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हमास प्रोपेगेंडा के आरोपी भारतीय स्टूडेंट को अमेरिका से नहीं निकाला जाएगा, कोर्ट ने लगाई रोक


वाशिंगटन, अमेरिका:

अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने एक टॉप अमेरिकी यूनिवर्सिटी में रिसर्च कर रहे भारतीय रिसर्चर, बदर खान सूरी को पहले गिरफ्तार किया और फिर धमकी दी थी कि उन्हें देश के बाहर निकाला जाएगा. उनपर कथित रूप से हमास से जुड़े प्रोपेगेंडा फैलाने के आरोप लगाए गए. अब एक अमेरिकी जज ने गुरुवार, 20 मार्च को आदेश जारी करके उन्हें अमेरिका से बाहर निकाले जाने पर रोक लगा दी है.

बदर खान सूरी जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टरल फेलो हैं. उनकी हिरासत तब हुई जब वहां की एकैडमिक जगत में यह आशंका बढ़ गई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए कार्यकाल में रिसर्च और बोलने की आजादी को चुनौती दी जा रही है.

बदर खान सूरी के वकील ने उनकी रिहाई की मांग की थी और गिरफ्तारी की निंदा करते हुए इसे “टारगेट करके बदले की हिरासत” बताया, जिसका उद्देश्य “उनको चुप कराना, या कम से कम प्रतिबंधित करना और शांत करना” था. साथ ही उन अन्य लोगों को भी जो “फिलिस्तीनी अधिकारों के लिए समर्थन व्यक्त करते हैं.”

इसके बाद गुरुवार की शाम को, वर्जीनिया कोर्ट के पूर्वी जिले के जज पेट्रीसिया टॉलिवर गाइल्स ने आदेश दिया कि “जब तक अदालत कोई विपरीत आदेश जारी नहीं करती, तब तक उन्हें (सूरी को) अमेरिका से नहीं निकाला जाएगा.”

कौन हैं बदर खान सूरी, क्यों किया गया गिरफ्तार?

जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी ने अपने एक बयान में बताया है कि डॉ. बदर खान सूरी एक भारतीय नागरिक हैं, जिन्हें इराक और अफगानिस्तान में शांति स्थापना पर अपने डॉक्टरेट रिसर्च को जारी रखने के लिए अमेरिका में आने के लिए विधिवत वीजा दिया गया था. यूनिवर्सिटी ने कहा, “हमें उनके किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल होने की जानकारी नहीं है, और हमें उसकी हिरासत का कोई कारण नहीं मिला है.”

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बदर खान सूरी के वकील ने अदालत में दाखिल याचिका में कहा कि न तो विदेश मंत्री (स्टेट सेक्रेटरी) मार्को रुबियो और न ही किसी अन्य सरकारी अधिकारी ने यह आरोप लगाया है कि सूरी ने कोई अपराध किया है या वास्तव में कोई कानून तोड़ा है.

पोलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार बदर खान सूरी को सोमवार को वर्जीनिया के आर्लिंगटन में उनके घर से गिरफ्तार किया गया. होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की प्रवक्ता ट्रिसिया मैकलॉघलिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि सूरी “जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में एक फॉरेन एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत आए स्टूडेंट हैं जो सक्रिय रूप से हमास का प्रचार कर रहे थे और सोशल मीडिया पर यहूदी विरोधी भावना को बढ़ावा दे रहे थे.”

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