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तिरुपति लड्डू विवाद : सुप्रीम कोर्ट में सुब्रमण्‍यम स्‍वामी और वाईवी सुब्‍बा रेड्डी की याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई


नई दिल्‍ली :

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सोमवार को तिरुपति लड्डू विवाद (Tirupati Laddu controversy) मामले में सोमवार को सुनवाई करेगा. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व अध्यक्ष और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी ने याचिकाएं दाखिल की हैं. इन याचिकाओं पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ सुनवाई करेगी. तिरुपति के लड्डू बनाने में कथित तौर पर पशुओं की चर्बी के इस्‍तेमाल को लेकर करीब सप्‍ताह भर से राजनीतिक रूप से हंगामा मचा है. इस मुद्दे पर मुख्‍यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) और पूर्व मुख्‍यमंत्री जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) के बीच भी जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है.  

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछले हफ्ते दावा किया था कि जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्‍व वाली पूर्ववर्ती वाईएसआर कांग्रेस सरकार के तहत तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर मंदिर द्वारा ‘प्रसाद’ के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं को बनाने के लिए जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद से ही वाईएसआर कांग्रेस हमलों के केंद्र में है. 

स्‍वामी ने की नायडू के आरोपों की जांच की मांग 

सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के आरोपों की जांच की मांग की है. भाजपा नेता सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने इस सप्ताह की शुरुआत में जनहित याचिका दाखिल की थी. उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह आंध्र प्रदेश सरकार को लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल घी पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दे. साथ ही उन्‍होंने एक विस्तृत फोरेंसिक रिपोर्ट की भी मांग की है. राज्य सरकार ने गुजरात की एक प्रयोगशाला की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया था कि लड्डुओं में इस्तेमाल किए गए घी में बीफ, फिश ऑयल और चर्बी (सुअर की चर्बी) के अंश थे. 

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याचिका के मुताबिक, “आपूर्तिकर्ता मंदिर में विभिन्न सामग्रियों की आपूर्ति करते हैं जिनका उपयोग प्रसाद बनाने में किया जाता है. इसकी गुणवत्ता या कमी की निगरानी और सत्यापन करने के लिए आंतरिक रूप से जांच होनी चाहिए थी.”

सुब्‍बा रेड्डी की एससआईटी बनाकर जांच की मांग 

वाईवी सुब्बा रेड्डी ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज के अधीन एसआईटी बनाकर इन आरोपों की जांच कराए जाने की मांग की है. रेड्डी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के दावों के खिलाफ अपनी पार्टी के बचाव में सबसे आगे रहे हैं और उन्‍होंने बार-बार यह कहा है कि लड्डू बनाने में किसी भी मिलावटी घी का इस्तेमाल नहीं किया गया. 

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी प्रमुख की तिरुपति मंदिर की प्रस्‍तावित यात्रा को रद्द करने को लेकर शुक्रवार को चंद्रबाबू नायडू और जगन मोहन रेड्डी आमने-सामने आ गए. 

चंद्रबाबू नायडू और जगन मोहन रेड्डी आमने-सामने 

मिलावट के आरोप लगाने के नायडू के “पाप” का प्रायश्चित करने के लिए रेड्डी को शनिवार को मंदिर जाना था. हालांकि शुक्रवार दोपहर को उन्होंने कहा कि उन्होंने इसे रद्द करने का फैसला किया है क्योंकि उन्हें अनुमति नहीं दी मिली है और एक नोटिस दिया गया है. रेड्डी का यह निर्णय नायडू की टीडीपी और बीजेपी की इस मांग के बीच आया है कि पूर्व मुख्यमंत्री मंदिर में जाने से पहले गैर-हिंदुओं के लिए एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करें. 

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के नियमों के अनुसार, विदेशियों और गैर-हिंदुओं को यात्रा से पहले पहाड़ी मंदिर में स्थित भगवान वेंकटेश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा की घोषणा करनी चाहिए. तिरुमाला में आस्था की घोषणा करने वाले साइनबोर्ड भी लगाए गए हैं.

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100 दिनों के प्रदर्शन से ध्यान भटकाने की कोशिश : रेड्डी 

रेड्डी ने दावा किया कि लड्डू विवाद नायडू की सरकार के पहले 100 दिनों के प्रदर्शन से ध्यान भटकाने के लिए रचा गया. रेड्डी ने कहा, “लड्डुओं पर उनके (नायडू) द्वारा दिए गए सभी बयान एक के बाद एक झूठ साबित हो रहे हैं.  उन्होंने गलती की और मंदिर की पवित्रता का उल्लंघन किया है. मैंने कई बार तिरुमाला मंदिर का दौरा किया है और अब वह एक बार फिर विषय को भटकाने के लिए घोषणा का मुद्दा उठा रहे हैं…  तिरुमाला लड्डू विशेष और शुद्ध है, और एक राजनीतिक मकसद से उन्‍होंने कहा है कि इन्‍हें जानवरों की चर्बी से बनाया गया है.” 

नायडू ने तीखा पलटवार करते हुए रेड्डी पर “झूठ फैलाने” का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया है. उन्‍होंने कहा, “क्या किसी ने आपको (रेड्डी को) जाने से रोका? अगर आपके पास नोटिस है तो मीडिया को दिखाएं… आप झूठ क्यों फैला रहे हैं?” 


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