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ग्राउंड रिपोर्ट : अमित शाह की टक्कर में कौन? गांधीनगर सीट क्यों है BJP का 'अभेद्य किला'

अमित शाह गांधीनगर की सीट से फिर एक बार बीजेपी के उम्मीदवार हैं.

अहमदाबाद भले ही गुजरात का सबसे बड़ा शहर हो लेकिन 1970 में उससे राज्य की राजधानी होने का दर्जा छिनकर पड़ोस के गांधीनगर चला गया, गांधीनगर एक सुनियोजित तरीके से बनाया गया शहर है. गांधीनगर देश की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है और यह सीट हाई प्रोफाइल सिर्फ इस वजह से नहीं है कि इसी सीट से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह चुनाव लड़ रहे हैं और गांधीनगर गुजरात की राजधानी है बल्कि अगर बीजेपी के इतिहास पर गौर करें तो पाएंगे कि पार्टी के कई राज्य स्तर के और राष्ट्रीय स्तर के दिग्गज चेहरे इस सीट से चुनाव लड़ चुके और जीत चुके हैं.

1989 में यहां से गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने चुनाव लड़ा, जो उस वक्त बीजेपी में थे और आगे चलकर कई अलग-अलग पार्टियों के नेता बने. 1991 में भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी इस सीट से सांसद चुने गए.

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1996 में अटल बिहारी वाजपेई ने जिन दो सीटों से चुनाव लड़ा, उनमें से एक सीट गांधीनगर थी. वे दोनों सीटों से जीत गए लेकिन गांधीनगर को छोड़कर उन्होंने लखनऊ सीट को चुना.1998 से लेकर 2019 तक फिर एक बार लाल कृष्ण आडवाणी यहां के सांसद रहे. 2019 में अमित शाह पहली बार यहां से लोकसभा के सांसद चुने गए.

अमित शाह गांधीनगर की सीट से फिर एक बार बीजेपी के उम्मीदवार हैं. अपने चुनाव क्षेत्र में आने वाले सभी सातों विधानसभा के इलाके में एक बड़ा रोड शो निकाल कर हाल ही में उन्होंने अपनी चुनावी मुहिम का आगाज कर दिया. पार्टी के बड़े नेता और स्टार प्रचारक होने के कारण उन्हें गांधीनगर के अलावा देश भर में भी घूम-घूम कर प्रचार करना है. शाह को गांधीनगर की सीट भी जीतनी है और देशभर में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर बीजेपी के मिशन 400 पर को भी पूरा करवाना है.

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अमित शाह का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने यहां सोनालबेन पटेल को उतारा है. The Hindkeshariकी टीम जब उनसे मिलने पहुंची तो वह संसदीय क्षेत्र के कलोल इलाके में कांग्रेस का गारंटी पत्र बांटती की नजर आईं. पटेल को यकीन है कि अल्पसंख्यक मतदाता उनका साथ देंगे.

इसके अलावा आम आदमी पार्टी के भी इंडिया एलायंस के तहत साथ आने के कारण उनकी उम्मीद मजबूत हुई है. पटेल के मुताबिक गांधीनगर सीट का फैसला इस बार चौकाने वाला होगा. उन्होंने कहा कि यहां पर माहौल बदल चुका है…एक अंडरक्रेंट है, जिसकी वजह से इनकी डिफीट होगी..महंगाई है… सूरत में लोकशाही का हनन हो रहा है. चार सौ पार कर संविधान बदलना चाहते हैं. ये सब हम दोहराएंगे और लोगों को समझाएंगे.

सोनल पटेल भले ही आत्मविश्वास से भरी नजर आ रही हों लेकिन उनके लिए राह आसान नहीं है. बीते 35 सालों से यह सीट लगातार भाजपा का गढ़ बनी रही है. 1989 से यहां भाजपा ने एक भी चुनाव नहीं हारी है. इस लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा की तीटें आती हैं और सभी सातों पर बीजेपी का ही कब्जा है. वरिष्ठ पत्रकार निखिल पंड्या बताते हैं कि जब से अमित शाह ने गांधीनगर सीट से लड़ना शुरू किया है तब से नेशनल लेवल पर उसका महत्व काफी रहा है…. महीने में एक-दो बार गांधीनगर उनकी विजिट होती है. छोटी से छोटी चीज पर उनका ध्यान होता है. गांधीनगर में 7 मई को मतदान होगा और 4 जून को इस सवाल का जवाब मिलेगा कि बीजेपी अपना किला बरकरार रख पाती है या यहां का नतीजा देश को चौंकाता है.

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