CEC, EC नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े बिल में सरकार ने किए हैं ये बदलाव, जानें विपक्ष क्यों उठा रहा सवाल
नई दिल्ली:
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन पैनल में देश के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल करने वाला विवादास्पद विधेयक आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा. इस बीच विपक्ष और कुछ पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त की आपत्तियों के बाद केंद्र ने इसमें कुछ संशोधन किए हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023, मार्च में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाया गया है, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता वाले एक पैनल के गठन का आदेश दिया था.
यह भी पढ़ें
ये भी पढ़ें-लोकसभा से निष्कासित महुआ मोइत्रा को अब खाली करना पड़ेगा सरकारी आवास, कार्रवाई शुरू
पैनल पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली याचिकाओं के जवाब में कहा था कि अगर लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं है, तो पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सबसे बड़े विपक्षी दल का एक प्रतिनिधि पैनल में होगा. सरकार ने पहले इस विधेयक को सितंबर में विशेष सत्र में पेश करने पर विचार किया था, लेकिन विपक्ष के कड़े विरोध के बाद उन्होंने विधेयक में संशोधन किए.
CEC, EC नियुक्ति प्रक्रिया पर चर्चा
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्त्ति प्रक्रिया से जुड़ा विधेयक पेश होने से पहले कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वो चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का प्रयास कर रही है. चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे 14 फरवरी को सेवानिवृत्त हो जाएंगे, यानि 2024 लोकसभा चुनाव के पहले चुनाव आयोग में एक नियुक्ति होगी.सरकार की कोशिश होगी की ये नियुक्ति नए क़ानून के मुताबिक हो.
विधेयक में क्या है?
- चयन समिति अपनी प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से रेगुलेट करेगी.
- CEC-EC का कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक रहेगा
- CEC-EC का वेतन कैबिनेट सचिव के समान होगा.
- इनका चयन पीएम, नेता विपक्ष, एक कैबिनेट मंत्री की समिति करेगी.
क्या है विवाद?
CEC-EC को लेकर मार्च में SC ने फ़ैसला सुनाते हुए चयन समिति में PM,नेता विपक्ष और CJI को रखने की बात कही थी. कोर्ट ने कहा था कि संसद से क़ानून बनने तक ये मानदंड लागू रहेगा. विपक्ष का आरोप है कि नए बिल से नियुक्ति में सरकार की मनमानी रहेगी और चुनाव आयोग PM के हाथों की कठपुतली हो जाएगा. उनका आरोप है कि CEC का क़द SC जज से घटकर कैबिनेट सचिव का हो जाएगा. वहीं सरकार का कहना है कि CEC का कद सुप्रीम कोर्ट जज के बराबर ही क़द रहेगा.
ये भी पढ़ें-मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मभूमि से हटेंगे अंग्रेजों के लगाए कीकड़ जैसे पेड़, UP सरकार की मांग पर SC की हरी झंडी