नहीं रहे मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन, 73 साल की उम्र में ली आखिरी सांस
नई दिल्ली:
सुप्रसिद्ध तबला वादक और पद्मविभूषण से सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) नहीं रहे. अपने तबले की थाप से एक पूरे युग को प्रभावित करने वाले जाकिर हुसैन पिछले कुछ वक्त से बीमार थे. उन्हें हृदय संबंधी समस्याओं के बाद अमेरिका के शहर सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन की खबर से उनके चाहने वालों में दुख की लहर छा गई. हुसैन की प्रबंधक निर्मला बचानी ने बताया कि अमेरिका में रह रहे 73 वर्षीय संगीतकार को रक्तचाप की समस्या थी.
🔴BREAKING | नहीं रहे तबला वादक जाकिर हुसैन, 73 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
सुप्रसिद्ध तबला वादक और पद्मविभूषण से सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन नहीं रहे. अपने तबले की थाप से एक पूरे युग को प्रभावित करने वाले जाकिर हुसैन पिछले कुछ वक्त से बीमार थे. उन्हें हृदय संबंधी समस्याओं… pic.twitter.com/kKHN54uBXz
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बचानी ने कहा, ‘‘हुसैन हृदय संबंधी समस्या के कारण पिछले दो सप्ताह से सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती थे.”
दुनिया में तबले के पर्याय थे जाकिर हुसैन
महान तबला वादक अल्लाह रक्खा के सबसे बड़े बेटे जाकिर हुसैन ने अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए भारत और दुनिया भर में एक अलग पहचान बनाई.
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भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
हुसैन को 5 ग्रैमी पुरस्कारों से नवाजा गया
हुसैन ने अपने करियर में पांच ग्रैमी पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले थे.
हुसैन ने अपने तबले के साथ एक्टिंग में भी हाथ आजमाया. उन्होंने 12 फिल्मों में अभिनय किया. साल 1983 में ब्रिटिश फिल्म हीट एंड डस्ट से उन्होंने फिल्मों में डेब्यू किया. फिल्म में शशि कपूर जैसे नामचीन अभिनेता उनके साथ थे.
मुंबई में जन्मे, 11 साल की उम्र में पहली प्रस्तुति
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था. उनके पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा भी पेशे से तबलावादक थे. उन्होंने मुंबई के माहिम में स्थित सेंट माइकल स्कूल से पढ़ाई की और फिर मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की. महज 11 साल की उम्र में पहली बार उन्होंने ऑडियंस के सामने अपनी पहली प्रस्तुति दी थी.