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मुडा घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने पर हाईकोर्ट का आदेश सुरक्षित, लोकायुक्त जांच जारी

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुडा (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) घोटाला मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को जांच सौंपने के मामले पर आदेश सुरक्षित कर लिया है. अदालत ने कहा कि फिलहाल लोकायुक्त द्वारा की जा रही जांच जारी रहेगी और जब तक अंतिम आदेश नहीं आ जाता, तब तक लोकायुक्त की जांच ही मान्य होगी.

इस मामले में कर्नाटक राज्य सरकार ने पहले ही भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच के लिए लोकायुक्त को निर्देशित किया था. लेकिन, कई आरोपियों के संबंध में सीबीआई द्वारा जांच किए जाने की मांग की गई थी. दरअसल, इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की अपील की गई थी.

कर्नाटक हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी या नहीं. हालांकि, यह बात तो साफ है कि लोकायुक्त की जांच जारी रहेगी. आपको बताते चलें कि मुडा घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी जांच कर रही है. आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी की ओर से एक रिट याचिका दायर कर मामले की जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी.

बता दें कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) शहर के विकास कार्यों के लिए एक स्वायत्त संस्था है. जमीनों के अधिग्रहण और आवंटन का कार्य इसकी ही जिम्मेदारी है. भूमि घोटाले की वजह से इसे ‘मुडा’ नाम दिया गया है. साल 2004 से ही इस मामले में मुडा का नाम जुड़ता आ रहा है. यह मामला मुडा की तरफ से उस समय मुआवजे के तौर पर भूमि के पार्सल के आवंटन से जुड़ा है, जब राज्य के सीएम सिद्धारमैया थे. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि इस प्रक्रिया में अनियमितताएं होने के कारण सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ. इस मामले में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण और राजस्व विभाग के अधिकारियों के नाम भी सामने आए.

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जानकारी के अनुसार, मुडा घोटाला मामला करीब पांच हजार करोड़ रुपये का है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. बताया जा रहा है सीएम सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन ने कुछ जमीन गिफ्ट के तौर पर दी थी. यह जमीन मैसूर जिले के कैसारे गांव में स्थित है. बाद में इस जमीन को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) ने अधिग्रहित कर लिया. इसके बदले पार्वती को विजयनगर इलाके में 38,223 वर्ग फीट के प्लॉट दे दिए गए. आरोप है कि दक्षिण मैसूर के प्रमुख इलाके में मौजूद विजयनगर के प्लॉट की कीमत कैसारे गांव की उनकी मूल जमीन से बहुत अधिक है. इसी को लेकर सिद्धारमैया भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे हैं.



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