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Explainer: इजरायल अभी क्यों नहीं चाहता दूसरे चरण का सीजफायर?

इज़रायल सीज़फ़ायर के दूसरे चरण में जाने की बजाय पहले चरण के एक्सटेंशन पर अड़ा है. वो इसलिए क्योंकि दूसरे चरण के सीज़फ़ायर में इज़रायल डिफेंस फोर्स को ग़ाज़ा से पूरी तरह से निकलना होगा, लेकिन इज़रायल ऐसा नहीं चाहता. वे ऐसा क्यों नहीं चाहता इस बाबत जब हमने इज़रायल के एक उच्च पदस्थ सूत्र से बात की तो उन्होंने सीधे शब्दों में जवाब दिया कि जब तक हमास ग़ाज़ा नहीं छोड़ता, इज़रायल की सेना पूरी तरह से ग़ाज़ा नहीं छोड़ सकती. अगर इज़रायल दूसरे फ़ेज के सीज़फ़ायर में जाता है तो जनवरी में तय फ्रेमवर्क के मुताबिक़ IDF को पूरी तरह से ग़ाज़ा छोड़ना होगा और IDF ऐसा करती है तो इस बात का पूरा ख़तरा है कि हमास अपने आपको फिर से संगठित कर लेगा और इज़रायल पर फिर हमले करेगा.

पहले चरण के सीज़फ़ायर का ही विस्तार चाहता है इज़रायल

इज़रायल के उच्च पदस्थ सूत्र का कहना है कि इसलिए हमास को ग़ाज़ा छोड़ना होगा, तभी इज़रायल दूसरे चरण के सीज़फ़ायर के लिए आगे बढ़ेगा. इसलिए दूसरे चरण के सीज़फ़ायर की बजाय इज़रायल पहले चरण के सीज़फ़ायर का विस्तार चाहता है. ये पूछे जाने पर कि हमास के ग़ाज़ा छोड़ने का मतलब क्या है? क्या हमास के लड़ाके ग़ाज़ा से निकलकर कहीं और चलें जाएं या फिर इसका मतलब ये है कि हमास ग़ाज़ा पर रूल करने की, उस पर पूर्ण नियंत्रण की अपनी मंशा छोड़ दें?

उच्च पदस्थ सूत्र ने साफ़ किया कि इसका दोनों मतलब है. अच्छा तो हो कि हमास पूरी तरह से ग़ाज़ा से बाहर चला जाए. इसके लिए अगर उन्हें बोट भी चाहिए तो हम उसे वो भी मुहैय्या करा देंगे और अगर हमास ग़ाज़ा में रहता भी है तो भूल जाएं कि ग़ाजा का नियंत्रण फिर उनके हाथ में आएगा. इज़रायल कभी ऐसा नहीं होने देगा.

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इज़रायल का फिलहाल ग़ाज़ा पर फिर से हमला करने का इरादा नहीं!

कुल मिलाकर ये कि इज़रायल चाहता है हमास अपने हथियार डाल दे और जब तक ऐसा नहीं होता वह पहले चरण के सीज़फ़ायर के साथ ही आगे बढ़ना चाहता है. हमास इसके लिए तैयार नहीं भी होगा तो इज़रायल अभी तुरंत ग़ाज़ा पर हमले करने नहीं जा रहा है. वह 4-6 हफ़्ते इंतज़ार करेगा. रमज़ान का महीना पूरा होने और उसके कुछ दिनों बाद तक भी. इस दौरान अपने उन 60 बंधकों की रिहाई चाहता है जो अभी भी हमास के कब़्जे में हैं. हमास के हाथों में अभी इज़रायली बंधकों का होना ही इज़रायल के हाथ रोक रहा है.
 

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ग़ौरतलब है कि 19 जनवरी को जो बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति रहते इज़रायल-हमास युद्ध विराम के जिस फ़्रेमवर्क पर सहमति बनी थी, उसके तीन चरण थे. 42 दिनों का पहला चरण 1 मार्च को समाप्त हो गया. इस दौरान 33 इज़रायली बंधक और क़रीब सैंकड़ों फ़िलिस्तीनी क़ैदी छोड़े गए. हमास दूसरे चरण के युद्ध विराम में जाए बिना बंधकों को छोड़ने को तैयार नहीं है.

ट्रंप भी नहीं चाहते हैं कि IDF अभी ग़ाज़ा छोड़े!

ये भी ग़ौरतलब है कि पहले चरण के एक्सटेंशन का प्रस्ताव इज़रायल ने मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटक़ॉफ़ की सलाह पर दिया है. यानि कि ट्रंप भी नहीं चाहते हैं कि IDF अभी ग़ाज़ा छोड़े. वे ग़ाज़ा में रिवेयरा बनाने की भी बात कर चुके हैं, लेकिन साथ ही वहां अमेरिकी सैनिक न उतारने का ऐलान भी कर चुके हैं. तो ज़ाहिर सी बात है कि वे IDF से ही वो काम लेना चाहते हैं जो वे ग़ाज़ा में करना चाहते हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री ने 4 बिलियन डॉलर की सैन्य मदद तुरंत इज़रायल को भेजने का फरमान भी दे दिया है.
 
कुल मिलाकर अभी तो इज़रायल-हमास सीज़फ़ायर टूटने का ख़तरा बरक़रार है और इसका ख़ामियाज़ा ग़ाज़ा के आम लोगों को भुगतना पड़ेगा.

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