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अमेरिकी सेना को नहीं देंगे ईंधन, ट्रंप-ज़ेलेंस्की बैठक से नाराज नॉर्वे की कंपनी का बड़ा कदम


नई दिल्ली:

अमेरिका के व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच हुई बातचीत की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. दुनिया के देश 2 गुटों में बंट गए हैं. इस बीच एक नॉर्वेजियन तेल और शिपिंग कंपनी, हॉल्टबक्क बंकर्स (Haltbakk Bunkers) ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच व्हाइट हाउस में हुई हालिया विवादास्पद बैठक के बाद बड़ा फैसला लिया है. कंपनी ने घोषणा की है कि वह तत्काल प्रभाव से नॉर्वे के बंदरगाहों पर ठहरने वाली अमेरिकी सैन्य टुकड़ियों को ईंधन आपूर्ति बंद कर देगी.  

हॉल्टबक्क बंकर्स वहीं कंपनी है जिसने 2024 में अमेरिकी सेना को करीब 30 लाख लीटर ईंधन की आपूर्ति की थी. कंपनी की तरफ से फेसबुक पर एक तीखा बयान जारी किया है. इसमें लिखा गया है कि “आज हमने वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति और उनके उपराष्ट्रपति द्वारा पेश किया गया सबसे बड़ा ‘शिट शो’ देखा. यूक्रेन के राष्ट्रपति को बहुत सम्मान, जिन्होंने संयम बरता और शांत रहे. कंपनी ने आगे घोषणा की, “नतीजतन, हमने नॉर्वे में अमेरिकी सेनाओं और उनके जहाजों को ईंधन आपूर्ति तुरंत बंद करने का फैसला किया है. हालांकि बाद में इस पोस्ट को हटा लिया गया. 

कंपनी के चेयरमैन ने क्या कहा? 
कंपनी के मालिक, चेयरमैन और सीईओ गुन्नार ग्रान ने एक इंटरव्यू में कहा कि जैसा कि आप समझ सकते हैं, जब तक ट्रंप का कार्यकाल खत्म नहीं होता, एक लीटर ईंधन भी नहीं दिया जाएगा.  ग्रान ने यूक्रेन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा, “हम यूक्रेन का समर्थन करते हैं. हमारे पास कई यूक्रेनी कर्मचारी हैं, और हम जानते हैं कि यह युद्ध उनके और उनके परिवारों को कितना प्रभावित कर रहा है. 

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नॉर्वे सरकार की क्या है प्रतिक्रिया
नॉर्वे सरकार ने इस मामले में कंपनी के फैसले जैसा कोई निर्देश जारी नहीं किया है. नॉर्वे के प्रधानमंत्री ने कहा कि बैठक के आधार पर अभी निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी. हॉल्टबक्क बंकर्स का यह कदम नॉर्वे और यूरोप में चर्चा का विषय बन गया है. कुछ लोग इसे नैतिकता की जीत मान रहे हैं, तो कुछ इसे अमेरिका के साथ संबंधों के लिए जोखिम भरा कदम बता रहे हैं.

यूक्रेन के साथ खड़े हैं यूरोपीय देश…
फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण किया गया था. युद्ध की शुरुआत से ही अमेरिका, यूक्रेन के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ा रहा. हालांकि,  ट्रंप लंबे समय से यूक्रेन के लिए अमेरिका की अरबों डॉलर की सहायता के आलोचक रहे हैं. ट्रंप ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति के चुनाव प्रचार के दौरान भी रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने का वादा किया था. सत्‍ता में वापिस आने के तुरंत बाद ट्रंप इस युद्ध को रुकवाने के अपने वादे को पूरा करने में जुट गए. 12 फरवरी को उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की, जिसमें यूक्रेन को शामिल किए बिना शांति वार्ता सऊदी अरब शुरू हुई. ये एक ऐसा कदम था, जिसने जेलेंस्‍की को नाराज कर दिया और यूरोपीय देशों को भी चौंका दिया. तब से ज़ेलेंस्की और वाशिंगटन के यूरोपीय सहयोगियों ने ट्रंप से किसी भी युद्धविराम के लिए सुरक्षा गारंटी प्रदान करने की अपील की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यदि कोई भी पक्ष इसे तोड़ता है, तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे.

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