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नेताजी कब तक बनाएंगे जाति को सियासी हथियार? संसद में एक बयान पर क्यों इतना हंगामा


नई दिल्ली:

हमारे देश में कई ऐसे संवैधानिक नियम-कानून हैं, जिनमें जाति को आधार बनाया गया है. चुनाव के लिए कई सीटों को जाति के नाम पर आरक्षण मिलता है. नौकरियों में भी रिजर्वेशन मिलता है. मकसद ये है कि सामाजिक या आर्थिक तौर पर जो आबादी पीछे रह गई है, वो मेन स्ट्रीम में आ जााए. वो विकास में बराबर के भागीदार बने. देश के बाकी नागरिकों के साथ कदम से कदम से मिला कर चले. जाति को आधार बनाकर राजनीतिक दल भी चुनाव और संगठन से जु़ड़ी अपनी रणनीति बनाते हैं, लेकिन देश की राजनीति में पिछले 48 घंटों से इस बात तेज विवाद छिड़ गया है कि जाति आखिर क्यों नहीं जाती?

कहां से शुरू हुआ बवाल?
दरअसल, संसद के मॉनसून सत्र के सातवें दिन मंगलवार (30 जुलाई) को अग्निवीर स्कीम और जातिगत जनगणना पर BJP सांसद अनुराग ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और सपा सांसद अखिलेश यादव के बीच जमकर बहस हुई. सबसे पहले अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा-“आजकल कुछ लोगों पर जाति जनगणना का भूत सवार है. जिसकी जाति का नाम नहीं, वो जाति जनगणना कराना चाहते हैं.” इस पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. इसी बीच राहुल गांधी ने अनुराग ठाकुर पर उन्हें गाली देने का आरोप लगा दिया. अखिलेश यादव भी इस बहस में शामिल हो गए. उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा- “भला कोई किसी की जाति कैसे पूछ सकता है?”

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सवाल ये उठता है कि अगर जाति वाले इस बयान पर इतनी आपत्ति है, तो इसे सदन की कार्यवाही से हटाया क्यों नहीं गया? नियमों के मुताबिक, किसी का नाम लिए बगैर दिए गए बयान के एक खास हिस्से को सदन की कार्यवाही के रिकॉर्ड से हटाया नहीं जाता. बीजेपी ने भी यही कहकर अपना बचाव किया कि अनुराग ठाकुर ने अपने बयान में किसी का नाम तो नहीं लिया.

बाद में अनुराग ठाकुर ने भी दलील दी, “कुछ लोग OBC की बात करते हैं. इनके लिए OBC का मतलब है, ऑनली फॉर ब्रदर इन लॉ कमीशन. मैंने कहा था, जिसको जाति का पता नहीं, वो गणना की बात करता है. मैंने नाम किसी का नहीं लिया था, लेकिन जवाब देने कौन खड़े हो गए.”

राहुल गांधी ने दिया जवाब
राहुल गांधी ने कहा, “जो भी दलितों की बात उठाता है उसे गाली खानी ही पड़ती है. मैं ये सब गालियां खुशी से खाऊंगा. महाभारत की बात हुई तो अर्जुन को सिर्फ मछली की आंख दिख रही थी, तो हमें जातीय जनगणना चाहिए वह हम करा के रहेंगे. इसके पीछे चाहे मुझे कितनी भी गाली दी जाएं.”

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हमारे देश में जयप्रकाश नारायण जैसे नेता भी हुए, जिन्होंने जातिवाद के खिलाफ गंभीर पहल की. जेपी ने जाति तोड़ो सम्मेलन आयोजित किए. लोहिया जैसे नेता भी हुए, जिन्होंने माना कि भारत की गुलामी के लिए जाति का भेदभाव ही जिम्मेदार है. बावजूद इसके हर ज़माने में देश की राजनीति ने आगे बढ़कर जातिवाद को गले से लगाया. लेकिन नारा ये दिया कि जात-पांत पर नहीं, बल्कि उनके नेता की बात पर वोट मिलते हैं. 

जाति के नाम पर इतना हंगामा क्यों है?
सवाल उठता है कि जाति के नाम पर इतना हंगामा क्यों हो रहा है? कांग्रेस कह रही है कि राहुल गांधी की जाति कैसे पूछ दी? दूसरी ओर, बीजेपी ये कहते हुए पलटवार कर रही है कि जो कांग्रेस देशभर में जातीय जनगणना की बात कर रही है, वो जाति के मसले पर इतना भड़क कैसे सकती है?

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पीएम के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस
संसद में जाति को लेकर हुए बवाल को विपक्ष जोर-शोर से उठा रही है. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है. पार्टी सांसद और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने प्रधानमंत्री के खिलाफ ये नोटिस दिया. 

कांग्रेस ने लोकसभा में बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर के भाषण को सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट करने का आरोप भी लगाया है. पार्टी का कहना है कि अनुराग ठाकुर के भाषण के कुछ अंश सदन के रिकॉर्ड से निकाल दिए गए थे. 

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, “जाति जनगणना 80% लोगों की मांग है. क्या अब देश की संसद में उन्हें गालियां दी जाएंगी?”

राहुल गांधी को अपनी जाति और धर्म बताने से दिक्कत क्यों?
बीजेपी भी इस मसले पर पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रही है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी पर पलटवार किया है. गिरिराज सिंह ने कहा कि उन्हें अपनी जाति और धर्म बताने में क्या परेशानी है, क्योंकि जाति जनगणना में तो जाति बतानी ही होगी.”

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भारतीय राजनीति में रची-बसी है जाति
देखा जाए तो जाति भारतीय राजनीति में पूरी तरह से रच और बस गई है. बिहार में मदन मोहन झा को जब 2017 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी मिली, तो पटना में एक ऐसा पोस्टर लगाया गया जो विवादों में आ गया. पोस्टर में नेताओं की तस्वीर के आगे उनकी जातियां भी लिख दी गई थी. इस पोस्ट में राहुल गांधी के आगे ब्राह्मण समुदाय लिखा गया था. इसी तरह किसी के नाम के आगे राजपूत, किसी के साथ भूमिहार लिखा गया. किसी की पहचान मुस्लिम, तो किसी की पहचान पिछड़ा समुदाय के रूप में दर्ज कराई गई. इसे सोशल इंजीनियरिंग का नाम दिया जाता है.

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हर बार जब कोई भी चुनाव आता है, तो जाति हर चीज़ पर हावी हो जाती है. सभी दल चुनाव में उम्मीदवारों का नाम तय करते वक्त जातीय समीकरण का खास ख्याल रखते हैं. संसद और विधानसभाओं में पहुंचने वाले कई नेता जाति के नाम पर ही वोट मांगते हैं. जाति के नाम पर सम्मेलन कराए जाते हैं और वोट बैंक को साधा जाता है.

नेताओं और पार्टियों में जातियों का मसीहा बनने की लग जाती है होड़
चुनाव के समय अलग-अलग नेताओं और पार्टियों में खुद को अलग-अलग जातियों का सबसे बड़ा हमदर्द बताने की होड़ लगाई जाती है. और तो और जब आप जातीय गणना करते हैं, तब घर-घर जाकर जाति ही तो पूछते हैं? गौर करने वाली बात ये है कि जातीय जनगणना का कोई भी राजनीतिक दल खुलकर विरोध नहीं कर रहा है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
जाति को लेकर जारी सियासी जंग पर The Hindkeshariने कई एक्सपर्ट से बात की. लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रविकांत ने बताया, “जाति शुरू से ही राजनीति का विषय रही है. जिस समय राजतंत्र थे, उस समय भी सामाजिक व्यवस्था जाति पर आधारित थी. जाति के आधार पर लंबे समय से इस देश में दलितों और पिछड़ों का उत्पीड़न होता रहा है. जाति पूछकर उनका अपमान होता रहा है. जाति पूछने में दिक्कत नहीं है. सवाल ये है कि जाति को लेकर सवाल पूछने में आपकी नियत क्या है?”

प्रो. रविकांत कहते हैं, “अगर आप सच में जानना चाहते हैं कि राहुल गांधी की जाति क्या है, तो जातिगत जनगणना कराने में क्या दिक्कत है? वहां से आपको राहुल गांधी तो क्या हर किसी की जाति के बारे में पता चल जाएगा. लेकिन संसद में बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर की मंशा अपमानित करने की थी. कल जो राहुल गांधी से पूछा गया, वो सही नियत से नहीं पूछी गई थी.”

बीजेपी के प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कहा, “जब 2011 में जातिगत गणना हुई थी, तब इसमें 9 करोड़ खामियां पाई गईं. अब तक ज्यादातर त्रुटियों का कोई निदान नहीं है. हम निश्चित रूप से चाहते हैं कि जातीय जनगणना हो, लेकिन ये पूरी तरह से त्रुटिहीन हो. बीजेपी वैचारिक रूप से जातिगत जनगणना का समर्थन करती आई है. लेकिन संवैधानिक रूप से पहले इसमें त्रुटियों को निकालना होगा? ये राजनीति का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नीति का विषय होना चाहिए.”

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कांग्रेस प्रवक्ता अजय कुमार कहते हैं, “बीजेपी कहती है कि उसका स्टैंड क्लियर है. बीजेपी ने अपने एफिडेविट में सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा था… जातिगत जनगणना मत करवाए. इससे समाज में दरारें पड़ेंगी. इसका मतलब है कि बीजेपी का स्टैंड अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग हो जाता है.”

कांग्रेस प्रवक्ता की बातों पर पलटवार करते हुए बीजेपी प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कहा, “मेरा सवाल ये है कि अनुराग ठाकुर की बातों से राहुल गांधी का अपमान कैसे हुआ? अगर जाति पूछे जाने से राहुल गांधी का अपमान हुआ, तो उनका अस्तित्व बहुत कमजोर है. उन्हें अपने अस्तित्व पर काम करने की जरूरत है.”

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