदारवादी समय के दो तरीके हैं. जिसमें टूरिज्म की मुख्य भूमिका है. काशी, प्रयाग और अयोध्या अपने तरह से इकॉनिमी को बूस्ट कर रहे हैं. पिछले दिनों पैस का फलो भी बहुत बढ़ा है. जैसे-जैसे कल्चर बेस इंडस्ट्री आएगी, सप्लाई चेन और मजबूत होगी. गरीब लोगों की इसमें और भागीदारी बढ़ेगी. इसमें माइग्रेशन के भी बहुत मायने हैं.
अर्थशास्त्री मिताली निकोरे ने कहा कि पीएम के इस विजन को इकॉनिमी में स्ट्रक्चल ट्रांसफोर्मेशन कहते हैं. हमारी जो इकॉनिकी खेती से ज्यादा जुड़ी है क्या हम वहां ज्यादा विकास कर सकते हैं. मैन्यूफैक्चरिंग को और बढ़ावा दे सकते हैं. माल की आवाजाही की इकॉनिकी के लिए बहुत मायने रखता है. लॉजिस्टिक सेक्टर की वजह से ही एक सामान एक जगह से दूसरी जगह पहुंचता है. मैन्यूफैक्चरिंग और इंडस्ट्री पर जो ध्यान दिया गया है, उससे नई स्कीम आई. नतीजतन बहुत सारी विदेशियां कंपनी भारत का रुख कर रही है और कंपनियां भी भारत आना चाहती है.
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