ग्राउंड रिपोर्ट : झारखंड का वो स्कूल जहां से NEET-UG का पेपर हुआ लीक! जानें कैसे 'अभेद्य' सुरक्षा में लगी सेंध
प्रश्न पत्र विक्रेता वाहन (नेटवर्क वाहन) पर रांची से हज़ारीबाग तक लाए गए थे और उस वाहन को केवल एक चालक चला रहा था, उसके साथ कोई अन्य व्यक्ति नहीं था. इसके बाद प्रश्नपत्र वाले बॉक्स को ब्लू डॉट कूरियर के हजारीबाग कार्यालय में फेंक दिया गया.
फिर प्रश्नपत्र परीक्षा से दो दिन पहले यानी 3 तारीख को ई-रिक्शा के माध्यम से बैंक भेजा गया, ये इतने महत्वपूर्ण दस्तावेज को ले जाने का बेहद असुरक्षित तरीका था.
ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. एहसानुल हक ने दावा किया कि जांच एजेंसियां एसओपी से संतुष्ट थीं, जिसके बाद बैंक और स्कूल आए और ये कूरियर एजेंसी है, जो जांच के दायरे में है.
पटना पुलिस को सबसे पहले 5 मई को इस गड़बड़ी की जानकारी मिली थी. पुलिस को झारखंड नंबर की डस्टर कार में सवार लोगों की जानकारी मिली थी, ये लोग परीक्षा केंद्र के आसपास मंडरा रहे थे. पुलिस नेकार को बेली रोड पर पकड़ा था और उससे तीन लोग सिकंदर यादवेंदु, अखिलेश कुमार और बिट्टू कुमार पकड़े गए थे. कार से चार उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड भी मिले.
इस मामले की 17 मई को EOU ने जांच शुरू की थी. EOU को नीट यूजी का एक अधजला पेपर भी मिला था और पेपर का बुकलेट नंबर 6136488 था. पुलिस को मिले बुकलेट में 68 सवाल दिख रहे थे और ये सभी 68 सवाल ऑरिजनल पेपर से मेल खा रहे थे. इस मामले में बिहार EOU ने शिक्षा मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है.
केंद्र ने पेपर लीक की जांच सीबीआई को सौंपी
पेपर लीक मामले में CBI ने भी FIR दर्ज कर ली है. सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार CBI ने विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. केंद्र सरकार ने नीट यूजी परीक्षा में धांधली के आरोपों को बेहद गंभीरता से लेते हुए इस मामले की जांच CBI को सौंप दी थी. वहीं सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के प्रमुख को भी पद से हटा दिया था. साथ ही नीट-पीजी प्रवेश परीक्षा के लिए होने वाले एग्जाम को भी स्थगित कर दिया गया.
परीक्षाओं में गड़बड़ियों से छात्र और अभिभावकों पर प्रतिकूल प्रभाव
पेपर लीक और परीक्षाओं में लगातार गड़बड़ियां सामने आने से ना केवल विद्यार्थियों में बल्कि अभिभावकों में भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. नीट जैसी परीक्षा में भी अगर प्रश्न पत्र लीक जैसे मामले सामने आने लगे, तो सीधा असर छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी होगा. शिक्षा माफिया के जरिए पैसे वालों का बोलबाला हो जाएगा और अच्छी प्रतिभाओं को उनका स्थान नहीं मिल पाएगा, जो देश के हित में भी नुकसानदेह साबित होगा.
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