खरगे के एक शब्द पर राज्य सभा में छिड़ा संग्राम, मांगी माफी

नई दिल्ली:
संसद की कार्यवाही में आज भी हंगामा देखने को मिल रहा है. राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की एक बात पर जबरदस्त हंगामा हुआ. ये हंगामा तब शुरू हुआ जब शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर राज्यसभा में चर्चा शुरू हुई. चर्चा शुरू होने के पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हम चर्चा के लिए तैयारी करके आए हैं और…. इसी पर जे पी नड्डा ने आपत्ति जताते हुए कि खरगे जी ने अध्यक्ष की पीठ का अपमान हुआ है. खरगे जी को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए और असंसदीय शब्द को सदन की कार्यवाही से हटा देना चाहिए.
इसके बाद खरगे ने कहा कि अगर उनकी बात से अध्यक्ष की पीठ को ठेस पहुंची है तो माफ़ी चाहते हैं. लेकिन उन्होंने कहा कि उन्होंने अध्यक्ष के खिलाफ़ कुछ नहीं बोला था बल्कि सरकार के खिलाफ़ बोला था. अध्यक्ष के आसन पर मौजूद उपाध्यक्ष हरिवंश ने कहा कि असंसदीय शब्द को वो कार्यवाही से हटा देंगे. दरअसल ये सब तब शुरू हुआ जब सीनियर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को शिक्षा मंत्रालय पर चर्चा करनी थी. जैसे ही उपसभापति हरिवंश ने दिग्विजय सिंह का नाम पुकारा वैसे ही सदन में हंगामा होने लगा. हालांकि उपसभापति हंगाम को शांत करने की पूरी कोशिश करते रहे, लेकिन इसके बावजूद भी हंगामा होता रहा.

कांग्रेस अध्यक्ष की किस बात पर हंगामा
इस बीच दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं क्या बोलूंगा. इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष खरगे खड़े हुए उन्होंने कहा कि सुबह में एजुकेशन मिनिस्टर आए नहीं. क्या डिक्टेटरशिप हो गया, सुनिए. मैं आपसे हाथ जोड़ के विनती करता हूं. हमें बोलना है और हम बोलने के लिए तैयार भी हैं. इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने एक ऐसा शब्द इस्तेमाल कर लिया, जिस पर तुरंत सदन में हंगामा होने लगा. जेपी नड्डा सदन में खड़े होते हुए कहा कि बहुत ही दुख कि बात है जो इतने तजुर्बेकार हैं. लंबे समय तक जिन्होंने संसदीय कार्य के रूप में प्रदेश में भी और संसद में भी नेतृत्व किया और सदस्य के रूप में भी कार्य किया. जो भाषा का आपने इस्तेमाल किया, ये अति निंदनीय है. जिस पर विपक्षी दलों की तरफ हंगामा होता रहा. मगर जेपी नड्डा ने कहा कि उनकी भाषा माफी योग्य नहीं, लेकिन फिर भी उन्हें माफी मांगनी चाहिए.