नोएडा में खूब बारिश, मंगेशपुर 52 डिग्री पर तप गया, दिल्ली-NCR में मौसम का यह खेल समझिए

दिल्ली के किन इलाकों में कितने दिन पारा 45 पार
दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में क्यों अलग-अलग तपामान
अगर मई महीने के तापमान का देखा जाए तो मालूम होता है कि दिल्ली के विभिन्न इलाकों में तापमान में तीन से चार डिग्री का अंतर है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक एक्सपर्ट एक ही शहर में तापमान के इस अंतर के लिए भौगोलिक स्थिति और स्थानीय कारकों को जिम्मेदार मानते हैं. उदाहरण के लिए, मुंगेशपुर और नरेला में मंगलवार को अधिकतम तापमान 49.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. वहीं इसके उल्ट, सफदरजंग में 45.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो मुंगेशपुर से चार डिग्री कम है. नरेला, जो दिल्ली के पश्चिमी हिस्से में स्थित है, वो राजस्थान से आने वाली गर्म हवाओं की मार झेलते हैं. वहां पर भी पांच दिनों तक पारा सामान्य से अधिक रहा.
दिल्ली के कुछ इलाकों में 50 तक पहुंचा पारा
बुधवार को सफदरजंग में तापमान 46.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से छह डिग्री अधिक था. अब तक का सबसे अधिक तापमान 29 मई, 1944 को 47.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. इस दौरान, कुछ इलाकों में पारा 50 डिग्री सेल्सियस या उसके आसपास पहुंचा. हालांकि दिल्ली में पारा 45 पार पहुंचने की जांच की जा रही है, ताकि किसी भी संभावित डेटा की गलती को दूर किया जा सकें.

मुंगेशपुर, नजफगढ़, जाफरपुर और नरेला में क्यों ज्यादा गर्मी
पालम के मुकाबले क्यों ज्यादा ठंडे राजघाट, मयूर विहार
पालम में मई में आठ दिन अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा. एक्सपर्ट के मुताबिक पालम हवाई अड्डे के पास स्थित है, इसलिए उड़ानों से निकलने वाले उत्सर्जन का तापमान पर असर पड़ता है. वहीं राजघाट और मयूर विहार जैसे स्टेशन, जो यमुना के पास स्थित हैं, मुंगेशपुर, नजफगढ़ और नरेला जितने गर्म नहीं हैं. इस साल लोधी रोड में तीन दिन 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान रहा. मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ज्यादा हरियाली होने की वजह सफदरजंग और लोधी रोड पश्चिमी स्टेशनों जितने गर्म नहीं हैं.
एक की शहर के मौसम में अचानक इतने बदलाव की वजह
एक ही शहर के मौसम में जिस तरह का बदलाव आ रहा है, उसे दरअसल जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देखा जा रहा है. वैज्ञानिकों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन जीवाश्म ईंधन के जलने और मानवीय हस्तक्षेप से होता है, दुनिया भर में हर जगह हीटवेव को अधिक गर्म बना रही है. आईआईटी भुवनेश्वर के डॉ. वी. विनोज ने कहा, “लंबे समय के पैमाने पर, दिल्ली के तापमान में 30-35% का परिवर्तन शहरीकरण के कारण होता है. इसलिए, इस तरह की स्थितियों का सावधानी से विश्लेषण करना आवश्यक है.

क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा, “पिछले दो दिनों में दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में तापमान इस बात का सबूत है कि अब सवाल जीवित रहने का है. यह अब ‘कहीं और’ की समस्या नहीं है.” उन्होंने कहा कि चूंकि भारत के ज़्यादा से ज़्यादा शहर तेज़ी से विकसित हो रहे हैं, इसलिए मानव स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और आजीविका पर अत्यधिक गर्मी के बढ़ते प्रभावों को कम करने के लिए जलवायु परिवर्तन पर ध्यान देने की जरूरत है.
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