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कांग्रेस, BJP का खेल बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं एआईएमआईएम के 'गज्जू भैया'

जबलपुर पूर्व विधानसभा सीट पर यूं तो सबसे अधिक मतदाता अनुसूचित जाति से हैं लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय निर्णायक भूमिका में है. जिले में सबसे अधिक मुसलमान इसी विधानसभा में हैं. भाजपा ने इस सीट पर पूर्व मंत्री और पांच बार के विधायक अंचल सोनकर को अपना उम्मीदवार बनाया है वहीं कांग्रेस ने पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया पर फिर एक बार भरोसा जताया है. घनघोरिया इस सीट पर दो बार चुनाव जीत चुके हैं और दोनों ही बार उन्होंने सोनकर को पराजित किया है. दोनों के बीच क्षेत्र में लंबे समय से राजनीतिक वर्चस्व को लेकर स्पर्धा भी रही है.

जबलपुर पूर्व सीट पर एआईएमआईएम) के गजेन्द्र सोनकर ऊर्फ ‘गज्जू भैया’ ऐसे ‘मजबूत’ उम्मीदवार के तौर पर देखे जा रहे हैं जो कांग्रेस और भाजपा के दोनों दिग्गजों का खेल बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं. ‘गज्जू भैया’ की क्षेत्र में अपनी एक ‘विशेष’ पहचान है, साथ ही वह ‘धनबल’ से भी मजबूत हैं स्थानीय लोग कहते हैं कि इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस. भाजपा में कांटे की टक्कर है और मुकाबला त्रिकोणीय भी नहीं है लेकिन ‘गज्जू भैया’ खेल बिगाड़ने की ताकत रखते हैं.

उनका कहना है कि वह सोनकर समाज (खटीक) से हैं और क्षेत्र में अल्पसंख्यक मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद भी है, लिहाजा यह कहना मुश्किल है कि वह किसका खेल बिगाड़ेंगे. क्षेत्र के अधिकांश मतदाताओं का मानना है कि ‘गज्जू भैया’ कांग्रेस के लखन घनघोरिया का ही खेल बिगाड़ेंगे क्योंकि वह पहले कांग्रेस में थे लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि वह दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

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एआईएमआईएम ने पहले घोषणा की थी कि वह मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी. लेकिन पार्टी ने बाद में राज्य की चार विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए. इन सभी सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद है. पार्टी ने जबलपुर पूर्व के अलावा बुरहानपुर, इंदौर एक और इंदौर पांच विधानसभा क्षेत्रों से अपने उम्मीदवार उतारे हैं.

जबलपुर पूर्व विधानसभा सीट पर यूं तो सबसे अधिक मतदाता अनुसूचित जाति से हैं लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय निर्णायक भूमिका में है. मुस्लिम आबादी सबसे अधिक इसी जिले में है. घनघोरिया इस सीट पर दो बार चुनाव जीत चुके हैं और दोनों ही बार उन्होंने सोनकर को पराजित किया है. दोनों के बीच क्षेत्र में लंबे समय से राजनीतिक वर्चस्व को लेकर स्पर्धा भी रही है.

क्षेत्र के लकड़गंज इलाके में खाद्य पदार्थों के एक युवा थोक व्यापारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा,’गज्जू भैया जीतने की स्थिति में नहीं हैं, मुकाबला त्रिकोणीय नहीं है. चूंकि वह खटीक हैं तो उन्हें इस समाज के कुछ वोट मिलेंगे. ऐसे में वह भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘ एआईएमआईएम के नाम पर कुछ मुसलमानों के भी वोट उन्हें मिलेंगे लेकिन ऐसा भी नहीं है कि उन्हें इस समुदाय का वोट एकतरफा मिलेगा. घनघोरिया की भी मुस्लिम समुदाय में अच्छी खासी पैठ है. इसी बदौलत वह जीतते भी रहे हैं.’

क्षेत्र में ‘पहलवान’ के नाम से लोकप्रिय 54 वर्षीय राजकमल सोनकर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘गज्जू भैया, जीतेंगे तो नहीं लेकिन बहुत हद तक कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं.’ औरंगाबाद से एआईएमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में तंज कसते हुए कहा था, ‘कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में 30 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी होने के बावजूद ‘धर्मनिरपेक्ष’ कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में सिर्फ 2, हां सिर्फ 2 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है.’

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उन्होंने कहा, ‘एआईएमआईएम मध्य प्रदेश में चुनाव नहीं लड़ रहा था लेकिन अब हम लड़ेंगे. हम समुदाय पर लगातार हो रहे इस गंभीर अन्याय के प्रति मूक दर्शक नहीं बने रह सकते. कांग्रेस सिर्फ मुस्लिम वोट चाहती है, संसद और विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व नहीं.’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस निर्वाचन क्षेत्र में पदयात्रा करने वाले हैं जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जबलपुर में प्रचार करेंगे . 2018 के विधानसभा चुनाव में घनघोरिया ने सोनकर को 35,000 से ज्यादा मतों से पराजित किया था जबकि 2013 के चुनाव में सोनकर ने करीब 1,100 मतों से घनघोरिया को पटखनी दी थी. 2008 में पहली बार घनघोरिया का मुकाबला सोनकर हुआ था जिसमें वह विजयी रहे थे.

इस, सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने बाल किशन चौधरी को टिकट दिया है. जबलपुर की इस विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 2.04 लाख से अधिक है. इनमें 1.18 लाख से अधिक महिला मतदाता हैं. यहां विधानसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण में 17नवंबर को मतदान होगा और नतीजे तीन दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.

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