अमेरिका के लिए लड़ा था दूसरा विश्व युद्ध, अब 100 साल की उम्र में बनेंगे दूल्हा, जानें कैसे शुरू हुई लव स्टोरी
अमेरिकी वायु सेना के लंबे अनुभवी टेरेंस को 6 जून को नॉर्मंडी में डी-डे लैंडिंग की 80वीं सालगिरह पर सम्मानित किया जाएगा, यह मित्र देशों का एक ऐसा ऐतिहासिक ऑपरेशन था जिसने युद्ध का रुख बदल दिया था. दो दिन बाद हेरोल्ड और जीन कैरेंटन-लेस-मरैस में प्रतिज्ञा का आदान-प्रदान करेंगे. कैरेंटन-लेस-मरैस समुद्र तट के करीब है. सन 1944 में इसी दिन हजारों सैनिक तट पर आए थे और कई लोगों की जान गई थी. शहर के मेयर इस समारोह की अध्यक्षता करेंगे.
समाचार एजेंसी एएफपी को टेरेंस ने बताया कि, “यह एक ऐसी प्रेम कहानी है जो आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी.”
यह 100 साल का युवा हंसमुख और मजाकिया है. उसकी याददाश्त अद्भुत है. वह तारीखों, स्थानों और घटनाओं को बिना किसी हिचकिचाहट के याद कर लेता है. एक तरह से जीवंत इतिहास की किताब की तरह.
टेरेंस के 18 साल के होने के कुछ ही समय बाद जापान ने पर्ल हार्बर में अमेरिकी नौसेना बेस पर बमबारी की थी. वह कई युवा अमेरिकी पुरुषों की तरह सेना में भर्ती होने के इच्छुक थे.
वे 20 साल की उम्र तक मोर्स कोड में एक्सपर्ट थे. उन्हें जहाज से इंग्लैंड भेजा गया. वहां उन्हें चार पी-47 थंडरबोल्ट लड़ाकू विमानों के एक स्क्वाड्रन को सौंपा गया था. टेरेंस को वहां ग्राउंड टू एयर कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी दी गई थी.
उन्होंने अफसोस जताते हुए बताया कि, ”बहुत सारे विमान और बहुत सारे पायलट खोकर हम युद्ध हार रहे थे… वे पायलट जो दोस्त बन गए थे, मारे गए. वे सभी युवा बच्चे थे.”
नॉर्मंडी ऑपरेशन के दौरान उनकी कंपनी ने अपने 60 विमानों में से आधे खो दिए थे. इसके तुरंत बाद टेरेंस ने युद्ध के जर्मन कैदियों और मुक्त मित्र देशों की सेना को इंग्लैंड ले जाने में मदद करने के लिए उत्तरी फ्रांस के उस क्षेत्र की यात्रा करने के लिए स्वेच्छिक काम किया था.
सीक्रेट मिशन
एक दिन टेरेंस को एक लिफाफा मिला जिसमें निर्देश था कि इसे तब तक न खोलें जब तक कि वह एक निश्चित स्थान पर न पहुंच जाए. इस प्रकार एक ऐसी यात्रा शुरू हुई जो उन्हें कैसाब्लांका, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, काहिरा, बगदाद और तेहरान होते हुए सोवियत यूक्रेन तक ले गई.
आखिरकार जब वे कीव के पूर्व में एक शहर पोल्टावा पहुंचे तो एक रूसी अधिकारी ने उन्हें बताया कि वह एक गुप्त मिशन का हिस्सा थे. यूएस बी-17 विमानों ने इंग्लैंड से रोमानिया के लिए उड़ान भरी थी, जहां वे नाजी जर्मनी द्वारा नियंत्रित एक्सिस आइल फील्ड पर बमबारी करने वाले थे.
टेरेंस यूक्रेन में रीसप्लाई टीम का हिस्सा थे, जिसने फ्लाइंग फोर्ट्रेस को ईंधन और हथियार दिए थे. ऑपरेशन 24 घंटे तक चला. इसके बाद जर्मनों ने यूक्रेन में मित्र देशों के अड्डे खोज लिए और उन पर हमला किया. टेरेंस ने बताया कि वह भागकर एक अज्ञात क्षेत्र में पहुंच गए. वहां उन्हें डीसेंट्री हो गई और वहां एक स्थानीय किसान परिवार की मदद से वे बच सके.
इंग्लैंड लौटकर उन्होंने एक बार फिर मौत को धोखा दिया. एक पब मालिक ने उन्हें ड्रिंक देने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह बंद होने वाला था. इस पर वे वहां से चले गए. वे थोड़ी ही दूर पहुंचे थे कि एक जर्मन रॉकेट ने उस पब को खत्म कर दिया.
‘दुनिया का सबसे भाग्यशाली लड़का’
युद्ध के बाद वे राज्य में लौट आए और थेल्मा से शादी की. थेल्मा के तीन बच्चे हुए जिनका उन दोनों ने पालन-पोषण किया. टेरेंस एक ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए काम करते थे. वह और थेल्मा रिटायर होने के बाद फ्लोरिडा में बस गए.
सन 2018 में 70 साल की थेल्मा की मौत ने टेरेंस को दुख में डुबो दिया. उन्होंने तीन साल तक अपनी पत्नी का शोक मनाया.
टेरेंस कहते हैं कि, ”वह मेरी जिंदगी को रोशन करती है, वह हर चीज को खूबसूरत बनाती है. वह जीवन को जीने लायक बनाती है.”
वे कहते हैं कि “मुझे सब कुछ मिल गया. मैं शायद दुनिया का सबसे भाग्यशाली लड़का हूं.”