Explainer: अल्लू अर्जुन की गिरफ्तारी कोई साजिश या पुष्पा-2 के लिए पब्लिसिटी स्टंट? क्या है बॉक्स ऑफिस का हिसाब-किताब
नई दिल्ली:
तेलुगू फिल्मों के सुपरस्टार और पुष्पा 2 फिल्म के हीरो अल्लू अर्जुन (Allu Arjun) को हैदराबाद पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया. एक्टर को हैदराबाद के संध्या थियेटर में फिल्म पुष्पा-2 (Pushpa-2) की स्क्रीनिंग के दौरान मचे भगदड़ केस में गिरफ्तार किया गया था. लोअर कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की ज्यूडिशियल कस्टडी दी थी. उन्होंने इस फैसले के खिलाफ तेलंगाना हाईकोर्ट में अपील की थी. हाईकोर्ट ने अल्लू अर्जुन को राहत देते हुए अंतरिम जमानत दे दी. हाईकोर्ट ने अल्लू अर्जुन को गिरफ्तारी से 4 हफ्ते की छूट दी है. इस बीच भगदड़ में जान गंवाने वाली महिला के पति ने कहा कि वो एक्टर के खिलाफ केस वापस लेने को तैयार हैं. जमानत मिलने के बाद भी अल्लू अर्जुन को रात जेल में बितानी होगी, क्योंकि जमानत के पेपर जेल नहीं पहुंचे हैं. ऐसे में अब शनिवार को एक्टर घर जा सकेंगे.
दरअसल, 4 दिसंबर को हैदराबाद के संध्या थियेटर में पुष्पा-2 की स्क्रीनिंग के दौरान लिमिट से ज्यादा लोग आ गए थे. थिएटर हाउस फुल था. इसी दौरान अल्लू अर्जुन वहां पहुंच गए. सुरक्षा के लिए पुलिस का इंतज़ाम नाकाफी था. अपने ‘पुष्पा’ यानी अल्लू अर्जुन की एक झलक पाने के लिए फैंस बेकाबू होने लगी थी. धक्का-मुक्की के साथ भगदड़ मच गई. इस दौरान एक महिला की मौत हो गई. इस महिला की मौत के मामले में ही अल्लू अर्जुन पर गैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ. जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई. 14 दिनों की ज्यूडिशियल कस्टडी दी गई और शाम होते-होते तेलंगाना हाईकोर्ट से जमानत भी मिल गई.
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शुक्रवार को एक्टर के साथ क्या-क्या हुआ?
अल्लू अर्जुन के लिए आज का दिन भारी था. एक्टर को उनके घर से दोपहर 12 बजे गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद 4 बजे उन्हें लोकल कोर्ट में पेश किया गया. लोअर कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया. एक्टर ने हाईकोर्ट में अपील की थी. 5 बजे उन्हें हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत भी मिल गई. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अल्लू अर्जुन की अरेस्टिंग वाकई जरूरी थी या ये किसी पब्लिसिटी स्टंट का हिस्सा था? क्या इससे पुष्पा-2 की कमाई पर असर पड़ेगा?
हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए क्या कहा?
अल्लू अर्जुन को बेल देते हुए कहा तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा पहली नजर में ऐसा नहीं लगता कि कथित अपराध में एक्टर शामिल हैं. एक्टर बताकर अल्लू अर्जुन को उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. उन्हें भी इस देश के नागरिक के रूप में जीने और स्वतंत्रता का अधिकार है. हमारी संवेदनाएं पीड़ित परिवार के साथ हैं. लेकिन क्या आरोपी पर इस मामले का दोष लगाया जा सकता है? क्या इस तरह के हादसे की जिम्मेदारी अभिनेता के ऊपर डाली जा सकती है?
ज्यादातर फिल्में शुक्रवार को ही क्यों होती है रिलीज?
इसकी कई वजह बताई जाती हैं. शुक्रवार से वीकेंड शुरू होता है, लोग फुर्सत में होते हैं. भारत में कुछ प्रोड्यूसर मानते हैं कि शुक्रवार देवी लक्ष्मी का भी दिन है. गुज़रे दौर की हॉलीवुड की एक ऐतिहासिक फिल्म Gone With The Wind शुक्रवार को ही रिलीज़ हुई थी. ये भी कहा जाता है कि पहले लोगों को हफ़्ते की तनख़्वाह शुक्रवार को मिला करती थी, इसलिए फिल्में उस दिन रिलीज़ होती थीं.
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1100 करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी है पुष्पा-2
फिल्मों के कारोबार को मापने का पैमाना है दर्शकों की पसंद. दर्शकों की पसंद बॉक्स ऑफिस पर फिल्म के कलेक्शन से पता चलती है. अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा-2 ने शुक्रवार तक दुनियाभर में करीब 1100 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है. अगर इसी रफ़्तार से कमाई होती रही, तो लगता है इसी वीकेंड तक ये फिल्म एसएस राजामौली की ऑस्कर विजेता फिल्म RRR और KGF 2 को पीछे छोड़ देगी. इस फिल्म का निर्देशन सुकुमार ने किया है. पुष्पा-2 प्रभास और अमिताभ बच्च की Kalki 2898 AD, शाहरुख खान की ‘जवान’ फिल्म को पीछे छोड़ चुकी है.
550 करोड़ रुपये के बजट से बनी है फिल्म
अल्लू अर्जुन और रश्मिका मंदाना की ये फिल्म 550 करोड़ रुपये के बजट में बनी है. ये बजट से दोगुना कलेक्शन अब तक कर चुकी है. IMDB के मुताबिक 13 दिसंबर तक पुष्पा 2- द रूल 1062.1 करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी है. 2024 की दूसरी सबसे ज़्यादा कमाई वाली फिल्म बनी थी Kalki 2898 AD…. अमिताभ बच्चन, कमल हासन, दीपिका पादुकोण जैसे सितारों से भरी फिल्म भी 550 करोड़ रुपये के बजट में बनी. इस फिल्म ने करीब 1052.5 करोड़ रुपये की कमाई की. इस साल तीसरे पायदान पर स्त्री-2 – सरकटे का आतंक रही. राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर और पंकज त्रिपाठी जैसे ज़ोरदार कलाकारों से भरी ये फिल्म 100 करोड़ रुपये के बजट से बनी थी. इसने अपने बजट से 8 गुना ज्यादा कमाई की है.
क्या कहते हैं फिल्म क्रिटिक?
फिल्म क्रिटिक गिरीश वानखेड़े बताते हैं, “सोशल मीडिया के दौर में बॉक्स ऑफ़िस के आंकड़ों की चर्चा तेज़ी से फैलती है. लेकिन फिल्मों को देखने से पहले कई लोग अख़बारों या सोशल मीडिया पर भी उसकी समीक्षा जानना चाहते हैं. लोग उस आधार पर फ़ैसला लेते हैं. कई लोग बॉक्स ऑफ़िस कलेक्शन से भी प्रभावित होकर फिल्म देखने का फ़ैसला कर लेते हैं.”
वानखेड़े बताते हैं, “फिल्में बनाने के लिए पैसा प्रोड्यूसर लगाते हैं. फिल्म बनाना बड़ा महंगा काम है. वो भी तब जब बड़े सेट हों या फिर आधुनिकतम थ्री डी एनिमेशन्स का इस्तेमाल होता हो. मार्केटिंग और डिस्ट्रिब्यूशन पर भी बड़ा पैसा लगता है. ऊपर से सितारे बड़े तो फीस भी बड़ी होती है.”
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फिल्म प्रोड्यूसर को कहां-कहां से होती है कमाई?
फिल्म निर्माताओं के लिए फिल्मों की कीमत वसूलना भी बड़ा काम है. इसके लिए टिकटों की बिक्री के अलावा उसके डिजिटल, सैटलाइट, म्यूज़िक राइट्स अलग से बेचे जाते हैं. Worldwide Box Office भी होता है. फिल्म की रीमेक, प्रीक्वेल, सीक्वेल राइट्स और डबिंग राइट्स बेचकर भी कमाई की जाती है. ये कमाई करोड़ों में होती है. अगर फिल्म अच्छा करती है तो ये सभी अधिकार अच्छी कीमत पर बिकते हैं.
एक जमाने में फिल्में सिल्वर जुबली, गोल्डन जुबली, डायमंड जुबली और प्लैटिनम जुबली मनाती थीं. सिल्वर जुबली का मतलब 25 हफ़्ते. गोल्डन जुबली का मतलब 50 हफ़्ते होता था. डायमंड जुबली का मतलब 75 हफ़्ते और प्लैटिनम जुबली का मतलब फिल्म का 100 हफ़्ते चलना होता था. अब कुछ हफ़्तों में ही फिल्में देख ली जाती हैं. टैक्नॉलजी की वजह से ये संभव हो गया है. एक साथ हज़ारों थिएटरों में फिल्म रिलीज़ हो जाती है. फिर Over The Time यानी OTT या टीवी पर आ जाती हैं.
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लंबी चली थी ये फिल्में
अब थियेटर पर फिल्में आती हैं. हर प्लेटफॉर्म पर कमाती हैं और चली जाती हैं. लेकिन कुछ दशक पहले तक स्थिति कुछ और थी. कुछ फिल्मों का तो चलने के मामले में ज़ोरदार रिकॉर्ड रहा है:-
-1995 में रिलीज़ हुई शाहरुख़ ख़ान, काजोल की फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ मुंबई के मराठा मंदिर थियेटर में 22 साल से चल रही है.
-1975 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘शोले’ 5 साल तक थियेटरों में चलती रही. ये वो फिल्म है, जिसने जय-वीरू की जोड़ी और गब्बर को अमर कर दिया.
-1960 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ 3 साल तक थियेटरों में चलती रही. इस फिल्म के दीवाने आज भी करोड़ों हैं.
-1943 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘किस्मत’ 3 साल तक थियेटरों में चलती रही. एक्टर अशोक कुमार की ये फिल्म उस दौर की ब्लॉक बस्टर फिल्म थी.
-1949 में रिलीज़ हुई राजकपूर की फिल्म ‘बरसात’ भी अपने दौर की शानदार फिल्मों में रही, जो 2 साल तक थियेटर में चलती रही.
1 रुपये थी मुग़ले आज़म फिल्म की टिकट
उस दौर में एक टिकट की क़ीमत एक रुपये से कम होती थी. एक रुपया भी तब बड़ी बात थी. कहते हैं उस दौर में मुग़ले आज़म की दीवानगी इतनी थी कि मुंबई के मशहूर मराठा मंदिर थिएटर में उसका एक रुपए का टिकट ब्लैक में क़रीब 100 रुपए तक बिका जो आज के हिसाब से 9000 रुपए का होता. आज के हिसाब से महंगाई दर को एडजस्ट करते हुए देखें, तो मुग़ले आज़म की कमाई 4000 करोड़ रुपये हो जाएगी.
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