उसे टैटू से पहचाना… कुवैत अग्निकांड में बचने वाले भारतीयों ने सुनाई दर्दनाक आपबीती
नई दिल्ली:
कुवैत में बुधवार को जिस इमारत में आग लग गई, जिसमें 49 लोगों की मौत हो गई, वहां रहने वाले 27 वर्षीय श्रीहरि के पिता प्रदीप अपने हाथ पर बने टैटू से ही अपने बेटे के शव की पहचान कर पाए. प्रदीप ने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें अस्पताल के शवगृह में रखे अपने बेटे के शव की पहचान करने के लिए बुलाया था. “जब मैं वहां गया तो देखा कि चेहरा पूरी तरह से सूजा हुआ था और नाक पर कालिख लगी हुई थी. मैं उसे पहचान नहीं पा रहा था. मैं बस नहीं कर सका… फिर मैंने उन्हें बताया कि उसके हाथ पर एक टैटू है. उसके आधार पर उसकी पहचान हो पाई.
श्रीहरि 5 जून को केरल से कुवैत लौटे थे और पिता-पुत्र दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे. प्रदीप आठ साल से कुवैत में काम कर रहा है. इससे पहले दिन में, परिवार के एक मित्र ने संवाददाताओं को बताया कि श्रीहरि हाल ही में कुवैत के लिए रवाना हुए हैं. पारिवारिक मित्र ने कहा, “बमुश्किल एक हफ्ते बाद, उनकी मौत की खबर यहां पहुंची. हमें इसके बारे में कल दोपहर को पता चला. उनके पिता ने परिवार को सूचित किया क्योंकि टीवी पर इस त्रासदी के बारे में खबरें आ रही थीं.”
कुवैत में हुए भीषण अग्निकांड में 40 भारतीय समेत 49 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई है. इस अग्निकांड के बारे में सूचना मिलते ही दरभंगा के नैना घाट गांव में मदीना खातून के घर पर सन्नाटा पसर गया. दरअसल, इस बात की आशंका जताई जा रही है कि मदीना खातून का बड़ा बेटा कालू खान भी अग्निकांड का शिकार हो गया है. परिजनों ने बताया कि कालू से बुधवार को आखिरी बार रात 11 बजे के करीब बातचीत हुई थी. उसके बाद से उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है. दूतावास से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने पासपोर्ट की कॉपी मंगाई. दूतावास के लोगों से बताया कि कालू से संबंधित किसी तरह की जानकारी मिलने पर उन्हें सूचित किया जाएगा.
नेपाल में शादी होने वाली थी…
कालू खान की मां मदीना खातून ने कहा कि दो साल पहले उनका बेटा कुवैत गया था और वहां मॉल में काम करता था. बुधवार रात उससे अंतिम बार बात हुई थी तो उसने कहा था कि घर में बिजली लगवाने के लिए पैसा भेजेंगे. उन्होंने आगे कहा कि अगले महीने की पांच तारीख को उसे वापस इंडिया आना था, टिकट भी बना हुआ था. नेपाल में उसकी शादी होनी थी.
कालू खान का एक बड़ा और एक छोटा भाई है. उनकी तीन बहनों में एक की मौत हो गई थी. घर में वह इकलौता कमाने वाला व्यक्ति था. अगस्त 2022 में वह आखिरी बार गांव आया था. 2011 में कालू के पिता इस्लाम की भी मृत्यु हो चुकी है. कालू कुवैत के सुपर मार्केट में सेल्समैन का काम करता है.
उन्होंने कहा कि उन्हें अपने बेटे के बारे कुछ भी पता नहीं चल रहा है. उनके अनुसार कालू खान उसी इमारत में रह रहा था जिसमें आग लगी.
गमगीन खातून ने मीडियाकर्मियों से कहा, “मैंने आखिरी बार उससे मंगलवार रात करीब 11 बजे बात की थी. उसने मुझसे कहा था कि वह पांच जुलाई को दरभंगा आएगा क्योंकि उसकी शादी अगले महीने होने वाली थी. लेकिन जब से मुझे कुवैत में उसी इमारत में आग लगने की घटना के बारे में पता चला, तो मैं उससे संपर्क करने की कोशिश कर रही हूं…लेकिन वह मेरी कॉल का जवाब नहीं दे रहा है. हमें उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है.’
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि मेरे बेटे के साथ वास्तव में क्या हुआ है. वह मेरा सबसे बड़ा बेटा है. हमने इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने की भी कोशिश की, लेकिन हमारे सारे प्रयास व्यर्थ गए. हमने दूतावास के अधिकारियों को उसकी तस्वीरें भेजी हैं और जवाब का इंतजार कर रहे हैं. हम जिला प्रशासन के संपर्क में भी हैं.”
खातून ने रोते हुए कहा, ‘मैं दुआ कर रही हूं कि मुझे अपने बेटे के बारे में कुछ अच्छी खबर मिले.’ ग्रामीणों के अनुसार खान कुवैत में एक मजदूर के रूप में काम कर रहा था.
कुवैती अधिकारियों के अनुसार, बुधवार को दक्षिणी शहर मंगाफ की एक इमारत में आग लग गई, जिसमें लगभग 40 भारतीयों सहित 49 विदेशी श्रमिकों की मौत हो गई और 50 अन्य घायल हो गए.