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बदायूं : जामा मस्जिद या नीलकंठ महादेव मंदिर? कोर्ट में सुनवाई टली


बदायूं:

नीलकंठ महादेव मंदिर बनाम जामा मस्जिद शम्सी मामले में अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी. सिविल जज सीनियर डिवीजन ने सुनवाई करते हुए इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 10 दिसंबर की तारीख निर्धारित की है. साल 2022 में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के मुकेश पटेल ने जामा मस्जिद की जगह नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए याचिका दाखिल की थी.

इस मामले में मंगलवार तीन दिसम्बर को मुस्लिम पक्ष के वकील असरार अहमद ने बहस करते हुए कोर्ट में अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि मस्जिद 850 साल पहले बनवाई गई थी और वहां पर मंदिर का कोई अस्तित्व ही नहीं है. इसलिए यह याचिका खारिज होने योग्य है. उन्होंने यह भी कहा कि  हिंदू पक्ष को मुकदमा दायर करने का कोई हक नहीं है. इसका कोई अस्तित्व नहीं है, वह मुकदमा दर्ज नहीं कर सकता. हिंदू पक्ष के पास साक्ष्य है या नहीं यह न्यायालय तय करेगा. हमारा 1272 में जमा मस्जिद दर्ज है, जो आखिरी बंदोबस्त 1936 में वक्फ में दर्ज  है. फिलहाल आज बहस पूरी नहीं हो पाई है. अब इस मामले की सुनवाई 10 दिसंबर होगी.

वहीं, इस मामले में हिंदू पक्ष के वकीक विवेक रेंडर का कहना है कि आज जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी की ओर से बहस की गई. जब उनके वकील ने थोड़ी बहस के बाद समय लेना चाहा तो कोर्ट ने सख्ती से कहा कि इस तरह से बार बार तारीखें नहीं दी जा सकतीं और कोर्ट ने 10 तारीख को सभी पक्षों से सुबह साढ़े दस बजे उपस्थित रहने को कहा. हिंदू पक्ष के वकील का कहना है कि जामा मस्जिद पक्ष मामले को लटकाना चाहता है, ताकि वो विवादित स्थल के स्वरूप में परिवर्तन कर सके.

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जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा करने वाले मुकेश पटेल का कहना है कि आज जमा मस्जिद इंतजार में कमेटी की ओर से मुस्लिम पक्ष रखते हुए बहस की. मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी न होने पर 10 दिसंबर की तारीख निर्धारित की गई है. उन्होंने कहा कि हमारे पास सभी सबूत है. सबूत इकट्ठा करने के बाद ही हम कोर्ट आए हैं. हमें उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा.
 



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