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Explainer: मोदी सरकार ने किसानों के सामने क्‍यों रखा फसलों के विविधीकरण का विकल्प…?

नई दिल्‍ली :

केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को फसलों के विविधीकरण का विकल्प दिया है. अब सवाल उठता है कि आखिर प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेताओं और केंद्र सरकार के बीच रविवार को जब बातचीत हुई, तब फसलों के विविधीकरण का विकल्प सरकार ने क्यों दिया? दरअसल, भारत में 2 हेक्टेयर से कम ज़मीन वाले 80 फ़ीसदी किसान हैं. मक्का, दाल, कपास जैसी फसलों को ज़्यादा क़ीमत मिलती है. किसानों की इससे आमदनी बढ़ेगी और लागत मूल्य घटेगी. 

चावल-गेहूं की जगह दलहन और तिलहन 

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फसलों के विविधीकरण को अपनाने से पानी और मिट्टी की उर्वरता जैसे प्राकृतिक संसाधनों को बचाने में मदद मिलेगी. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के ज़रिए दलहन और तिलहन के उपज में वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है. परंपरागत फसलें मसलन चावल और गेहूं ज़्यादातर बारिश पर निर्भर करती हैं, जो पर्यावरण और कृषि स्थिरता पर नकारात्मक असर डालती हैं.

क्या है सरकार का नया प्रस्ताव?

  • फसलों का विविधघीकरण करें किसान
  • दलहन, मक्का, कपास उगाने पर रहे जोर
  • 5 साल तक इन फसलों पर सरकार देगी MSP की गारंटी
  • NCCF और NAFED के जरिए करार कर देगी गारंटी 
  • विविधीकरण कम लागत पर अच्छी क़ीमत पाने का मौका 

सरकार ने क्या दिया है प्रस्ताव?

किसान अगर फसलों के विविधीकरण की ओर यानि दलहन मक्का और कपास उगाता है, तो पांच साल तक सरकार NCCF और नेफेड के ज़रिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लेने का लिखित आश्वासन देगी. फसलों के विविधीकरण के ज़रिए सरकार किसानों को अच्छा मूल्य और खेती की लागत कम रखने का मौक़ा दे रही है.  सरकार और किसान संगठनों के बीच चौथे दौर की वार्ता सकारात्मक रही है. क़रीब 4 घंटे चली बैठक में सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि मक्का, कपास, दलहन की पांच साल तक MSP पर पूरी ख़रीद की जाएगी. बैठक के बाद किसान संगठनों ने कहा कि वो सरकार के प्रस्ताव पर आज और कल आपस में बातचीत कर आगे का फ़ैसला करेंगे. किसानों ने तब तक दिल्ली चलो प्रदर्शन रोकने की बात कही है. 

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पीयूष गोयल ने कही ये बात 

बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा चार मुद्दों पर क़रीब-क़रीब सहमति बन गई है. उन्होंने ये भी कहा कि फसलों के MSP पर फ़ैसला ऐसे नहीं हो सकता है, सभी राज्यों से भी बात करनी होगी. बैठक में शामिल भगवंत मान ने कहा कि ख़रीद एजेंसियों के लिए कोई नियम हो, ताकि सरकार बदले लेकिन गारंटी न बदले.

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