'हिन्दू खतरे में है', बांग्लादेश में हिंसा के खिलाफ सभी इस्कॉन में प्रदर्शन, सरकार से मांगी मदद
मथुरा:
पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार और वहां पर हिंदू समाज के सबसे बड़े चेहरे चिन्मय दास और उनके समर्थकों की गिरफ्तारी के खिलाफ भारी रोष देखा जा रहा है. नाराजगी जाहिर करने के लिए रविवार को मथुरा समेत पूरे देश के इस्कॉन मंदिरों में कीर्तन किया गया.
देश भर के इस्कॉन मंदिरों में रविवार को बांग्लादेश के खिलाफ नाराजगी व्यक्त करते हुए कीर्तन किए गए. वृंदावन के चंद्रोदय मंदिर में भी इस्कॉन भक्तों ने भगवान के सामने कीर्तन किया. लोगों ने कीर्तन कर बांग्लादेश में इस्कॉन भक्त की गिरफ्तारी का विरोध किया और केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने बांग्लादेश की सरकार से भी इस मामले में कार्रवाई की मांग की. इस्कॉन भक्तों का कहना है कि हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है जबकि हिंदू शांति से पूजा-अर्चना करते हैं.
मथुरा इस्कॉन के पुजारी ने आईएएनएस को बताया, “बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर इस्कॉन में यह कार्यक्रम और पहले आयोजित हो जाना चाहिए था. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप की पहल करते हैं. बांग्लादेश प्रकरण को लेकर दुनिया भर के इस्कॉन में प्रदर्शन किया जा रहा है, लेकिन इसके लिए सड़कों पर उतरने की जरूरत है. वे लोग डर की भाषा समझते हैं. जब तक भारत और पूरे विश्व में सनातनि सड़कों पर नहीं उतरेगा, तब तक वे लोग सुधरने वाले नहीं हैं. भारत सरकार एक्शन ले रही है, लेकिन जिस तरह होना चाहिए, वैसा नहीं हो रहा है.”
भुवनेश्वर इस्कॉन के उपाध्यक्ष तुकाराम दास ने कहा, सभी जानते हैं, बांग्लादेश में स्थिति बहुत तनावपूर्ण है और वहां धार्मिक अल्पसंख्यक खतरे में हैं. हम दुनिया भर में सभी इस्कॉन मंदिरों में शांति और स्थिति को शांत करने के लिए शांतिपूर्ण प्रार्थना कर रहे हैं. शांति और समृद्धि बनी रहे, इसके लिए हम ‘हरे राम हरे कृष्ण’ और नर्सिंग प्रार्थना का जाप कर रहे हैं ताकि ईश्वर शांति बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप करें.
बेंगलुरु इस्कॉन के अध्यक्ष मधु पंडित दासा ने कहा, “बांग्लादेश में हमारी एकमात्र चिंता अल्पसंख्यकों, हिंदुओं और विशेष रूप से इस्कॉन भक्तों की सुरक्षा है. अंत में हम चाहते हैं कि भारत सरकार शांति लाने के लिए सभी प्रयास करे और यही प्रार्थना हम बांग्लादेश सरकार से भी करते हैं कि अल्पसंख्यकों पर हमले रोके जाएं और कट्टरपंथियों से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.”
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