Explainer: पाकिस्तान के चुनावी नतीजों के आंकड़े क्या कह रहे, सरकार बनाने में कौन होगा कामयाब?
नई दिल्ली :
पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के चुनाव तो हो गए हैं लेकिन देश के राजनीतिक भविष्य को लेकर अब तक स्थिति साफ नहीं हुई है. जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने समर्थकों को एकजुट किया. उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और 101 सीटें जीतने में कामयाब हो गए. लेकिन पाकिस्तान में अगली सरकार किसकी होगी, इसे लेकर अब तक अनिश्चितता बनी हुई है, क्योंकि कोई भी पार्टी सरकार बनाने के लिए जरूरी 133 सीटों के आंकड़े तक पहुंचने में सफल नहीं हुआ है.
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चुनाव परिणाम से यह साफ हो गया है कि किसी भी पार्टी के बहुमत हासिल न कर पाने से पाकिस्तान में अब गठबंधन सरकार बनेगी. पार्टियां अपना बहुमत साबित करने के लिए गठबंधन बनाने की होड़ में जुटी हैं. जरूरी संख्या बल जुटाने के लिए अब ‘हार्स ट्रेडिंग’ चल रही है. इस स्थिति में पीटीआई के सामने मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के प्रमुख पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी दोनों ही किसी भी कीमत पर इमरान खान को देश की सत्ता से दूर रखना चाहते हैं.
यह दोनों नेता गठबंधन के लिए बातचीत कर रहे हैं, लेकिन इन दोनों के हाथ मिलाने के बावजूद वे बहुमत से 6 सीटें पीछे रह जाएंगे.
भारी हो सकता है नवाज-बिलावल का पलड़ा
नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो यदि गठबंधन करते हैं तो उनका पलड़ा भारी हो सकता है. नवाज शरीफ की पीएमएल-एन को 73 सीटें और बिलावल भुट्टो की पार्टी पीपीपी को 54 सीटें मिली हैं. दोनों के गठबंधन करने पर सीटों की कुल संख्या 127 होगी. यह संख्या सरकार बनाने के लिए जरूरी 133 सीटों से 6 कम है.
पाकिस्तान में गुरुवार को हुए नेशनल असेंबली के चुनाव में वोटिंग होने के 60 घंटे से अधिक समय बाद नतीजों का अंतिम आंकड़ा जारी किया गया. इस देरी को लेकर चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं.
नतीजों ने साबित की इमरान खान की लोकप्रियता
देश की गोपनीय जानकारी लीक करने से लेकर भ्रष्टाचार और गैरकानूनी शादी तक के आरोपों से घिरे इमरान खान जेल में हैं. भले ही वे जेल में रहने के दौरान किसी भी सरकार का हिस्सा नहीं बन सकते, लेकिन इसके बावजूद इस पूर्व क्रिकेटर के लाखों समर्थकों ने उनकी पार्टी के बतौर निर्दलीय चुनाव लड़े उम्मीदवारों को वोट दिए. यह परिणाम भले ही इमरान खान की लोकप्रियता को प्रमाणित करने वाले हों, उन्हें फिर से सत्ता की बागडोर थमाने वाले साबित नहीं होंगे.
इमरान के समर्थकों ने भले ही सबसे अधिक सीटें जीती हैं लेकिन वे घोषित तौर पर किसी पार्टी के बैनर तले चुनाव नहीं लड़े, इसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ेगा. जीते हुए इमरान समर्थक निर्दलीय उम्मीदवार भले ही एक साथ हैं, लेकिन वे संसद की उन 70 आरक्षित सीटों में से अपने हिस्से की सीटों पर किसी का नामिनेशन करने के लिए पात्र नहीं हैं. यह सीटें संसद में पार्टी के संख्या बल के अनुसार वितरित की जाती हैं. नवाज शरीफ की पार्टी को इनमें से 20 सीटें तक मिल सकती हैं.
चुनाव के नतीजों से छेड़छाड़ किए जाने का आरोप
पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने पहले संकेत दिया था कि दो सीटों के नतीजे अभी तक शामिल नहीं किए जा सकते हैं, एक वह जिसमें एक उम्मीदवार की मौत होने से उसका मतदान स्थगित किया गया, और दूसरी वह जिसके लिए वोटिंग इस महीने के अंत में होगी.
पाकिस्तान में जारी सियासी दांवपेच के बीच पीटीआई ने चुनाव के नतीजों में छेड़छाड़ किए जाने का आरोप लगाया है. इमरान खान की पार्टी इस मामले को अदालत में ले गई है और कथित हेराफेरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है. पाकिस्तान में आने वाले दिन बहुत अहमियत वाले हैं. पूरी दुनिया की निगाहें पाकिस्तान के राजनीतिक भविष्य पर टिकी हुई हैं. भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे इस देश को क्या स्थिर सरकार मिल पाएगी? आशा है जल्द ही इस सवाल का जवाब मिल जाएगा.