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जिंदगी की जंग हार गईं लोक गायिका शारदा सिन्हा, 72 साल की उम्र में ली आखिरी सांस


नई दिल्ली:

जानी-मानी लोक गायिका शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) का मंगलवार को निधन हो गया. दिल्ली के एम्स में उन्होंने 72 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. शारदा सिन्हा की तबीयत सोमवार को अचानक बिगड़ी थी, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था. उन्हें बिहार की ‘स्वर कोकिला’ भी कहा जाता था. शारदा सिन्हा ने तमाम छठ गीतों (Chhat Geet) को अपनी आवाज दी थी. छठ पर्व के दौरान उनके इस दुनिया से अलविदा लेने से देश में शोक की लहर है.

शारदा सिन्हा के पति का हाल ही में ब्रेन हैमरेज से निधन हुआ था. इसके बाद से उनकी तबीयत भी खराब रहने लगी थी. बीते दिनों उन्हें बोन मैरो कैंसर डिटेक्ट हुआ था. जिसके बाद उनका इलाज AIIMS के अंकोलॉजी मेडिकल डिपार्टमेंट में चल रहा था. 

बेटे ने यू-ट्यूब पर लाइव आकर दी थी शारदा सिन्हा की हालत की जानकारी
शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा ने सोमवार शाम यूट्यूब पर लाइव आकर अपनी मां की तबीयत के बारे में जानकारी दी थी. उन्होंने लोगों से अपनी मां के लिए दुआ करने को कहा था. अंशुमान ने कहा था, “मेरी मां वेंटिलेटर पर हैं. उन्हें प्रार्थना और दुआ की बहुत जरूरत है. अब आप सभी लोग प्रार्थना जारी रखिए. एक बड़ी लड़ाई में मेरी मां जा चुकी है. इस लड़ाई से जीतना काफी मुश्किल है. यही प्रार्थना कीजिए कि वह लड़कर बाहर आ सके.”

PM मोदी ने फोन करके ली थी शारदा सिन्हा के सेहत की जानकारी
4 नंवबर की शाम को शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल काफी गिर गया था, जिसके बाद से वो वेंटिलेटर पर थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को ही शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा से फोन पर बात करके उनकी सेहत के बारे में जानकारी ली थी.

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बिहार के सुपौल जिले में हुआ था जन्म
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 में बिहार के सुपौल जिले के हुलास में हुआ था. उन्होंने बैचलर ऑफ एजुकेशन और म्यूजिक से MA किया है. उनके पिता सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग में सीनियर अधिकारी हुआ करते थे. शारदा सिन्हा के पति का नाम ब्रजकिशोर सिन्हा था. हाल ही में ब्रेन हैमरेज से उनकी मौत हुई थी. उनके दो बच्चे हैं. बेटे का नाम अंशुमान सिन्हा और बेटी का नाम वंदना है.

1974 में पहली बार गाया भोजपुरी गीत
शारदा सिन्हा मुख्य तौर पर मैथिली और भोजपुरी में लोकगीत गाती थीं. उन्होंने 1974 में पहली बार भोजपुरी गीत गाना शुरू किया था. 1978 में शारदा सिन्हा ने पहली बार उग हो ‘सूरज देव गाना’ रिकॉर्ड किया. 

‘कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां’ से बॉलीवुड में एंट्री
1989 में उनका गाना ‘कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां’ रिलीज हुई. इसी गाने से उनकी बॉलीवुड में एंट्री हुई. शारदा सिन्हा ने समस्तीपुर वीमेन कॉलेज में बतौर प्रोफेसर काम भी किया है. उन्होंने छठ के अलावा शादी, मुंडन, जनेऊ, विदाई और श्रद्धांजलि के गीत भी गाए हैं.

इन पुरस्कारों से हो चुकीं सम्मानित
शारदा सिन्हा को 1991 में पद्मश्री अवॉर्ड मिल चुका है. 2000 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2006 में वो राष्ट्रीय अहिल्या देवी अवॉर्ड से सम्मानित हुईं. 2015 में बिहार सरकार ने उन्हें बिहार सरकार पुरस्कार से नवाजा. 2018 में भारत सरकार ने शारदा सिन्हा को पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था.

गृह मंत्री अमित शाह ने दी श्रद्धांजलि
गृह मंत्री अमित शाह ने लोक गायिका शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि दी है. अमित शाह ने X पर लिखा, “अपनी मधुर आवाज़ से पांच दशकों से अधिक समय तक भारतीय संगीत को नई ऊंचाई देने वाली शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुःखी हूं. बिहार कोकिला के रूप में प्रसिद्ध शारदा सिन्हा जी ने मैथिली और भोजपुरी लोकगीतों को जन-जन का कंठहार बनाया और पार्श्व गायिका के रूप में फिल्म जगत को मंत्रमुग्ध करतीं रहीं. पूर्वांचल के लोक संस्कार उनकी आवाज़ के बिना अधूरे लगते हैं. इस छठ महापर्व पर उनका स्वर भक्तों को निश्चय ही और भी भावुक करेगा. दुःख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों के साथ हैं. छठी मैया दिवंगत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान दें. ऊं शांति शांति शांति.”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया याद
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शारदा सिन्हा को याद किया है. उन्होंने लिखा, “श्रीमती शारदा सिन्हा जी के निधन से मुझे अत्यंत दुख हुआ है. वे एक बहुमुखी प्रतिभा की धनी लोक गायिका थीं, जिन्होंने भोजपुरी भाषा को जन-जन के बीच लोकप्रिय बनाया. उनके गीतों को लोग लंबे समय तक याद रखेंगे. उनके निधन से लोक संगीत की दुनिया ने एक प्रभावी स्वर खो दिया है. दुःख की इस घड़ी में मैं उनके शोकाकुल परिवार और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं. ऊं शान्ति!”


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