Explainer: माया और राम करेंगे BJP के 'मिशन 370' के लिए बोनस का काम? समझें- UP के दलित वोटों का गुणा-गणित

यूपी में बीजेपी का हौसला इतना बुलंद है कि वो यहां की 80 में से 80 सीटें जीतने का दावा कर रही हैं. इसकी 2 वजहें हैं. पहली वजह-अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. दूसरी वजह- BJP को कमजोर पड़ती बहुजन समाज पार्टी से बोनस मिल रहा है. ऐसे में सवाल है कि क्या माया (Mayawati) और राम (Ram Mandir) से यूपी में BJP का काम पूरा हो पाएगा?
UP में BJP का प्लान 80
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले तीन तस्वीरें उभर रही हैं. पहली तस्वीर-बीजेपी की है. उसका दावा है कि वो 80/80 सीटें जीतने जा रही है. दूसरी तस्वीर- समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की है. ये दोनों पार्टियों के बीच पहले बात बिगड़ती दिख रही थी, लेकिन बुधवार को गठबंधन का ऐलान हो गया. इससे लड़खड़ाते INDIA अलायंस को भी कुछ मजबूती मिली. तीसरी तस्वीर-बहुजन समाज पार्टी की है, जिसकी कोई हलचल दिख नहीं रही. मायावती अपने घर में हैं और बाहर असमंजस और उलझन की दीवार दिन ब दिन और ऊंची होती जा रही है. BSP के 10 सांसद भी नहीं जानते कि क्या होना है.
यूपी में उठ रहे ये 3 सवाल
चुनाव के पहले इन तीनों सियासी सूरते हाल में तीन अहम सवाल उभरते हैं. क्या BSP अपने इतिहास के सबसे कमजोर दौर से गुजर रही है? क्या BJP वैसी जीत हासिल कर सकती है, जैसा यूपी में अब तक किसी ने नहीं की है? ऐसी स्थिति होती है, तो क्यों हो सकती है?
बीजेपी की नजर दलित वोटों पर
जैसे-जैसे चुनावी हार का भार बढ़ता गया, मायावती लोगों से कटती गईं. उस कटाव की स्थिति में बीजेपी की नजर दलित वोटों पर है. मायावती कहीं सड़कों पर नहीं दिखतीं, लेकिन रैदास जयंती से ठीक एक दिन पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) जरूर बनारस के रैदास मंदिर में होंगे. दलित चेतना को उजागर करने वाले महान कवि संत रैदास के मंदिर में पीएम मोदी जब तब पहुंचते रहते हैं. सारा खेल दलित वोटों का है. यूपी में दलित वोट करीब 22% है. एक वक्त इस वोट पर BSP का एकाधिकार सुरक्षित माना जाता था.
मायावती की सियासी गिरावट का फायदा लेने में जुटे बाकी दल
मायावती की इस सियासी गिरावट से उनके वोट बैंक में सेंध लगाने की जुगत में BJP,कांग्रेस और समाजवादी पार्टी तीनों हैं. BJP की कोशिश है कि वो वैसी स्थिति में दलित वोट उसके खाते में आए. BJP को भी लगता है कि दलित वोट उसको मिल सकता है. वैसे यूपी का चुनावी नतीजा उसके ही पक्ष में जा सकता है, जिसके पक्ष में दलित वोट जाएगा.
UP में क्यों मायावती से छिटकते जा रहे दलित?
कभी उत्तर प्रदेश में दलितों की सारी उम्मीदें और उन्हें पूरा करने के लिए उनके ज्यादातर वोट BSP के ‘हाथी’ निशान पर पड़ते थे. लेकिन धीरे-धीरे BSP इतनी कमजोर होती गई कि पिछले लोकसभा चुनाव में गैर जाटव दलितों ने मायावती से ज्यादा BJP को वोट दिया. तब तो अखिलेश से BSP का गठबंधन भी था, लेकिन अब उनका अकेला लड़ना उनको सियासी तौर पर अकेला करता दिख रहा है.
यूपी में दलित वोट के आंकड़े
इतना तो तय है कि यूपी के चुनाव में दलित वोट सत्ता का खेल बनाएगा या बिगाड़ेगा. मायावती की सबसे पूंजी यही दलित वोट थे, लेकिन चुनाव दर चुनाव वो आधार खिसकता गया. यूपी में दलित वोट 20% है, जिसमें 12% जाटव और 8% गैर जाटव दलित हैं. 2017 के विधानसभा चुनावों में मायावती को 87% जाटव वोट मिले, लेकिन पांच साल बाद ये 22% घटकर 65% रह गए. गैर जाटव वोट 44% मिले थे, जो 2022 में 17% घटकर 27% रह गए.
5 साल में कैसे BJP की तरफ शिफ्ट हुआ BSP का वोट?
2017 में BSP और NDA में जाटव वोटों का फासला 69% का था. 2022 में ये फासला घटकर सिर्फ 12% रह गया. अगर गैर जाटव दलित वोटों की बात करें, तो 2017 में BSP और NDA में ये फर्क 44% का था. जबकि 2022 में ये पलट गया. यहां गैर जाटव दलितों ने BSP की तुलना में NDA को 14% ज्यादा वोट दिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलित प्रतीकों को सम्मान देने के लिए अयोध्या एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखा. दूसरी तरफ बीजेपी ने प्रदेश के छह प्रमुख शहरों में अनुसूचित जाति वर्ग का सम्मेलन कराया. साथ ही सांसद वृजलाल, एमएलसी लालजी निर्मल और पार्टी प्रवक्ता जुगल किशोर जैसे दलित नेताओं की टीम भी बनाई.
BJP की कोशिशों पर अखिलेश की नज़र
BJP की इन कोशिशों पर नजर अखिलेश यादव की भी है और कांग्रेस की भी. दलित वोटों के दम पर BJP 80 /80 का सपना देख रही है. दूसरी तरफ, मायावती के समुदाय से ही आने वाले फायरब्रांड दलित नेता चंद्रशेखर रावण को साथ मिलाकर अखिलेश यादव 36 फीसदी वोट शेयर हासिल करने का दावा कर रहे हैं.
यूपी के तीनों गठबंधनों को देखकर यही लगता है कि दलित वोट के सहारे ही ये अपना चुनावी नैय्या पार करना चाहते हैं.