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Explainer: पंजाब में AAP नहीं नवजोत सिंह सिद्धू बन रहे कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती!

नई दिल्ली:

पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर विवाद देखने को मिल रहा है. क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) पार्टी के कार्यक्रमों से अलग हटकर एक के बाद एक रैली कर रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू की रैलियों से परेशान हैं. सिद्धू राज्य पार्टी इकाई से मंजूरी के बिना पंजाब के विभिन्न हिस्सों में रैलियां कर रहे हैं. पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने उन्हें चेतावनी दी है कि अनुशासनहीनता पर पार्टी से निष्कासन किया जाएगा. रैलियों को लेकर मीडिया के एक सवाल के जवाब में प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि “कोई भी पार्टी से ऊपर नहीं है. जो कोई भी कुछ करना चाहता है वह कांग्रेस के प्रतीक और मंच के बिना कर सकता है. 

विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी सिद्धू पर कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा कि “जब आप (सिद्धू) पीपीसीसी अध्यक्ष थे, तो आप (कांग्रेस) को 78 (2017 में सीटें) से 18 (2022 में सीटें) पर ले आए. अब, वह और क्या चाहते हैं?”

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हालांकि पार्टी नेताओं के बयान का सिद्धू पर कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. उन्होंने हाल ही में कहा था कि अगर किसी जगह पर 5,000-7,000 लोग इकट्ठा होते हैं, तो किसी के पेट में दर्द क्यों होता है? हम किसके लिए लड़ रहे हैं? हम पंजाब में इस व्यवस्था को बदलने के लिए लड़ रहे हैं. अपनी रैलियों में, सिद्धू केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार और पंजाब में भगवंत मान सरकार दोनों पर निशाना साध रहे हैं.

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बीजेपी में हो सकती है वापसी

ताजा विवाद के बीच के इन बातों की अटकलें हैं कि सिद्धू भाजपा में वापसी की योजना बना रहे हैं. गौरतलब है कि 2017 में बीजेपी छोड़कर सिद्धू कांग्रेस में शामिल हो गए थे. अगर  सिद्धू पार्टी छोड़ते हैं तो यह कांग्रेस के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा जाएगा. इससे पहले  पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पूर्व मंत्री और राज्य कांग्रेस प्रमुख सुनील जाखड़ ने कांग्रेस छोड़ दिया था.  

कांग्रेस में लंबे समय से जारी है विवाद

पंजाब के नेताओं का कांग्रेस से भाजपा में आना कांग्रेस की संगठनात्मक ताकत कमजोर होने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. गौरतलब है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. हालांकि कांग्रेस पार्टी 2022 के चुनाव से पहले से ही आपसी विवादों से जूझ रही है.

हरियाणा कांग्रेस में जारी है विवाद

कांग्रेस की अंदरूनी कलह की मुश्किलें पंजाब तक ही सीमित नहीं हैं. पड़ोसी राज्य हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और वरिष्ठ नेताओं कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी की तिकड़ी के बीच सत्ता संघर्ष खुलकर सामने आ गया है. तीनों नेता – जिन्हें अक्सर एसआरके समूह के रूप में जाना जाता है. वो पार्टी से नाराज चल रहे हैं. हाल ही में शनिवार को दिल्ली में राज्य कांग्रेस की चुनाव समिति की पहली बैठक में ये नेता शामिल नहीं हुए थे. 

कांग्रेस के भीतर जारी विवाद से बीजेपी खुश है. हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि कांग्रेस बीजेपी को टक्कर देने के हालत में नहीं है. उन्होंने कहा कि हरियाणा में पहले इन लोगों को एक साथ आने दीजिए. एक दिन शैलजा कुमारी रैली निकालती हैं. अगले दिन भूपिंदर हुडा रैली निकालते हैं. शैलजा भूपिंदर हुडा की रैली में नहीं जातीं और भूपिंदर हुडा शैलजा की रैली में नहीं जाते. ऐसे में वो हमारे खिलाफ क्या चुनाव लड़ेंगे?”

हिमाचल में भी विवाद बढ़ने के संकेत

हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस की राह मुश्किल है. पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे और राज्य मंत्री विक्रमादित्य सिंह हाल ही में पेश किए गए बजट को लेकर सार्वजनिक रूप से अपनी पार्टी की सरकार की आलोचना करते नजर आए. एक फेसबुक पोस्ट में, विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उन्होंने देखा है कि कैसे बजट से कई सामाजिक वर्गों का उल्लेख गायब था और उन्होंने इस मामले को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष उठाया था. इससे पहले विक्रमादित्य सिंह की मां और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी थी.

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