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नौसेना का ऐतिहासिक कदम, आईएनएस सुनयना पर भारत सहित 10 देशों के क्रू करेंगे पेट्रेलिंग

Navy’s Historic Step: नौसेना के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस सुनयना पर भारत सहित दस देशों के क्रू भी शामिल होंगे. इंडियन ओशन रीजन यानि कि हिंद महासागर क्षेत्र में मित्र देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की दिशा में कदम उठाते हुए इंडियन ओशन शिप सागर पेट्रोलिंग पर निकलेगा. 5 अप्रैल से इंडियन ओशन शिप सागर की शुरुआत होगी, जो 8 मई को खत्म होगा  .  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कारवार में इस अभियान को हरी झंडी दिखाकर शुरुआत करेंगे. इसमें कुल 44 नौसैनिक सवार होंगे.  इसमें भारत के साथ ही कोमोरोस, केन्या, मेडागास्कर, मालदीव, मॉरीशस, मोज़ाम्बिक, सेशेल्स, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका की नेवी के क्रू मेंबर्स सहयोगी होंगे .

नौसेना का युद्धपोत आईएनएस सुनयना सरयू क्लास का गश्ती पोत है . गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने इसकी डिजाइन बनायी और  निर्माण किया है . इसकी लम्बाई 105 मीटर है . करीब 55 किलोमीटर की रफ्तार से यह फ्लीट को ऑपरेशन में सहयोग देता है . यह समुद्र में पेट्रोलिंग करना और समुद्र में निगरानी और संचार नेटवर्क का काम भी करता है .

नौसेना के उप प्रमुख ने क्या कहा

नौसेना के उप प्रमुख वाईस एडमिरल तरुण सोबती ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारतीय नौसेना ने आईओआर देश की नौसेनाओं और समुद्री एजेंसियों के साथ अपने संबंधों को और मजबूत बनाया है ताकि सरकार की समुद्री  नीति के तहत क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को बढ़ाया जा सके . इसका उद्देश्य है यह है कि भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में प्राथमिक सुरक्षा भागीदार और फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में स्थापित करना है . अपने इस अभियान में आईएनएस सुनयना एक महीने से ज्यादा वक्त तक तैनात रहेगा .  इस दौरान यह दार-एस-सलाम, नकाला, पोर्ट लुईस, पोर्ट विक्टोरिया और माले  बंदरगाह तक जाएगा. यह तंजानिया, मोज़ाम्बिक, मॉरीशस और सेशेल्स के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की संयुक्त निगरानी भी करेगा . 

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नौसेना के उप प्रमुख एडमिरल सोबती ने आगे यह भी कहा कि हम अपने मित्र देशों के साथ पहले भी ईईजेड यानि कि एक्सक्लूसिव इकोनामिक जोन में पेट्रोलिंग करते रहे हैं. हम उन मित्र देशों की मदद भी करते रहे हैं, जिनके पास ऐसी क्षमता नहीं है. ऐसा इतिहास में पहली बार होगा कि 10 देशों की नौसेना एक साथ ईईजेड क्षेत्र में पेट्रोलिंग करेंगे. इससे आपसी भरोसा बढ़ेगा और गहरा विश्वास जगेगा जो समुद्री  सुरक्षा में एक दूसरे की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.



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