उन्होंने जोर से पीठ पर धौल जमा दी थी… PM मोदी आज भी नहीं भूलते अटल से मुलाकात का वह लम्हा
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के मौके पर एक लेख लिखा है. इस लेख के माध्यम से उन्होंने ना सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया बल्कि उनकी कही बातों की महत्ता को भी उजागर किया. पीएम मोदी राजनीति में शुरू से ही अटल बिहारी वायपेयी से सीखते रहे हैं. पीएम मोदी अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बिताए अपने लम्हों को आज भी याद कर गौरवान्वित महसूस करना करते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बिताए उनके इन्हीं पलों में से एक वो पल था जब अटल जी ने नरेंद्र मोदी से मिलते ही उनकी पीठ पर धौल जमा दी और उन्हें गले लिया था.
See what Atal ji does when he meets a party Karyakarta. This simplicity and warmth of Atal ji we all cherish, pic.twitter.com/qhw7W27MWS
— Narendra Modi (@narendramodi) December 25, 2016
जब अटल जी ने थपथपाई थी पीठ
ये बात साल 1995 की है, जब गुजरात में भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा चुनाव में जीत हासिल हुई. इस जीत में उस समय राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के बड़े पदाधिकारी के तौर पर गुजरात में काम कर रहे थे. और ऐसा कहा जाता है कि उस चुनाव में बीजेपी की जीत का काफी हद तक श्रेय नरेंद्र मोदी को दिया गया था. सूबे में बीजेपी की सरकार बनने के बाद नरेंद्र मोदी को दिल्ली बुलाया गया. पार्टी दफ्तर में उनकी मुलाकात वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी से हुई. अपने सामने नरेंद्र मोदी को देखकर अटल बिहारी वाजपेयी उन्हें गले से लगा लिया और इसी दौरान उन्होंने गुजरात में पार्टी के इस खास प्रदर्शन के लिए नरेंद्र मोदी की पीठ थपथपाई.
‘अटल जी ने देश को एक नई दिशा दी’
पीएम मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के मौके पर उन्हें याद करते हुए एक लेख भी लिखा है. इस लेख में पीएम मोदी ने लिखा कि 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए उनकी सरकार ने जो कदम उठाए, उसने देश को एक नई दिशा और गति दी.1998 के जिस कालखंड में उन्होंने पीएम पद संभाला, उस दौर में देश राजनीतिक अस्थिरता से घिरा हुआ था.नौ साल में देश ने चार बार लोकसभा के चुनाव देखे थे. लोगों को शंका थी कि यह सरकार भी उनकी उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाएगी. ऐसे समय में एक सामान्य परिवार से आने वाले अटल जी ने देश को स्थिरता और सुशासन का माडल दिया और भारत को नव विकास की गारंटी दी. वह ऐसे नेता थे, जिनका प्रभाव आज तक अटल है. वह भविष्य के भारत के परिकल्पना पुरुष थे. उनकी सरकार ने देश को आइटी और दूरसंचार की दुनिया में तेजी से आगे बढ़ाया. उनके शासनकाल में ही तकनीक को सामान्य मानवी की पहुंच तक लाने का काम शुरू किया गया.
दूर-दराज के इलाकों को बड़े शहरों से जोड़ने के सफल प्रयास किए गए. वाजपेयी जी की सरकार में शुरू हुई जिस स्वर्णिम चतुर्भुज योजना ने महानगरों को एक सूत्र में जोड़ा, वह आज भी स्मृतियों पर अमिट है. लोकल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए भी उनकी गठबंधन सरकार ने पीएम ग्राम सड़क योजना जैसे कार्यक्रम शुरू किए. उनके शासनकाल में दिल्ली मेट्रो शुरू हुई, जिसका विस्तार आज हमारी सरकार एक वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के रूप में कर रही है. ऐसे ही प्रयासों से उन्होंने आर्थिक प्रगति को नई शक्ति दी. जब भी सर्व शिक्षा अभियान की बात होती है, तो अटल जी की सरकार का जिक्र जरूर होता है. वह चाहते थे कि भारत के सभी वर्गों यानी एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के लिए शिक्षा सहज और सुलभ हो.
‘अटल जी ने कभी भी दवाब में आकर नहीं लिया फैसला’
अटल सरकार के कई ऐसे साहसिक कार्य हैं, जिन्हें आज भी हम देशवासी गर्व से याद करते है. देश को अब भी 11 मई 1998 का वह गौरव दिवस याद है, जब एनडीए सरकार बनने के कुछ ही दिन बाद पोकरण में सफल परमाणु परीक्षण हुआ. इस परीक्षण के बाद दुनियाभर में भारत के वैज्ञानिकों को लेकर चर्चा होने लगी. कई देशों ने खुलकर नाराजगी जताई, लेकिन अटल जी की सरकार ने किसी दबाव की परवाह नहीं की. पीछे हटने की जगह 13 मई को एक और परीक्षण किया गया. इस दूसरे परीक्षण ने दुनिया को यह दिखाया कि भारत का नेतृत्व एक ऐसे नेता के हाथ में है, जो अलग मिट्टी से बना है. उनके शासनकाल में कई बार सुरक्षा संबंधी चुनौतियां आईं. कारगिल युद्ध का दौर आया. संसद पर आतंकियों ने कायरना प्रहार किया. अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले से वैश्विक स्थितियां बदलीं, लेकिन हर स्थिति में अटल जी के लिए भारत का हित सर्वोपरि रहा.