एक्सप्लेनरः धरती पर दिन छोटे हो जाएंगे? पृथ्वी की चाल में क्या गड़बड़?
कभी दिन छोटे, कभी रात
पृथ्वी की चाल के कारण 21 जून के बाद से दिन की अवधि घटने लगती है, यानि दिन छोटे होने लगते हैं और वहीं, रात की अवधि बढ़ जाती है. हर दिन रात की अवधि बढ़ती है और दिन छोटे होते जाता है. धीरे-धीरे ये एक दिन ऐसा आता है, जब दिन और रात बराबर हो जाते हैं. ये दिन 21 सितंबर होता है. 21 सिबंर के बाद से रातें बड़ी होने लगती हैं और दिन की अवधि घटने लगती हैं. 22 दिसंबर को एक उत्तरी गोलार्ध में रात सबसे लंबी हो जाती है और दिन सबसे छोटा हो जाता है. इसके बाद फिर 21 मार्च को सूर्य विषुवत रेखा के ऊपर होता है और इस दिन फिर से दिन और रात की अवधि एक बराबर हो जाती है. यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है. कभी दिन बड़े होते हैं और कभी रातें. ये सभी पृथ्वी की चाल और सूर्य की स्थिति के कारण होता है.
ऐसे होते हैं दिन और रात
पृथ्वी अपना खुद का चक्कर पूरा करने में 24 घंटे का समय लगती है. इसी वजह से वजह से दिन और रात होती है. पृथ्वी को सूरत का एक पूरा चक्कर लगाने में 365 दिन का समय लगता है. पृथ्वी जब अपनी धुरी पर घूमती है और आपको दिन दिखाई दे रहा है, तो समझिए कि आप उस हिस्से पर है, जो सूरज की तरफ है. अगर उस हिस्से की तरफ हैं, जो सूरज से दूर है, तब आपको रात दिखती है. 21 जून का दिन खासकर उन देश या हिस्से के लोगों के लिए सबसे लंबा होता है, जो भूमध्यरेखा के उत्तरी हिस्से में निवास करते हैं. इन देशों में भारत, चीन, रूस, उत्तर अमेरिका, यूरोप, आधा अफ्रीका आते हैं.
इस दिन परछाई भी छोड़ देती है साथ
साल के 365 दिनों में 4 दिन 21 मार्च, 21 जून, 23 सितंबर और 22 दिसंबर खास महत्व रखते हैं. इनमें सबसे हैरान और चौंकानेवाला दिन होता है, 21 जून. यह साल का सबसे लंबा दिन होता है. इस दिन की एक खास बात यह भी होती है कि इस दिन दोपहर में एक ऐसा समय आता है, जब परछाई भी लोगों का साथ छोड़ देती है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि सूर्य कर्क रेखा के ऊपर पहुंच जाता है. इसकी वजह से किसी की परछाई नहीं बनती है.
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