देश

पहले चाचा पर दिखाया भरोसा, अब भतीजे पड़ रहे भारी… अचानक BJP के लिए इतने जरूरी क्यों हो गए चिराग पासवान

दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) 3 साल पहले टूट गई थी. पार्टी के पांच सांसदों- पशुपति कुमार पारस (चिराग के चाचा), चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज (चिराग के चचेरे भाई) ने मिलकर राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया था. इन सांसदों ने पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया था. उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ संसदीय दल के नेता का जिम्मा भी सौंपा गया था. वहीं, LJP में चिराग पासवान समेत कुल छह ही सांसद रह गए थे. चिराग पासवान के गुट को नाम लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (LJP-R) मिला. बाद में पशुपति पारस गुट NDA के साथ गठबंधन में आ गई. पारस केंद्रीय मंत्री भी बने.

‘INDIA’ के लिए AAP ने बड़ी ‘कुर्बानी’ देकर कांग्रेस को दे डाली चुनौती

अब NDA से क्यों नाराज हैं पशुपति पारस

हाजीपुर सीट को लेकर पशुपति पारस और चिराग पासवान में खींचतान है. ये सीट रामविलास पासवान की सीट है. इसलिए चिराग पासवान अपने पिता की सीट पर दावा करते हैं. लेकिन पशुपति पारस का कहना है कि भाई रामविलास पासवान ने ही उन्हें यह सीट दी थी. अभी बिहार में NDA की सीट शेयरिंग सामने नहीं आई है, लेकिन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद चिराग पासवान ने डील को लेकर बयान दे दिया. खबर आई कि बीजेपी चिराग पासवान को LJP के कोटे की सभी 5 सीटें देने को तैयार है. इसके साथ ही चिराग पासवान को हाजीपुर सीट भी मिलेगी. यह भी कहा गया कि डील के बाद चिराग पासवान LJP का पुराना चुनाव चिह्न भी इस्तेमाल कर पाएंगे. यानी BJP पूरी तरह से LJP के दूसरे गुट यानी पशुपति पारस के गुट की अनदेखा कर रही है. पारस इसी से नाराज चल रहे हैं.

जेपी नड्डा और अमित शाह से मिलने के लिए नहीं दिया जा रहा वक्त

पशुपति पारस गुट को बिहार में NDA गठबंधन को लेकर क्या चर्चा चल रही है उसके बारे में आधिकारिक तौर पर अब तक कोई जानकारी नहीं दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, पशुपति पारस पिछले करीब एक हफ्ते से BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनको वक्त नहीं मिल पा रहा है. सूत्रों का कहना है कि पशुपति पारस हाजीपुर से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं. भले ही वहां गठबंधन में कोई भी क्यों ना हो. 

यह भी पढ़ें :-  गुरुजी का सत्संग, हजारों की भीड़, फिर 116 लोगों की मौत, आखिर ऐसा क्या हुआ? जानिए हाथरस में मची भगदड़ की पूरी कहानी

BJP का दिल्ली में नए चेहरों पर दांव ‘INDIA’ पर कितना भारी? क्या कहता है सीटों का समीकरण

पारस ने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर NDA में हमें उचित सम्मान नहीं दिया गया, तो हमारी पार्टी स्वतंत्र है. हमारे दरवाजे खुले हैं. हम कहीं भी जाने को तैयार रहेंगे. मुझसे बात नहीं की गई है. मैं हाजीपुर से ही चुनाव लडूंगा. जब तक बिहार में एनडीए गठबंधन की सूची जारी नहीं हो जाती, हम इंतजार करेंगे.”

2-3 सीटों की उम्मीद करे थे पशुपति पारस

सूत्रों के मुताबिक, पशुपति पारस गुट उम्मीद कर रहा था कि उनको कम से कम 2-3 सीटें NDA के तहत जरूर मिलेंगी. लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. सूत्रों की मानें तो, पशुपति पारस गठबंधन से बात करने के लिए कभी विनोद तावड़े तो कभी मंगल पांडे आ रहे थे. मगर उनकी तरफ से भी कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल रहा था. ऐसे में गुजरते वक्त के साथ पशुपति पारस का NDA में रहना मुश्किल लग रहा है.

BJP के लिए अचानक इतने खास क्यों हो गए चिराग पासवान?

2021 में लोक जनशक्ति पार्टी में टूट हुई थी. फिर पशुपति पारस को NDA का साथ मिला और चिराग पासवान एकदम से हाशिये पर चले गए. ऐसे में सवाल ये उठता है कि 3 साल में क्या हुआ, जो चिराग पासवान BJP के लिए इतने जरूरी हो गए? इसके कई कारण हैं:-  

नेहरू की विरासत फूलपुर सीट से BJP किसे उतारेगी? बेलगावी और छत्रपति संभाजीनगर में किसे मिलेगा मौका

युवाओं में जबरदस्त अपील

चिराग पासवान युवा नेता हैं और जाहिर तौर पर युवाओं के बीच उनकी जबरदस्त अपील है. हाजीपुर में सांसद के तौर पर भले ही पशुपति पारस का वोटर्स से जुड़ाव रहा हो. लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाए, तो वोटर्स का एक बड़ा तबका चिराग पासवान के साथ ही है. 

यह भी पढ़ें :-  खराब नतीजे आने पर राहुल गांधी को क्या करना चाहिए? प्रशांत किशोर ने दी सलाह

जनता के बीच सक्रिय

चिराग पासवान इस क्षेत्र में अपने चाचा पशुपति पारस से ज्यादा एक्टिव रहते हैं. 2019 में रामविलास पासवान के LJP अध्यक्ष रहते पार्टी का सारा काम उनके बेटे चिराग पासवान ही देखा करते थे. पार्टी वर्कर्स के साथ उनका अच्छा संवाद होता था, जो अभी भी बना हुआ है.

रामविलास पासवान की विरासत

हाजीपुर में रामविलास पासवान की विरासत जाहिर तौर पर उनके बेटे के पक्ष में ही जाएगी. यहां के वोटर्स और रामविलास पासवान के साथ जुड़े लोग चिराग पासवान को ही उनका उत्तराधिकारी मानते हैं. अगर चिराग पासवान NDA में रहते हुए हाजीपुर से चुनाव लड़ते हैं, तो जाहिर तौर पर इसका फायदा BJP को भी होगा. 

BJP-JJP ने ‘सीक्रेट डील’ से तोड़ा गठबंधन? क्या वाकई बिगड़े रिश्ते या कांग्रेस का बिगाड़ना है ‘खेल’

जनता की सहानुभूति

पिता रामविलास पासवान की मौत के बाद चिराग पासवान को जनता की सहानुभूति भी मिलती है. खासकर लोक जनशक्ति पार्टी में टूट के बाद चिराग को लेकर कोर वोटर्स में सहानुभूति का माहौल है. लेकिन पशुपति पारस के साथ ऐसा नहीं है.

महागठबंधन से न्योता

चिराग की अहमियत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि उन्हें महागठबंधन के दूसरे दलों (आरजेडी, कांग्रेस और अन्य) से भी कई बार ऑफर मिल चुका है. हाल ही में तेजस्वी यादव ने चिराग पासवान से मुलाकात की थी और उन्हें सीटों को लेकर बड़ा ऑफर दिया था.

चाचा बनाम भतीजा : हाजीपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री पारस ने भी ठोकी ताल, क्या चिराग मान जाएंगे?

बिहार की सियासत में जरूरी

चिराग पासवान का बिहार की सियासत में अच्छा-खासा दखल है. दलित-ओबीसी वोट का एक बड़ा तबका उनके समर्थन में है. रामविलास पासवान दलितों के नेता माने जाते थे. BJP को डर है कि अगर चिराग पासवान महागठबंधन में चले गए, तो दलित-ओबीसी वोट बंटेगा. इससे BJP को नुकसान हो सकता है. यही सोचकर BJP ने नीतीश कुमार को अपने पाले में शामिल किया. क्योंकि नीतीश कुमार भी पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग की बात करते आए हैं.

यह भी पढ़ें :-  करगिल युद्ध की कहानी भारतीय वायु सेना के उन 5 हीरो की जुबानी जो पाकिस्तान पर कहर बनकर टूटे

सब कुछ खोने के बाद भी BJP के साथ रहे

चिराग पासवान की एक खासियत भी है, जो BJP को पसंद आई होगी. उन्होंने पहले अपना पिता खोया. फिर पार्टी में टूट हुई. चाचा ने पार्टी छीन ली और BJP ने उन्हें सरकार में शामिल कर लिया. पिता की विरासत हाजीपुर सीट भी चाचा के कोटे में चली गई. सबकुछ हाथ से फिसलने के बाद भी चिराग ने कभी पार्टी के खिलाफ जाकर कुछ नहीं कहा. शायद BJP अब चिराग को इसी वफादारी का हक अदा कर रही है. 

Explainer: महाराष्ट्र में टूटती-बिखरती कांग्रेस, राहुल गांधी की ‘न्याय यात्रा’ खत्म होने तक राज्य में कितनी बचेगी पार्टी?

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button