हिंडनबर्ग जैसी साजिश से बचने के लिए क्या करें कंपनी और इन्वेस्टर्स? पूर्व एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने समझाया
नई दिल्ली:
अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च पर बहुत जल्द ताला लगने जा रहा है. हिंडनबर्ग ने अदाणी ग्रुप समेत कई बिजनेस ग्रुप को टारगेट किया था. यहां तक कि मार्केट रेगुलेटर SEBI पर भी सवाल उठाए थे. पूर्व एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अब कंपनी के बंद होने को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. रोहतगी ने हिंडनबर्ग को एक गैर-जिम्मेदाराना कंपनी करार दिया है. The Hindkeshariके शो में पूर्व एटॉर्नी जनरल ने बताया कि भविष्य में हिंडनबर्ग जैसी कंपनियों के साजिश से बचने के लिए भारत की कंपनियों और निवेशकों को क्या करना चाहिए.
पूर्व एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, “हिंडनबर्ग बहुत गैर-जिम्मेदाराना ऑर्गनाइजेशन है. इसका न तो कोई प्रॉपर बेसिस है. न ही कभी इसकी मंशा सही रही थी. ये अपने आप को रिसर्च बॉडी बताती है. अगर आप रिसर्च बॉडी हैं, तो खुद को शॉर्ट सेलर क्यों बताते थे? रिसर्च अलग बात होती है. मार्केट में शॉर्ट सेलिंग करना दूसरी चीज है. हिंडनबर्ग शुरुआत से ही टारगेटेड रिसर्च कर रहा था.”
हिंडनबर्ग की दुकान बंद! भविष्य में अगर ऐसी रिपोर्ट आती है तो उस से कैसे कंपनी और इन्वेस्टर्स को सुरक्षित करें ?
‘अगर फ्यूचर में ऐसी कोई रिपोर्ट आती है तो वह रिपोर्ट सबसे पहले RBI और SEBI के पास भेजी जाए’ – पूर्व एटॉर्नी जनरल, मुकुल रोहतगी#HindenburgResearch | #NDTVMuqabla |… pic.twitter.com/n2OpTRMQir
— The HindkeshariIndia (@ndtvindia) January 16, 2025
मुकुल रोहतगी ने कहा, “ये कंपनी मार्केट में मुनाफे के लिए अपनी सनसनीखेज रिपोर्ट से धमाका क्रिएट करती है. इसकी रिपोर्ट की वजह से इंडियन मार्केट में अफरा-तफरी हुई. शेयर्स के वैल्यू गिरी. कई बिजनेस हाउस को नुकसान हुआ. हिंडनबर्ग ने बिना सबूत आरोप लगाए. अब हिंडनबर्ग का नकाब सबके सामने उतर चुका है.”
रोहतगी ने कहा, “भविष्य में शॉर्ट सेलिंग और हिंडनबर्ग जैसी कंपनियों की साजिश से बचने के लिए भारतीय कंपनियों और निवेशकों को कई बातों का ध्यान रखने की जरूरत है. इसमें सबसे अहम बात है RBI और SEBI की रिपोर्टिंग.”
क्या हिंडनबर्ग के खिलाफ भारत की जांच एजेंसियां कोई एक्शन ले सकती हैं? इसके जवाब में मुकुल रोहतगी कहते हैं, “एक्शन होने को हो सकता है. लेकिन, अब समस्या ये है कि हिंडनबर्ग यहां मौजूद नहीं है. न ही हिंडनबर्ग के मालिक या एसोसिएट्स हिंदुस्तान में मौजूद हैं. एक्शन अगर होगा भी तो भारत को विदेशी सरकार की या अथॉरिटी की परमिशन और मदद लेनी होगी. मान लीजिए मामला CBI में दर्ज होता है, CBI हिंडनबर्ग को समन जारी करती है. ये एग्जिक्यूट कैसे होगा? क्योंकि कोई अमेरिका में है, तो दूसरा किसी और देश में बैठा है. इन सबसे लिटिगेशन बहुत ज्यादा है. इसलिए हमें खुद ही सतर्क रहना होगा.”
पूर्व एटॉर्नी जनरल ने कहा, “कुछ भी करने के बजाय RBI और SEBI को आगे से इन चीजों को बड़ी सख्ती से देखना चाहिए.”