"टेक्नोलॉजी ने सुप्रीम कोर्ट के कामकाज को…" The Hindkeshariसे खास बातचीत में बोले पूर्व जस्टिस एके पटनायक

सुप्रीम कोर्ट के कामकाज में पहले के मुकाबले अब आए बदलाव पर बोले पूर्व जस्टिस एके पटनायक
खास बातें
- पूर्व जस्टिस एके पटनायक ने कहा कि SC में पहले से अब काफी कुछ बदल गया है
- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एके पटनायक ने The Hindkeshariसे की खास बातचीत
- “टेक्नोलॉजी ने सुप्रीम कोर्ट के कामकाज को आसान बनाया है”
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट के कामकाज में पहले के मुकाबले आज आए बदलाव को लेकर The Hindkeshariने SC के पूर्व जस्टिस एके पटनायक से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कामकाज के तरीके से लेकर पहले और आज में आए बदलाव की बात विस्तार से की. बता दें कि पूर्व जस्टिस एके पटनायक सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों में शामिल रहे हैं.
इस बातचीत के दौरान The Hindkeshariने पूर्व जस्टिस एके पटनायक से पूछा कि पहले के मुकाबले आज वो सुप्रीम कोर्ट में क्या बदलाव देखते हैं? इसपर उन्होंने कहा कि एक तो कई चीजें अच्छी हुई हैं. जैसे लाइव स्ट्रिमिंग. हर कोई ये देख सकता है कि आज सुनवाई के दौरान वकील और जज के बीच किस तरह से बातचीत हुई. वकील ने किस तरह से अपनी दलील दी और उसपर जज साहब ने क्या कहा. पहले ये सुविधा नहीं थी. पहले तो कई बार सुनवाई के दौरान जज और वकील के बीच आर्गुमेंट भी हो जाते थे. लेकिन अब लाइव स्ट्रिमिंग से ये कंट्रोल हो रहा है.
“पहले जजों की कमी की वजह से संविधान पीठ का गठन मुश्किल था”
पूर्व जस्टिक एके पटनायक ने संविधान पीठ के गठन को लेकर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा किक संविधान पीठ अब लगातार बैठ रही है. जो पहले नहीं हो पाता था. क्योंकि पहले जजों की संख्या में थी. पहले पांच जजों की संविधान पीठ का गठन करने में मुश्किल आती थी. हालांकि, संविधान में पांच जजों की पीठ बनाने का प्रावधान था लेकिन जजों की संख्या कम होने की वजह से हमारे समय ऐसा नहीं हो पाता था. आज ये चीज पहले के मुकाबले बेहतर हुई है.
“लंबे जजमेंट की जरूरत नही है”
एक ही चीज है जो मुझे ठीक नहीं लग रहा है, वो ये कि आज के जजमेंट बहुत लंबे है. एक एक जजमेंट को पढ़ने में बहुत समय लगता है. जजमेंट छोटे होने चाहिए. लोगों के पास इतना पेशेंस नहीं है कि वो इतने बड़े जजमेंट पढ़ सकें.
“आज टेकनोलॉजी ने सब कुछ बदल दिया है”
सुप्रीम कोर्ट में टेकनोलॉजी के इस्तेमाल पर उन्होंने कहा कि ये लोगों को न्याय दिलाने में बहुत मदद करेगा. हम लोग जब थे तो उस दौरान बहुत डिमांड होता था कि सुप्रीम कोर्ट का एक बेंच साउथ में हो एक बेंच ईस्ट में हो. लेकिन अब टेकनोलॉजी के इस्तेमाल से ये मांग खत्म हो जाएगी. अब वो लोग अपने अपने जगह से ही तकनीक की मदद से बहस कर सकते हैं. स्थानीय भाषा में जजमेंट को ट्रांसलेट करना भी बहुत अच्छी चीज है. क्योंकि जिनके खिलाफ या जिनके फेवर में जजमेंट दिया जाता है वो सभी लोग हिंदी या इंग्लिश इतने अच्छ से नहीं पढ़ पाते हैं. ऐसे में स्थानीय भाषा में इसको ट्रांसलेट करने से उनको खासी मदद मिलेगी.
“युवाओं को तकनीक के इस्तेमाल से ज्यादा किताबें पढ़नी चाहिए”
पूर्व जस्टिस एके पटनायक ने कानून की पढ़ाई करने वाले युवाओं द्वारा तकनीक के इस्तेमाल पर भी अहम टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि ये अच्छी बात है कि आज टेक्नोलॉजी ने काम को आसान कर दिया है. पहले हम लोगों को कई बार जजमेंट लिखना पड़ता था क्योंकि अगर जजमेंट लिखते समय किसी तरह की गलती होती थी तो पूरे जजमेंट को दोबारा से लिखना पड़ता था. लेकिन आज टेक्नोलॉजी की वजह से आप अपने कंप्यूटर पर बैठकर ही उसे एडिट कर सकते हैं. आज के लॉ की पढ़ाई करने वाले युवाओं के लिए टेक्नोलॉजी ने चीजों को आसान जरूर बनाया है लेकिन सुझाव है आज के युवा पीढ़ी से कि वो जितना संभव हो उतना ज्याद पढ़ें. उन्हें बेसिक और फंडामेंटल को समझना चाहिए. हम अपने समय पर ऐसा करते थे. युवा जितना पढ़ेंगे उन्हें आगे उतनी आसानी होगी. आज के युवा में पढ़ने का वो पेशेंस नहीं दिखता है. अगर वो टक्नोलॉजी की जगह किताब पर ज्यादा फोकस करें तो उनके पेशेंस में भी इजाफा होगा.
“सांसदों और विधायकों का रिकॉर्ड क्लीन होना चाहिए”
लिलि थॉमस केस को लेकर दिए अपने फैसले पर पूर्व जस्टिस ने कहा कि मुझे लगता है कि हमारी संसद और विधायिका सबसे पॉवरफुल बॉडी हैं. और उनके सदस्यों का रिकॉर्ड क्लीन नहीं हो तो वो सही से काम नहीं कर पाएंगे. अगर आपको साफ सुधरी पार्लियामेंट औऱ विधायिका चाहिए तो इसके लिए ऐसे फैसले जरूरी होते हैं. मैंने ये फैसला इसी बात को ध्यान में रखकर किया था. हमारे सांसद और विधायक हमारे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में उनकी छवि का साफ सुथरा होना बेहद जरूरी है.