सबसे खराब वक्त में किया शानदार काम… गौतम अदाणी ने बताया हिंडनबर्ग के हमलों का कैसे किया था सामना

मुंबई:
अदाणी ग्रुप (Adani Group) के चेयरमैन गौतम अदाणी (Gautam Adani) ने गुरुवार को मुंबई के एक इवेंट मे अदाणी ग्रुप के बिजनेस मॉडल पर बात की. इस दौरान उन्होंने ये भी बताया कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) के हमलों से अदाणी ग्रुप कैसे बाहर निकला. इस दौरान कौन सी स्ट्रैटजी अपनाई, ताकि बिजनेस पर असर न पड़े. अदाणी ने कहा, “सबसे मुश्किल दौर और सबसे खराब वक्त में हमने सबसे शानदार कारोबार किया. हर नाकामी के बाद अब पहले से ज्यादा मजबूत होकर खड़े हुए.”
गौतम अदाणी टीचर्स डे के मौके पर मुंबई के जय हिंद कॉलेज में एक इवेंट में स्पीच दे रहे थे. हिंडनबर्ग रिसर्च का जिक्र करते हुए अदाणी ग्रुप के चेयरमैन ने कहा, “कई सालों के दौरान हमने ऐसे लीडर्स इकट्ठा किए, जो बिजनेस को अच्छे से डील करने की हिम्मत और काबिलियत रखते हैं. उनकी हिम्मत से दूसरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है.”
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दोतरफा वार था हिंडनबर्ग रिसर्च का हमला
अदाणी ने कहा, “पिछले साल जनवरी में फाइनेंशियल मार्केट में अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग के हमलों से पहले हमारी नेतृत्व भावना कभी भी इतनी ज्यादा दिखाई नहीं दी थी. यह विदेश से शुरू किया गया एक शॉर्ट-सेलिंग हमला था. यह एक सामान्य वित्तीय हड़ताल नहीं थी. बल्कि यह हमारी वित्तीय स्थिरता को निशाना बनाने के लिए दोतरफा वार था.”
निहित स्वार्थों के साथ कुछ मीडिया चैनलों ने इसे दी तूल
अदाणी ग्रुप के चेयरमैन ने कहा, “हिंडनबर्ग का हमला एक सोची-समझी चाल थी. ये हमारे फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) के बंद होने से कुछ ही दिन पहले की गई थी. वास्तव में हिंडबर्ग रिसर्च के इस कदम को हमें अधिकतम नुकसान पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया गया था. निहित स्वार्थों के साथ कुछ मीडिया चैनलों ने इसे तूल दी.”
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EBITDA रेशियो को 2.5 गुना से कम किया
अदाणी ने कहा, “अपनी फ्लेक्सिबिलिटी साबित करने के लिए हमने दूसरे सोर्सेज से कई हजार करोड़ रुपये जुटाए. साथ ही एक्टिव रूप से अपने लोन और EBITDA रेशियो को 2.5 गुना से कम कर दिया. ये दुनियाभर में सबसे मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के लिए भी एक बेजोड़ संख्या है.”

उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने भी हमारे कदमों की पुष्टि की है. हिंडनबर्ग मामले में अदाणी ग्रुप ने कई सबक सीखे. इनमें सबसे बड़ा सबक यह था कि वास्तविक सीमाओं को तोड़ने का मतलब सिर्फ बाहरी चुनौतियों पर काबू पाना नहीं है. वास्तविक सीमाओं को तोड़ने का मतलब असल में मानसिक बाधाओं को तोड़ना है. जब दुनिया कहती है कि आप उठ नहीं सकते, तभी असली परीक्षा शुरू होती है. आपको दोबारा और मजबूती के साथ उठकर दिखाना होता है.”
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