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राजनाथ, प्रियंका से लेकर अखिलेश तक… लोकसभा में संविधान पर विशेष चर्चा के दौरान किसने क्या कहा?


नई दिल्ली:

संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) का शुक्रवार (13 दिसंबर) को 14वां दिन है. 26 जनवरी को संविधान (Indian Constitution) निर्माण के 75 साल पूरे होंगे. इसलिए आज संसद में संविधान पर विशेष चर्चा हो रही है. शनिवार को भी ये चर्चा होगी. शनिवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) लोकसभा में जवाब देंगे. आज संविधान पर लोकसभा में विशेष चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की. जबकि प्रियंका गांधी ने अपने पहले भाषण में सरकार को घेरा. वहीं, समाजवादी पार्टी से सांसद अखिलेश यादव ने जातिगत जनगणना पर अपने विचार रखे. 

राज्यसभा में शुक्रवार को भी जबरदस्त हंगामा हुआ. इस दौरान राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ विपक्ष पर भी भड़क उठे. उन्होंने कहा कि आपको एक किसान का बेटा बर्दाश्त नहीं हो रहा है. इस पर कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खरगे ने जवाब दिया, “आप किसान के बेटे हैं, तो मैं भी मजदूर का बेटा हूं.” इसके बाद विपक्ष और सत्तापक्ष के सांसदों ने हंगामा किया. भारी हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही को सोमवार 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया.

आइए जानते हैं संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान किस सांसद ने क्या कहा:-

राजनाथ सिंह- राजनीति करनी है तो जनता की आंखों में आंखे डालकर कीजिए
-राजनाथ सिंह ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में देश में एक ऐसा माहौल बनाने का प्रयास किया गया है कि संविधान किसी एक पार्टी की देन है. संविधान निर्माण में कई लोगों की भूमिका को भुला दिया गया है. हमारा संविधान स्वाधीनता संविधान के हवनकुंड से निकला हुआ अमृत है. ये हमारा स्वाभिमान है.”

-राजनाथ सिंह ने कहा,”इंदिरा गांधी ने 50 बार चुनी हुई सरकार को गिराने का काम किया. संविधान और सत्ता को चुनने का मौका मिला है, तो कांग्रेस ने हमेशा सत्ता को चुना है. जब कांग्रेस के लोग जो हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति करते आए हैं. इसलिए हमारे विपक्षी नेता जब मोहब्बत की दुकान की बात करते हैं तो हंसी आती है. “

-रक्षा मंत्री और लखनऊ से सांसद राजनाथ सिंह ने कहा, “कांग्रेस नेता विदेश जाकर कुछ भी कहते हैं. आज उनके नेता विदेश की धरती पर जाकर क्या-क्या कहते हैं, तो अटलजी की घटना कहानी जैसी लगती है. परिपक्व विपक्ष की भूमिका निभाना सीखें. 1996 में अटलजी की 13 दिन की सरकार थी.”

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-राजनाथ सिंह ने कहा, “कांग्रेस नेताओं ने अपने निजी स्वार्थों को ऊपर रखा. 1973 में 3 सीनियर जजों को सुपरसीड करने से राष्ट्रपति वीवी गिरि सहमत नहीं थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री ने जिद के चलते ऐसा नहीं किया. इंदिरा गांधी ने 356 का दुरूपयोग करके चुनी हुई सरकारों को गिराने का काम किया.”

-उन्होंने कहा, “जातिगत जनगणना अगर आप कराएंगे तो किस जाति को कितना आरक्षण देंगे ये भी बताइए. आप ब्लू प्रिंट लेकर आइए और मैं कहता हूं कि संसद में इस पर भी चर्चा हो. कांग्रेस चाहे जितनी कोशिश कर ले हम संविधान के मूल चरित्र को बदलने नहीं देंगे.”

-राजनाथ ने कहा, “हम जानते हैं कि संविधान निर्माण में अंबेडकर की भूमिका थी. संविधान लागू होने के बाद मौलिक अधिकारों के लिए अंबेडकर लड़ते रहे थे. कांग्रेस और नेताओं द्वारा मौलिक अधिकारों को कुचलने की बात उन्होंने कही थी, कांग्रेस ने सत्ता में उन्हें दोहराया था.”

प्रियंका गांधी- नेहरू का छोड़िए, आप बताइए आपने क्या किया?
-केरल के वायानाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज लोकसभा में अपना पहला भाषण दिया. प्रियंका गांधी ने सरकार से कहा, “आप पंडित नेहरू का नाम नहीं लेते. जहां जरूरत होती है, वहां जरूर लेते हैं. सत्ता पक्ष के साथी अतीत की बातें करते हैं. 1921 में क्या हुआ, नेहरू ने क्या किया. अरे वर्तमान की बात करिए. देश को बताइए कि आप क्या कर रहे हैं. आपकी जिम्मेदारी क्या है. क्या सारी जिम्मेदारी नेहरू जी की है.”

-प्रियंका गांधी ने कहा, “संविधान ने आज की सरकार को नारी शक्ति पर बात करने को मजबूर किया. केंद्र सरकार नारी शक्ति अधिनियम बिल को लागू क्यों नहीं करती. क्या आज की महिला 10 साल तक इंतजार करेगी.”

-उन्होंने कहा, “इंदिरा जी ने बैंकों, खदानों का राष्ट्रीयकरण कराया. कांग्रेस सरकारों में शिक्षा-भोजन का अधिकार मिला. जनता का भरोसा मिला.”

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-प्रियंका ने कहा- “पीएम सदन में संविधान की किताब को माथे से लगाते हैं. संभल, हाथरस, मणिपुर में जब न्याय की बात उठती है तो माथे पर शिकन तक नहीं आता.”

-वायानाड की सांसद ने कहा, “देश भय से नहीं साहस और संघर्ष से बना है. इसे बनाने वाले किसान, जवान, मजदूर और गरीब जनता है. देश के करोड़ों देशवासी हैं, जो विषम परिस्थियों को झेलते हैं, उन्हें संविधान साहस देता है.

अखिलेश यादव बोले- मुस्लिमों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने का ल रहा काम 
-उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सपा सांसद अखिलेश यादव ने जातिगत जनगणना, मुस्लिमों पर अत्याचार का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, “20 करोड़ से ज्यादा अल्पसंख्यकों विशेषकर मुस्लिमों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने का काम चल रहा है. घर तोड़े जा रहे हैं, उनके पूजा स्थलों पर कार्रवाई की जा रही है. धर्मनिरपेक्ष शासन की क्या यह परिभाषा है.”

-अखिलेश यादव ने कहा, “आए दिन पेपर आउट और पेपर लीक होते हैं. ऐसा जानबूझकर ऐसा किया जाता है, ताकि परीक्षा रद्द की जा सके. कैसी चर्चा संविधान की, जो है बिना प्रधान की. इस सरकार में लोकतंत्र के साथ जितना खिलवाड़ हुआ, कभी नहीं हुआ.”

-उन्होंने कहा, “संविधान बचेगा तो न्याय बचेगा, न्याय बचेगा तो सबको बराबर सम्मान और मौके मिलेंगे. भेदभाव मिटेगा. सत्ता पक्ष के लोग कहते थे कि इतनी सीटें मिलेंगी तो संविधान बदल देंगे. जनता का धन्यवाद कि उन्होंने 400 पार के नारे को गिरा दिया.”

-सपा सांसद ने कहा, “सरकार के आंकड़े बता रहे हैं. नए जमाने का डिजिटल इंडिया है, साइबर अपराधों में सबसे आगे उत्तर प्रदेश है. कभी कभी डबल इंजन की सरकार का दावा करते थे. पहले इंजिन टकराते थे और अब डिब्बे भी टकराने लगे हैं.”

-अखिलेश यादव ने कहा, “देश में 2014 के बाद विषमता तेजी के साथ बढ़ी है. 140 करोड़ में से 82 करोड़ सरकारी अन्न पर जिंदा हैं. जो देश को दुनिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था कहते हैं, जब 82 करोड़ अन्न पर हैं. पूरी प्रॉपर्टी पर सिर्फ कुछ लोगों का हिस्सा है.”

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TMC सांसद कल्याण बनर्जी- सरकार ने धर्मनिरपेक्ष तानेबाने को ताक पर रखा
-तृणमूल कांग्रेस से सांसद कल्याणा बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि हमें संविधान को समझने के लिए इसमें दिए गए हर शब्द की व्याख्या को व्यापक अर्थों में समझना होगा.

-कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में ‘संविधान की 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और इसका उल्लेख संविधान की प्रस्तावना में भी है.

-उन्होंने कहा कि संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़े जाने से पहले देश में हर प्रधानमंत्री, हर मुख्मयंत्री ने इसे धर्मनिरपेक्ष माना. बनर्जी ने कहा, “दुर्भाग्य से इस सरकार के पिछले दस साल के कार्यकाल में देश में धर्मनिरपेक्ष तानाबाना ताक पर रख दिया गया.” बनर्जी ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर धार्मिक आधार पर भेदभाव करने का भी आरोप लगाया. 

राज्यसभा में 16 और 17 दिसंबर को होगी चर्चा
संविधान की 75वीं सालगिरह पर संसद के दोनों सदनों में दो-दो दिन संविधान पर बहस होगी. लोकसभा में 13-14 दिसंबर तो राज्यसभा में 16-17 दिसंबर को चर्चा होगी. लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बहस की शुरुआत की. जबकि राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह चर्चा की शुरुआत करेंगे.


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