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Explainer : कनाडा को भारत से पंगा लेना पड़ा महंगा! अपनी ही घर में कैसे घिरे ट्रूडो?

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की राजनीतिक चुनौतियां दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं. भारत के साथ हालिया विवादों के बाद अब वह अपनी पार्टी के भीतर और विपक्ष दोनों के निशाने पर हैं. एनडीपी नेता और ट्रूडो के सहयोगी जगमीत सिंह ने सार्वजनिक रूप से उनसे इस्तीफे की मांग की है, जिससे प्रधानमंत्री पर दबाव और बढ़ गया है. इस बीच, कनाडा की उप-प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक अस्थिरता को और हवा दी है.

ट्रूडो के सहयोगी जगमीत सिंह ने कहा कि वे प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे. हाउस ऑफ कॉमन्स के शीतकालीन अवकाश के बाद अगले साल जनवरी के अंत में अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने की उम्मीद है. यह घटनाक्रम कनाडा की राजनीतिक स्थिति को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है और ट्रूडो सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.

चुनौतियों से घिरे ट्रूडो
कनाडा की लिबरल पार्टी नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रही हैं. ऐसे में कनाडा में राजनीतिक संकट को और गहरा दिया है. इस्तीफा के बढ़ते दबाव के बीच जस्टिन ट्रूडो की नेतृत्व क्षमता और उनकी कुर्सी पर मंडराते संकट को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या ट्रूडो इन चुनौतियों का सामना कर पाएंगे या फिर उन्हें पद छोड़ना पड़ेगा… यह देखना बाकी है.

लिबरल पार्टी में असंतोष: जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे की मांग तेज
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की स्थिति अब लिबरल पार्टी के भीतर भी कमजोर होती जा रही है. उनके पुराने सहयोगी और डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह ने सार्वजनिक रूप से ट्रूडो से इस्तीफे की मांग की है. लिबरल पार्टी के 153 सांसदों में से 13 सांसदों ने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री से इस्तीफा देने की अपील की है. इससे पहले, अक्टूबर में 24 सांसदों ने ट्रूडो के खिलाफ एक पत्र लिखकर उनके नेतृत्व पर सवाल उठाए थे. वित्त मंत्री के इस्तीफे और पार्टी के भीतर बढ़ते विरोध के बाद ट्रूडो की राजनीतिक स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है.

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डोनाल्ड ट्रंप ने बढ़ाई ट्रूडो की मुश्किलें
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने कनाडा के लिए नई आर्थिक चुनौतियां पैदा कर दी हैं. ट्रंप ने सत्ता में आने से पहले ही कनाडा से आने वाले उत्पादों पर भारी कर लगाने की बात कही है, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर गहरा असर पड़ सकता है. कनाडा का 80% निर्यात अमेरिका को होता है, ऐसे में ट्रंप की टैरिफ नीति कनाडा की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है. इसके अलावा, ट्रंप ने सब्सिडी की वसूली का मुद्दा उठाते हुए कनाडा पर अतिरिक्त दबाव डाला है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और बढ़ने की संभावना है. यह स्थिति कनाडा के लिए गंभीर आर्थिक चुनौती बन सकती है और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए मुश्किलें और बढ़ा सकती हैं.

कनाडा में भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है और यह देश की शिक्षा और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

आंकड़ों पर एक नजर
कुल विदेशी छात्र: वर्तमान में कनाडा में लगभग 4,27,000 विदेशी छात्र हैं
भारतीय छात्रों का योगदान: इनमें से 40% छात्र भारत से हैं
शिक्षा शुल्क: प्रत्येक छात्र सालाना औसतन 14,300 डॉलर की फीस देता है

पिछले आंकड़े:
2022 में 3,20,000 छात्र कनाडा में पढ़ाई कर रहे थे
2013 से 2022 के बीच छात्रों की संख्या में 260% की बढ़ोतरी दर्ज की गई

फ्रीलैंड के इस्तीफा के बाद पार्टी में खुली असहमति
फ्रीलैंड ने कनाडा के वित्त मंत्री के पद से भी इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे से प्रधानमंत्री ट्रूडो के खिलाफ उनके मंत्रिमंडल में पहली बार खुली असहमति पैदा हुई, जिससे सत्ता पर उनकी पकड़ को खतरा पैदा हो गया. उन्होंने अपने त्यागपत्र में लिखा, “पिछले कुछ सप्ताहों से आप और मैं कनाडा के लिए सर्वोत्तम मार्ग के बारे में असहमत हैं.”

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साल 2013 में पहली बार संसद के लिए चुनी गईं पूर्व पत्रकार फ्रीलैंड दो साल बाद ट्रूडो के मंत्रिमंडल में शामिल हुईं, जब लिबरल्स पार्टी सत्ता में आई. उन्होंने व्यापार और विदेश मंत्री सहित प्रमुख पदों पर काम किया और यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार वार्ता का नेतृत्व किया था.

हाउस ऑफ कॉमन्स में बदल सकता है नंबर गेम!
कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में 153 सदस्यीय कॉकस में से उनके पद से हटने की मांग करने वाले विद्रोही सांसदों की संख्या बढ़कर लगभग 60 हो गई है. लिबरल पार्टी के नेता ट्रूडो अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी कंजर्वेटिव पियरे पोलिएवर से सर्वे में 20 अंक पीछे हैं, जिन्होंने सितंबर से ट्रूडो सरकार को गिराने और शीघ्र चुनाव कराने के लिए तीन बार प्रयास किया है.


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