हमास का उपनेता सालेह अल अरौरी मारा गया, हिजबुल्लाह ने दी हमले की धमकी
हमास (Hamas) का डेप्यूटी चीफ़ मारा गया है. सालेह अल अरौरी को बेरूत के दक्षिणी इलाके के उपनगर दाहियेह में एक ड्रोन हमला कर मारा गया है. हमले के बाद जो तस्वीरें सामने आई हैं, उसमें दिख रहा है कि एक इमारत को निशाना बनाया गया है, जो कि हमास का कार्यालय था. हमले की जद में आकर गाड़ियां भी तबाह हुई हैं. इस हमले में हमास के उप नेता सालेह अल अरौरी के अलावा हमास के दो मिलिटरी कमांडर और चार अन्य सदस्यों के भी मारे जाने की सूचना है. हमास ने इसे इज़राइल की कायरतापूर्ण कार्रवाई बताया है और कहा है कि इससे हमास अपने मक़सद में कमज़ोर नहीं होगा और उसकी जंग जारी रहेगी. इज़राइल ने इस हमले के लिए सीधेतौर पर ज़िम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन कहा है कि जिस किसी ने भी ये किया है उसने हमास के नेतृत्व के खिलाफ एक सर्जिकल स्ट्राइक किया है.
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लेबनान ने बताया इजराइल का नया अपराध
लेबनान के केयर टेकर पीएम नजीब मिकाती ने एक बयान जारी कर इसे इज़राइल का नया अपराध बताया है. उन्होंने कहा है कि इज़राइल लेबनान को इस लड़ाई में खींचने की कोशिश कर रहा है. हिजबुल्लाह ने कहा है कि ये लेबनान की संप्रभुता पर हमला है. अरौरी की मौत जंग में एक खतरनाक मोड़ है और एक्सिस ऑफ़ रेसिस्टेंस की तरफ से इसकी सज़ा दी जाएगी. दूसरी तरफ इजराइल ने सफ़ाई दी है कि ये न तो लेबनान देश पर हमला है और न ही आतंकी संगठन हिज्जबुल्ला पर.
इस हमले के बाद इजराइल-हमास युद्ध के और फैलने की उम्मीद
वैसे सालेह अल अरौरी का मारा जाना इजराइल के लिए जहां एक बड़ी कामयाबी है, वहीं इस हमले के बाद इजराइल हमास युद्ध के और फैलने की आशंका भी बढ़ गई है. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि शहीद का खून व्यर्थ नहीं जाएगा और ये लड़ाई को और मज़बूती देगा. 57 साल के सालेह अल अरौरी 2017 से हमास के पॉलिटिकल ब्यूरो का उप नेता था. ये उस वीडियो में भी नज़र आया था, जिसमें हमास का चीफ़ दूसरे सदस्यों के साथ 7 अक्टूबर का हमास का हमला देख खुशी जता रहा था. अरौरी को हमास के मिलिटरी विंग अल कासिम के फाउंडर मेंबर के तौर पर भी जाना जाता है. अरौरी वेस्ट बैंक में हथियार पहुंचा कर वहां हमास की सैन्य क्षमता को बढ़ाने का काम भी किया. अरौरी के पास ईरान के समर्थन से हमास और हिज्जुल्लाह के बीच सहयोग और समन्वय की ज़िम्मेदारी थी.
इजराइल ने सालेह को 15 साल तक जेल में रखा था
इज़राइल की सेना ने सालेह को 1992 से 15 साल तक जेल में रखा. उसके बाद वो सीरिया, तुर्की और क़तर में रहा और फिर जाकर लेबनान में रहने लगा. 2015 में अमेरिका ने सालेह को आतंकवादी घोषित किया और 50 लाख डॉलर का इनाम भी घोषित किया था. इज़राइल के पीएम नेतन्याहू ने 7 अक्टूबर के हमास के आतंकवादी हमले से पहले ही अरौरी को मारने की धमकी दी थी. आख़िरकार इज़राइल का ये मक़सद पूरा हो गया है.