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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 5 महीने बाद जेल से हुए रिहा


नई दिल्ली:

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पांच महीने बाद जेल से रिहा हो गए हैं. झारखंड हाईकोर्ट ने जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में हेमंत सोरेन को जमानत दे दी थी. इसके बाद हाईकोर्ट का ऑर्डर फैक्स के जरिए रांची सिविल कोर्ट पहुंचा. बेल बांड भरने और फिर रिलीज ऑर्डर जेल पहुंचने के बाद उन्हें रिहाई मिल गई.

कोर्ट से जमानत मिलने के बाद हेमंत सोरेन के छोटे भाई और राज्य के पथ निर्माण मंत्री बसंत सोरेन बेल बांड भरने के लिए दस्तावेजों के साथ सिविल कोर्ट पहुंचे. कोर्ट के आदेश के अनुसार 50-50 हजार रुपए के दो मुचलके भरे गए.

हेमंत सोरेन को ईडी ने जमीन घोटाला मामले में 31 जनवरी को करीब आठ घंटे तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद उन्होंने ईडी की हिरासत में रात साढ़े आठ बजे राजभवन पहुंचकर सीएम पद से इस्तीफा दिया था. हेमंत सोरेन को 1 फरवरी को न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेजा गया था. अब 150 दिनों के बाद वो जेल से बाहर आए हैं.

झारखंड हाईकोर्ट में जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की कोर्ट ने हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर तीन दिनों तक बहस और सुनवाई पूरी करने के बाद 13 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था. शुक्रवार सुबह अदालत द्वारा जमानत मंजूर किए जाने की खबर मिलते ही गठबंधन सरकार के नेताओं और सोरेन के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई.

झारखंड के सीएम चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया एक्स पर खुशी व्यक्त करते लिखा है, “सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं. सत्यमेव जयते.”

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झारखंड के पेयजल स्वच्छता विभाग के मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने कहा है कि न्यायालय के इस फैसले का हृदय से स्वागत एवं अभिनंदन है. इस फैसले ने झूठ की रेत पर तानाशाही ताकतों द्वारा बनाए गए महल को भी ढहा दिया है.

सोरेन को जमानत मिलने की खुशी में झारखंड कांग्रेस कार्यालय में नेताओं-कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार दोपहर मिठाइयां बांटीं. कांग्रेस की महगामा इलाके की विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने अपने समर्थकों के साथ अबीर-गुलाल उड़ाए.

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत मिलने पर खुशी जताई.

सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय के वकील एस वी राजू ने अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) पुलिस थाने में ईडी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों का जिक्र करते हुए दलील दी कि अगर सोरेन को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह इसी तरह का अपराध फिर करेंगे.

अदालत ने कहा, ‘‘यद्यपि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा याचिकाकर्ता के आचरण को एजेंसी के अधिकारियों द्वारा उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर उजागर किया गया है, लेकिन मामले के समग्र परिप्रेक्ष्य में, याचिकाकर्ता द्वारा समान प्रकृति का अपराध करने की कोई संभावना नहीं है.”

एकल पीठ के आदेश में ये भी उल्लेख किया गया कि अदालत का निष्कर्ष है कि ‘‘पीएमएलए, 2002 की धारा 45 की शर्त के तहत यह मानने का कारण है कि याचिकाकर्ता आरोपित अपराध का दोषी नहीं है.”

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बचाव पक्ष और ईडी की ओर से दलीले पूरी होने के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित कर लिया था.


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