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EXPLAINER: क्या होता है ग्रीन डायमंड, जिससे PM नरेंद्र मोदी को है तरक्की की उम्मीद

कैसे बनाया जाता है ग्रीन डायमंड…?
अब यह जान लें कि लैब में बनाया जाने वाला ग्रीन डायमंड आख़िर किस तरह तैयार किया जाता है. मिली जानकारी के मुताबिक, ग्रीन डायमंड के निर्माण के लिए इस्तेमाल की जा रही लैब में कार्बन सीड को माइक्रोवेव चैम्बर में रखकर भारी दबाव और उच्च तापमान पर डेवलप किया जाता है, और बहुत तेज़ गर्म कर चमकदार प्लाज़्मा का निर्माण किया जाता है. इसी प्रक्रिया में कुछ कण बनते हैं, जो डायमंड में तब्दील हो जाते हैं. इसके बाद ग्रीन डायमंड की कटिंग और पॉलिशिंग की जाती है, और इसकी कटिंग के साथ-साथ इसका डिज़ाइन और रंग भी बिल्कुल कुदरती हीरे जैसा होता है.

पर्यावरण के अनुकूल है ग्रीन डायमंड : ग्रीन डायमंड निर्माण का पर्यावरण के लिहाज़ से एक खुशगवार पहलू यह है कि इसके उत्पादन में सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है. ग्रीन डायमंड निर्माण की समूची प्रक्रिया के दौरान प्रति कैरेट सिर्फ़ 0.028 ग्राम कार्बन ही उत्पन्न होता है, सो, ग्रीन डायमंड पर्यावरण के अनुकूल है.
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सरकार भी दे रही है ग्रीन डायमंड को बढ़ावा
ग्रीन डायमंड या लैब-ग्रोन डायमंड के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने भी कई उपाय किए हैं. उदाहरण के तौर पर केंद्र सरकार ने पांच वर्ष के लिए मद्रास स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, यानी IIT, मद्रास को ₹242.96 करोड़ का रिसर्च फंड भी जारी किया है, ताकि ग्रीन डायमंड को बनाने के लिए ज़रूरी तकनीक को बढ़ावा दिया जा सके. गौरतलब है कि ग्रीन डायमंड का इस्तेमाल ज्वेलरी उद्योग के साथ-साथ कम्प्यूटर चिप, रक्षा, उपग्रहों और 5G नेटवर्क में भी किया जाता है.

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समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, ग्रीन डायमंड का उत्पादन भारत के लिए बाज़ार के लिहाज़ से भी फ़ायदे का सौदा है. ग्रीन डायमंड के वैश्विक बाज़ार में वितवर्ष 2021-22 के दौरान भारत की हिस्सेदारी करीब 25.8 फ़ीसदी रही, और ग्रीन डायमंड ज्वेलरी विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि वर्ष 2025 तक इसका बाज़ार 50 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹4,16,342 करोड़) और वर्ष 2035 तक 150 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹12,49,026 करोड़) का हो जाएगा. भारत के लिहाज़ से देखें, तो वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान कट और चमकीले हीरों के निर्यात का आंकड़ा 14 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹1,16,576 करोड़) रहा, जबकि एक साल पहले तक 2021-22 के दौरान यह 13.5 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹1,12,412 करोड़) रहा था.


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