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सरकार ने नेपाल को 20 टन गैर-बासमती चावल भेजने की अनुमति दी

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: सरकार ने भारतीय चावल निर्यातक महासंघ को नेपाल के भूकंप प्रभावित लोगों के लिए दान के रूप में 20 टन गैर-बासमती सफेद चावल भेजने को निर्यात प्रतिबंध से एक बार की छूट प्रदान की है. पिछले महीने सरकार ने पतंजलि आयुर्वेद को भी ऐसी ही छूट दी थी. हालांकि, घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन कुछ देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और अनुरोध पर सरकार द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर निर्यात की अनुमति दी गई है.

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विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, ‘‘नेपाल भूकंप पीड़ितों को दान के रूप में 20 टन गैर-बासमती सफेद चावल (अर्ध-मिल्ड या पूरी तरह से मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश किया हुआ हो या न हो) के निर्यात के लिए भारतीय चावल निर्यातक संघ को निषेध से एक बार की छूट दी गई है.”

डीजीएफटी की एक अलग अधिसूचना में सरकार ने कोमोरोस, मेडागास्कर, इक्वेटोरियल गिनी, मिस्र और केन्या सहित पांच देशों को 2.40 लाख टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति दी है. कोमोरोस के लिए अधिसूचित आपूर्ति की मात्रा 20,000 टन है. वहीं मेडागास्कर के लिए यह 50,000 टन, इक्वेटोरियल गिनी के लिए 10,000 टन, मिस्र के लिए 60,000 टन और केन्या के लिए 1,00,000 टन है.

इसमें कहा गया है, ”नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड के माध्यम से इन देशों को गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात” अधिसूचित किया गया है.” नेपाल में छह नवंबर की आधी रात से ठीक पहले 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 153 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से अधिक लोग घायल हो गए थे.

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पश्चिमी नेपाल के जजरकोट और रुकुम पश्चिम जिलों में आए भूकंप से सार्वजनिक और निजी दोनों तरह की लगभग 8,000 संपत्तियों को नुकसान पहुंचा.  भारत नेपाल के भूकंप प्रभावित जिलों में आपातकालीन राहत सामग्री भेजने वाला पहला देश बन गया है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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