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अदाणी ग्रुप से लेकर बुच तक…सेबी ने आंकड़ों के जरिए हिंडनबर्ग के दावों की निकाली हवा

अमेरिका की शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अपनी पहली टिप्पणी में रविवार को कहा कि उसने अदाणी समूह के खिलाफ सभी आरोपों की विधिवत जांच की है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बयान में कहा कि उसकी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने समय-समय पर संबंधित जानकारी दी और संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग रखा.

नियामक ने कहा कि उसने अदाणी ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों की विधिवत जांच की है. उसकी 24 पहलुओं में से सिर्फ एक पहलू की जांच बची है और वह भी पूरी होने वाली है. सेबी ने कहा कि बुच ने समय-समय पर ‘संबंधित खुलासे’ किए हैं, और संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग भी रखा है.

सेबी प्रमुख पर क्या लगाए थे आरोप?

इससे पहले, बुच और उनके पति धवल ने हिंडनबर्ग के आरोपों को निराधार बताया था. दंपति ने कहा कि हिंडनबर्ग पूंजी बाजार नियामक की विश्वसनीयता पर हमला कर रही है और चेयरपर्सन के चरित्र हनन का भी प्रयास कर रही है. हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि उसे संदेह है कि अदाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में सेबी की अनिच्छा का कारण यह हो सकता है कि बुच की अदाणी समूह से जुड़े विदेशी फंडों में हिस्सेदारी थी. अमेरिकी कंपनी ने आरोप लगाया कि बुच और उनके पति धवल ने एक फंड में निवेश किया था, जिसका कथित तौर पर गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा था.

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सुप्रीम कोर्ट का दिया हवाला

पूंजी बाजार नियामक ने एक बयान में कहा, “अदाणी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की सेबी द्वारा विधिवत जांच की गई है.” सर्वोच्च न्यायालय ने इस वर्ष जनवरी में दिए गए आदेश में स्वयं उल्लेख किया था कि अदाणी के खिलाफ 24 में से 22 जांच पूरी हो चुकी हैं. सेबी ने कहा कि मार्च में एक और जांच पूरी हो गई है तथा अंतिम जांच अब पूरी होने वाली है. नियामक ने कहा कि उसने अपनी जांच के तहत जानकारी मांगने के लिए 100 से अधिक समन, करीब 1,100 पत्र और ईमेल जारी किए हैं. करीब 12,000 पन्नों वाले 300 से अधिक दस्तावेजों की जांच की गई है.

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