सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश फातिमा बीवी का 96 साल की उम्र में निधन
सूत्र ने बताया कि न्यायमूर्ति बीवी का पार्थिव शरीर दोपहर में पतनमतिट्टा शहर स्थित उनके घर लाया गया और शुक्रवार को उन्हें राजकीय सम्मान के साथ दफनाया जाएगा. जिला पुलिस प्रमुख के नेतृत्व में आधिकारिक सम्मान प्रदान किया जाएगा. केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमसीर, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, मंत्रियों, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया.
तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि, मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और राज्य के कई नेताओं ने भी पूर्व राज्यपाल के निधन पर शोक व्यक्त किया. अन्नाद्रमुक के महासचिव के. पलानीस्वामी ने भी कि न्यायमूर्ति फातिमा के निधन पर शोक जताया. आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘‘उनका जीवन कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की एक प्रेरणादायक कहानी है और उनका योगदान उनकी गहन सामाजिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है. उनकी आत्मा को शांति मिले.”
मुख्यमंत्री विजयन ने लड़कियों के सामने आने वाली शैक्षणिक चुनौतियों से पार पाने से लेकर विधि क्षेत्र में अपना करियर शुरू करने के बाद उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनने तक की न्यायमूर्ति बीवी की यात्रा को याद किया. उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति बीवी मुस्लिम समुदाय की पहली महिला थीं, जो उच्च न्यायपालिका का हिस्सा बनीं और उन्होंने सामाजिक स्थितियों के सभी प्रतिकूल पहलुओं को एक चुनौती मानकर उनका सामना किया.
विजयन ने कहा कि उनका जीवन सभी के लिए, खासकर महिलाओं के लिए प्रेरणा है. उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति बीवी को श्रद्धांजलि देने के लिए उन्हें केरल प्रभा पुरस्कार के लिए चुना गया है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने न्यायमूर्ति फातिमा बीवी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश और तमिलनाडु की राज्यपाल के रूप में अपनी छाप छोड़ी. जॉर्ज ने एक बयान में कहा, ‘‘वह एक बहादुर महिला थीं, जिनके नाम कई रिकॉर्ड हैं. वह ऐसी हस्ती थीं, जिन्होंने अपने जीवन से यह दिखाया कि दृढ़ इच्छा शक्ति और मकसद को लेकर समझ होने से किसी भी विपरीत परिस्थिति से पार पाया जा सकता है.”
न्यायमूर्ति बीवी का केरल के पतनमतिट्टा जिले में अप्रैल 1927 में जन्म हुआ था. उन्होंने वहां स्थित ‘कैथोलिकेट हाई स्कूल’ से स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर तिरुवनंतपुरम स्थित ‘यूनिवर्सिटी कॉलेज’ से बीएससी की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने तिरुवनंतपुरम स्थित ‘विधि महाविद्यालय’ से कानून की डिग्री ली और 1950 में वकील के रूप में पंजीकरण कराया.
इसके बाद उन्हें 1958 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवाओं में मुंसिफ के रूप में नियुक्त किया गया. उन्हें 1968 में अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और वह 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बनीं. न्यायमूर्ति बीवी 1974 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश बनीं और 1980 में उन्हें आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया. उन्हें 1983 में केरल उच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया और अगले ही वर्ष वह वहां स्थायी न्यायाधीश बन गईं.
वह 1989 में भारत के उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनीं और 1992 में वहां से सेवानिवृत्त हुईं. न्यायमूर्ति बीवी ने सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य के रूप में कार्य किया. वह 1997 में तमिलनाडु की राज्यपाल बनीं.
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