अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय पर्यटक बनेंगे गोपीचंद थोटाकुरा, जानें कैसे सच होगा उनका सपना?
अंतरिक्ष की सैर करना हर किसी का ख्वाब होता है. लेकिन ऐसे खुशनसीब लोग कम ही होते हैं, जिनका ये ख्वाब पूरा हो पाता है. मगर इस मामले में पायलट गोपीचंद बड़े खुशकिस्मत है. दरअसल गोपीचंद थोटाकुरा (Gopichand Thotakura) एक पर्यटक के रूप में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बनने के लिए तैयार हैं. ब्लू ओरिजिन (Blue Origin) के न्यू शेफर्ड-25 (एनएस-25) मिशन के लिए गोपीचंद थोटाकुरा क्रू मेंबर चुने गए, थोटाकुरा पांच अन्य लोगों के साथ पृथ्वी के वायुमंडल से परे की यात्रा करेंगे.
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गोपीचंद थोटाकुरा, एक उद्यमी और पायलट (Pilot) है. जो कि उन 31 उम्मीदवारों की एक प्रतिष्ठित सूची में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने पृथ्वी के वायुमंडल और बाहरी अंतरिक्ष के बीच की सीमा, कर्मन रेखा से आगे उड़ान भरी है. शुरुआती दिनों से ही थोटाकुरा में फ्लाइंग को लेकर जबरदस्त उत्साह था. इसी जुनून के चलते उन्होंने विमान चलाना सीखा. अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए, उन्होंने एम्ब्री-रिडल एरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी से एयरोनॉटिकल साइंस में बैचलर ऑफ साइंस के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की.
#NewShepard#NS25 crew will include Mason Angel, Sylvain Chiron, Ed Dwight, Ken Hess, Carol Schaller, and Gopi Thotakura. Read more 🚀: https://t.co/KbAJkbRTvjpic.twitter.com/8QBFYPJkYj
— Blue Origin (@blueorigin) April 4, 2024
उनके बारे में बताते हुए, ब्लू ऑरिजिंस ने लिखा, “गोपी एक पायलट और एविएटर है, जिसने गाड़ी चलाने से पहले उड़ना सीख लिया. गोपी बुश, एरोबेटिक और सीप्लेन के साथ-साथ ग्लाइडर और हॉट एयर बैलून का पायलट है और उसने एक अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जेट पायलट के रूप में काम किया है. उनका सबसे हालिया साहसिक कार्य उन्हें माउंट किलिमंजारो के शिखर पर ले गया.” पर्यावरण के दृष्टिकोण से, एनएस-25 मिशन एक नए युग की शुरुआत करता है.
ब्लू ऑरिजिंस ने अपने बयान में कहा, “न्यू शेपर्ड का इंजन अत्यधिक कुशल तरल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से संचालित होता है. उड़ान के दौरान, कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है.” मिशन की लॉन्च डेट अभी घोषित नहीं की गई है. इस मिशन में पूर्व वायुसेना कैप्टन एड ड्वाइट भी शामिल हैं, जिन्हें 1961 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने देश के पहले अश्वेत अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में चुना था, लेकिन उन्हें कभी भी अंतरिक्ष में उड़ान भरने का अवसर नहीं दिया गया.
कंपनी व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए न्यू ग्लेन नामक एक भारी रॉकेट भी विकसित कर रही है, जिसकी पहली उड़ान अगले वर्ष के लिए निर्धारित है. 98 मीटर (320 फीट) ऊंचा यह रॉकेट 45 मीट्रिक टन तक के पेलोड को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
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