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EXPLAINER: क्या है 'नकबा', इज़रायल-फ़िलस्तीन जंग में होने लगा है जिसका ज़िक्र…

इज़रायल और हमास के बीच जारी जंग एक पखवाड़े से भी ज़्यादा वक्त से लगातार जारी है…

नई दिल्ली:

इज़रायल और हमास के बीच जारी जंग एक पखवाड़े से भी ज़्यादा वक्त से लगातार जारी है, और ग़ाज़ा में बसे फ़िलस्तीनियों के लिए संकट बढ़ता जा रहा है. हाल ही में कतई अचूक कहलाने वाले ‘आयरन स्टिंग’ मोर्टार बमों का ग़ाज़ा पट्टी के इलाकों पर इस्तेमाल कर चुका इज़रायल यहां बसे फ़िलस्तीनियों से घर छोड़कर चले जाने के लिए कहता आ रहा है, लेकिन फ़िलस्तीनियों की हालत ‘सांप के मुंह में छछूंदर’ सरीखी हो गई है, क्योंकि घर छोड़कर जाने के बारे में सोच रहे लोगों को न सिर्फ़ हमास का डर सता रहा है, बल्कि ‘नकबा’ की 75 साल पुरानी कड़वी और भयावह यादें भी उन्हें घेरे हुए हैं.

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हाल ही में एक-दो बार ‘नकबा’ का ज़िक्र आपने कहीं न कहीं, किसी न किसी ख़बर में पढ़ लिया होगा, सो, यह भी समझ लें कि ‘नकबा’ है क्या…?

क्या है ‘नकबा’ का अर्थ…?

दरअसल अरबी भाषा के शब्द नकबा का अर्थ होता है – क़यामत या प्रलय या तबाही, और 1948 में इज़रायल की स्थापना के साथ ही फ़िलस्तीनियों को लाखों की तादाद में हमेशा-हमेशा के लिए घर-बार छोड़कर भागना पड़ा था, जिसे ‘नकबा’ या ‘फ़िलस्तीनी तबाही’ के तौर पर याद किया जाता है. 1948 में इज़रायल द्वारा फ़िलस्तीनी इलाकों वेस्ट बैंक और ग़ाज़ा पट्टी पर कब्ज़े के दौरान हुए उत्पीड़न और उनके बचकर भाग निकलने के लिए ‘नकबा’ शब्द का ही इस्तेमाल किया जाता रहा है.

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कब से मनाया जा रहा ‘नकबा दिवस’…?

बाद में, वर्ष 1998 में फ़िलस्तीनी नेता यासिर अराफ़ात ने प्रस्ताव रखा था कि नकबा की 50वीं वर्षगांठ मनानी चाहिए, और 15 मई को नकबा दिवस घोषित कर दिया जाना चाहिए. उनका कहना था कि नकबा दिवस को शोक का दिन माना जाना चाहिए, और इस दिन हर फ़िलस्तीनी को घर छोड़कर भागना और क़त्लेआम याद करना चाहिए.

‘नकबा’ को लेकर क्या कहता है इज़रायल…?

इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, दूसरी ओर नकबा के फ़िलस्तीनी बयानों को इज़रायल कहानी करार देता है, जो सहानुभूति हासिल करने के लिए गढ़ी गई. इज़रायल का दावा है कि वहां के लोग यहूदियों से डरकर नहीं, बल्कि 1948 में हुए अरब देशों के हमले की वजह से घर छोड़कर भागे थे, क्योंकि इज़रायल की स्थापना के साथ ही छह अरब मुल्कों ने इज़रायल पर हमला बोल दिया था, जिससे तबाही का आलम बन गया, और यहूदियों के अलावा फ़िलस्तीनी भी मारे जाने लगे, सो, इसी वक्त फ़िलस्तीनी हमले में मारे जाने से बचने के लिए जंग में अपने देश का साथ देने की जगह मुल्क छोड़कर भाग गए.

इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, फ़िलस्तीनी संस्कृति पर नकबा का काफ़ी असर दिखता है, और इसे फ़िलस्तीनियों की पहचान का मूलभूत प्रतीक माना जाता है. नकबा को लेकर अनेक किताबें, गीत और कविताएं लिखी गई हैं.

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